राजस्थान के ओपन गार्डन में करीब 500 साल पहले हुआ था इस मंदिर का निर्माण। भगवान शिव का यह मंदिर एक दर्शन से ही भक्तों की सारी भावनाओं से परिपूर्ण होता है।
तो आज हम आपको राजस्थान के शहर उदयपुर के एकलिंग जी मंदिर का भ्रमण करवाते हैं. तो यहां हम जानेंगे कि मंदिर कितनी पौराणिक है. साथ ही वास्तुशिल्प कैसी है यहां कैसे पहुंच सकते हैं. इसके अलावा मंदिर में कैसे और किस वक्त भगवान का दर्शन कर सकते हैं. यहां हम सबकुछ आपको बताएंगे.
यूं तो राजस्थान का हर शहर घूमने घुमक्कड़ों के लिए बहुत ही बेहतरीन जगह माना जाता है. यहां हर दिन जयपुर, जोधपुर, जैसलमेर जैसे कई शहरों में देश और विदेश से हजारों सैलानी पहुंचते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि यहां सानातन धर्म के मानने वाले तीर्थ यात्रियों के लिए भी कई पौराणिक मंदिर हैं. प्रदेश भर में ऐसे कई मंदिर हैं जिसे देखकर हर कोई प्रस्न्न हो जाता है. मंदिर की वास्तु कला ऐसी है कि देखते ही लोगों की आंखें फटी की फटी रह जाती है.
मंदिर का इतिहास और वास्तुकला
इस मंदिर में जो मूर्ति है वह भगवान शिव की है. यहां स्थापित शिवलिंग काले पत्थर से बना हुआ है. मंदिर की दक्षिण ओर की दीवार पर शिलालेख है. इससे पता चलता है कि मंदिर में मूर्ति की प्राणप्रतिष्ठा बप्पा रावल और फिर महाराणा रायमल जी के द्वारा 15वीं शताब्दी (1473 से लेकर 1509 बीच) के आसपास हुई थी.
कैसे पहुंचें एकलिंगजी मंदिर?
एकलिंगजी मंदिर उदयपुर से करीब 22 किलोमीटर की दूरी पर है. यहां हवाई मार्ग, रेलवे के साथ-साथ सड़क के जरिए आसानी से पहुंच सकते हैं. उदयपुर से अगर आप सार्वजनिक परिवहन से जाना चाहते हैं तो इसकी भी अच्छी सुविधा है. इसके अलावा आप प्राइवेट टैक्सी या कैब लेकर भी यहां आसानी से पहुंच सकते हैं.