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क्या वैष्णो देवी में नहीं बनेगा रोपवे? 4 दिन से पालकी वालो की हड़ताल

जम्मू-कश्मीर। रिपोर्ट टाइम्स।

जम्मू-कश्मीर में त्रिकुटा की पहाड़ियों पर विराजमान माता वैष्णो देवी मंदिर के लिए प्रस्तावित रोपवे परियोजना का विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा.सोमवार लगातार चौथे दिन इस योजना के हितधारकों ने उग्र प्रदर्शन किया. इस दौरान कांग्रेस के नेता भी हितधारकों के प्रदर्शन में शामिल रहे. हालात को देखते हुए ताराकोट मार्ग से सांझी छत के बीच 250 करोड़ रुपये लागत वाले इस प्रस्तावित रोपवे का काम रोक दिया गया है. बड़ा सवाल यह कि लोग इस रोपवे का विरोध क्यों क रहे हैं? इस सवाल का जवाब योजना के उद्देश्य में ही छिपा है.

माता वैष्णो देवी की चढ़ाई में कम से कम 7 घंटे लगते हैं. इसके लिए श्रद्धालुओं को 13 किमी की दूरी या तो पैदल चलकर पूरी करनी होती है या फिर टट्टू या पालकी से जाना होता है. ऐसे हालात में कई बार श्रद्धालु ना तो पैदल चलने में समर्थ होते हैं और ना ही वह पालकी या टट्टू पर सवारी में ही सहज होते हैं. इसी समस्या के समाधान के तौर पर श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने इस रोपवे प्रस्ताव पर आगे बढ़ने की योजना बनाई थी. बोर्ड का दावा है कि रोपवे प्रोजेक्ट पूरा होने से माता मंदिर की दूरी महज एक घंटे की रह जाएगी.

हितधारकों को सता रहा बेरोजगारी का डर

दरअसल योजना का विरोध करने वाले सभी हितधारक टट्टू वाले और पालकी वाले हैं. उन्हें डर है कि रोपवे प्रोजेक्ट आते ही वह बेरोजगार भी हो जाएंगे. उनका डर जायज भी है. अभी वह श्रद्धालुओं से मनमानी रकम वसूल करते हैं और यहां उनकी मोनोपॉली चलती है. वहीं जब रोपवे बन जाएगा तो लोग इनसे उलझने के बजाय रोपवे की सेवाएं लेना ज्यादा पसंद करेंगे. हितधारकों को संबोधित करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपेंद्र सिंह जामवाल ने भी इस आशंका को दोहराया. कहा कि रोपवे का काम दो साल में पूरा हो जाएगा. इसके बाद यहां सेवा देने वाले बेरोजगार हो जाएंगे.

श्रद्धालुओं को मिलेगी बेहतर सुविधा

श्रीमाता श्राइन बोर्ड के मुताबिक अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस रोपवे में यात्रा करने से किसी श्रद्धालु को कोई दिक्कत भी नहीं होगी. बड़ी बात यह कि इस सुविधा से लोगों का समय और पैसा तो बचेगा ही, उन्हें किसी तरह की मानसिक या शारीरिक परेशानी से भी नहीं जूझना होगा. बोर्ड के मुताबिक इस सुविधा से माता मंदिर में दर्शन के लिए श्रद्धालुओं और पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी और इससे यहां पर्यटन का दायरा भी बढ़ेगा. बावजूद इसके, योजना के हित धारक विरोध में हैं. इसलिए जरूरी है कि उनका भी दर्द समझ लिया जाए.

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