Odwara Encroachment Drive: राजस्थान हाई कोर्ट (Rajasthan High Court) ने शुक्रवार को जालोर (Jalore) के ओडवाड़ा गांव में अतिक्रमण हटाने (Odwara Encroachment Drive) पर रोक लगा दी है. जस्टिस विनीत माथुर ने आदेश जारी करते हुए प्रशासन को सबसे पहले दस्तावेजों का वेरिफिकेशन करने के लिए कहा है. कोर्ट ने साफ किया है कि जांच पूरी होने तक किसी प्रकार का अतिक्रमण नहीं हटाया जाएगा. इस संबंध में अधिवक्ता श्याम पालीवाल ने बाबू सिंह व अन्य की ओर से हाई कोर्ट में पक्ष रखा गया था, जिसमें कहा गया था कि जिला प्रशासन ने बिना विधिक प्रक्रिया के बुलडोजर चलाया है. इस केस की सुनवाई के बाद कोर्ट ने अतिक्रमण हटाने पर अस्थाई रोक लगा दी. याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता श्याम पालीवाल ने पैरवी करते हुए कहा कि हमारे पास 1930 से यहां रहने का प्रमाण है. इसके अलावा हमारे को पट्टे दे रखे हैं. सनद दे रखी है. लेकिन जिला प्रशासन ने केवल पीएलपीसी के ऑर्डर के चलते एक तरफा कार्रवाई करते हुए अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरू कर दी. जबकि हमारे दस्तावेजों का वेरिफिकेशन नहीं किया गया. तीन दशक से हम यहां रह रहे हैं, जिसके लिए हमें यहां जिला प्रशासन द्वारा ही पट्टे जारी किए गए थे. केवल 91 का नोटिस जारी करते हुए यह पूरी कार्यवाही की गई, जो उचित नहीं थी.
कल प्रशासन ने तोड़ दिए थे 70 मकान
दरअसल, ओडवाड़ा गांव पिछले 24 घंटे से सोशल मीडिया पर टॉप ट्रेंड कर रहा है. गुरुवार सुबह 7 बजे इस गांव में तहसीलदार 250 पुलिसकर्मी और 5 जेसीबी को लेकर अतिक्रमण हटाने पहुंच गए थे. इस दौरान ग्रामीणों के भारी विरोध के बावजूद उन्होंने साढ़े 6 घंटे में 70 मकान ध्वस्त कर दिए. वहीं कई घरों के बिजली कनेक्शन काट दिए. इसके बाद जिला प्रशासन की टीम घरों से समान निकालने के लिए ग्रामीणों को 24 घंटों की मोहलत देकर वापस लौट गई. आज फिर एक्शन होने वाला था. लेकिन इससे पहले ही हाई कोर्ट ने अतिक्रमण हटाने पर अस्थाई रोक लगा दी.
कांग्रेस नेताओं संग ओडवाड़ा आएंगे वैभव
राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के बेटे और जालौर लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी वैभव गहलोत (Vaibhav Gehlot) ने एक्स पर लिखा, ‘मैं ओडवाड़ा, आहोर पहुंचकर पीड़ित परिवारों से मुलाकात करूंगा एवं उनकी हर संभव मदद का प्रयास करूंगा. आज इस मामले के तथ्यों की जानकारी के साथ विधिक राय ले ली है एवं इस मामले में हम कानूनी प्रक्रिया के तहत सुप्रीम कोर्ट तक जाकर इन परिवारों के साथ न्याय सुनिश्चित करेंगे.’
2 भाइयों के विवाद में हुआ था एक्शन
कुछ साल पहले दो भाइयों के बीच जमीनी बंटवारे को लेकर विवाद हुआ था, जो कि कोर्ट तक पहुंच गया. कोर्ट ने उन जमीनों की जांच करवाई तो गांव के 440 घर भी नप गए. ये सभी घर भी ओरण भूमि में पाए गए. इसके बाद राजस्थान हाई कोर्ट ने 7 मई को ओरण में बने 440 घरों को तोड़ने का आदेश दे दिया. आदेश आते ही प्रशासन ने मकानों को चिह्नित करके क्रॉस का निशान लगाने का काम पूरा किया. इसके साथ ही तहसीलदार ने 14 मई तक घरों को खाली करने का नोटिस जारी कर दिया. नोटिस में कहा गया था कि यदि 14 तक कोई मकान खाली नहीं करता है तो 16 मई को अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई करते हुए उसका मकान ध्वस्त कर दिया जाएगा और सामान जब्त कर लिया जाएगा. 12 हजार की आबादी वाले इस गांव में करीब एक हजार मकान बने हुए हैं, जिनमें से 440 घरों को तोड़ने की आदेश जारी किया गया है. हाई कोर्ट के आदेश के बाद 20 लोग ऐसे हैं जिन्हें मकान पर कार्रवाई से पहले ही स्टे ले लिया है. ऐसे में उनके मकान पर प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की है.