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राजस्थान का कोटा शहर कोचिंग मंडी के लिए जाना जाता है. यहां पर देश के कोने-कोने से छात्र कॉम्पटीशन की तैयारी के लिए आते हैं. हाल के दिनों में कोटा में सुसाइड के मामलों में तेजी आई है. परीक्षा और पढ़ाई के तनाव के चलते छात्र आत्महत्या कर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ले रहे हैं. साल 2023 में कोटा के कोचिंग संस्थानों में पढ़ने वाले 26 छात्रों ने आत्महत्या की है. इसके बावजूद कोटा शहर तैयारी कर रहे छात्रों के लिए साइकोलॉजिस्ट की कमी से जूझ रहा है. राजस्थान सरकार ने कोटा के न्यू मेडिकल कॉलेज अस्पताल (NMCH) में पिछले सितंबर में मनोवैज्ञानिक परामर्श केंद्र स्थापित किया था. ताकि शहर में छात्रों की हो रही सुसाइड के आंकड़ों में कमी आ सके. केंद्र के खुलने के बाद से ही यहां 5 साइकोलॉजिस्ट की जरूरत थी. इसमें से अभी तक केवल एक ही क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट ड्यूटी पर तैनात किए गएं हैं. बाकी के 4 साइकोलॉजिस्ट अभी तक नहीं रखे गए हैं. संस्थान के खुल हुए 4 महीने हो गए हैं.
इस कारण नहीं हो पा रही साइकोलॉजिस्ट की नियुक्ति
ऐसा मानना है कि मेडिकल कॉलेज में पढ़ रहे छात्रों को एमफिल की डिग्री न दिए जाने से ये समस्या और अधिक बढ़ गई है. इस कारण यहां पर साइकोलॉजिस्ट की भर्ती नहीं हो पा रही है. राज्य में सरकारी मेडिकल कॉलेज में सेवाए दे रहे विशेषज्ञों के पास दूसरे राज्यों की डिग्री है.
साइकोलॉजिस्ट की नियुक्ति के लिए लिखा गया पत्र
कोटा के मेडिकल कॉलेज के मनोविज्ञान के प्रमुख डॉक्टर बीएस शेखावत ने तैयारी कर रहे छात्रों के बीच साइकोलॉजिस्ट की कमी को स्वीकार किया है. उन्होंने कहा सरकार को साइकोलॉजिस्ट की नियुक्ति जल्द की जाए इसके लिए पत्र लिखा गया है. अभी तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है. वहीं, प्राइवेट कोंचिंग संस्थान ने अपने स्तर पर कुछ साइकोलॉजिस्ट को नियुक्त किया है. जो कि उनके ही कोचिंग स्टाफ के मेंबर भी हैं.