राजस्थान में पिछले 10 दिनों से हड़ताल पर गए सफाई कर्मचारियों के खिलाफ सरकार अब सख्त रुख अपनाने की तैयारी कर रही है। स्वायत्त शासन विभाग द्वारा सफाई कर्मचारियों के प्रतिनिधि मंडल से एक बार फिर बातचीत की जाएगी। अगर इसमें किस तरह का समाधान नहीं निकला तो जल्द ही सफाई कर्मचारी के खिलाफ नो वर्क नो पे और राज्य कार्य में बाधा का मुकदमा दर्ज करवाया जाएगा। दरअसल, राजस्थान में 24 हजार से ज्यादा पदों पर सफाई कर्मचारियों की भर्ती में वाल्मीकि समाज को प्राथमिकता देने की मांग को लेकर सफाई कर्मचारियों ने 23 जुलाई को हड़ताल पर जाने का फैसला किया था। इसके बाद जयपुर समेत प्रदेशभर में वाल्मीकि समाज के सफाई कर्मचारियों ने कार्य बहिष्कार कर दिया है। इससे सफाई व्यवस्था दिनों दिन बिगड़ रही है। वहीं, प्रदेश के बिगड़ते हालात देख स्वायत्त शासन विभाग के अधिकारियों ने सफाई कर्मचारियों से बातचीत कर समझाइए की कोशिश की। लेकिन संयुक्त वाल्मीकि एवं सफाई श्रमिक संघ की मांगों पर सहमति नहीं बन पाई है। इसके बाद अब स्वायत्त शासन विभाग द्वारा हड़ताल पर गए कर्मचारियों के खिलाफ सख्त एक्शन की तैयारी की जा रही है।
नो वर्क नो पे के साथ राज्य कार्य में बाधा का मुकदमा दर्ज करवाया जा सकता है
इसके तहत हड़ताल पर गए कर्मचारियों के खिलाफ नो वर्क नो पे के साथ राज्य कार्य में बाधा का मुकदमा दर्ज करवाया जा सकता है। हालांकि इससे पहले एक बार फिर कर्मचारियों के साथ बातचीत का प्रयास कर समझाइए की कोशिश की जाएगी। लेकिन अगर इसके बाद भी कर्मचारी नहीं माने, तो सरकार सख्त एक्शन लेगी। संयुक्त वाल्मिकी एवं सफाई श्रमिक संघ के अध्यक्ष नन्दकिशोर डंडोरिया ने बताया- हम हमारा अधिकार मांग रहे हैं। स्वायत्त शासन विभाग किसी तरह की कोई कार्रवाई करें। हम उससे डरने वाले नहीं है। वैसे भी अवकाश लेने का कर्मचारियों को हक है, हम सब अवकाश पर हैं। जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं होगी, हम काम पर नहीं लौटेंगे। डंडोरिया ने कहा कि भर्ती प्रकरण को लेकर हमने मुख्यमंत्री तक अपनी बात पहुंचाई है। जहां से विधायक कालीचरण सर्राफ को इस मामले के समाधान की जिम्मेदारी दी गई है। ऐसे में हमें उम्मीद है कि सरकार हमारी वाजिद समस्या का जल्द समाधान कर सफाई कर्मचारी भर्ती नियमों में संशोधन करेगी। जब तक नियमों में संशोधन नहीं होगा। हमारी हड़ताल जारी रहेगी।
इन मांगों को लेकर अड़ा संघ
- सफाई कर्मचारियों की भर्ती मस्टरोल के आधार पर की जाए।
- 1 साल तक पहले कर्मचारी से काम करवाया जाए, उसके बाद नियुक्ति दी जाए।
- वाल्मीकि समाज के अभ्यर्थियों को प्राथमिकता दी जाए।
- पूर्व की जिन भर्तियों में कोर्ट में मामला विचाराधीन है, या जिन पर निर्णय हो चुका है। उनमें नियुक्ति के आदेश जारी किए जाएं।