रिपोर्ट टाइम्स।
केंद्र सरकार में मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और शेरगढ़ विधायक बाबूसिंह राठौड़ की एक तस्वीर ने राजस्थान की सियासत में हलचल मचा दी है। इस तस्वीर में दोनों नेताओं के साथ केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी दिखाई दे रहे हैं। इस तस्वीर की चर्चा इसलिए है क्योंकि शेखावत और राठौड़ कभी धुर विरोधी रहे हैं और कई बार दोनों नेताओं के बीच तीखी बयानबाजी हो चुकी है।
लोकसभा चुनाव से पहले भी इन दोनों नेताओं के बीच संघर्ष देखने को मिला था, लेकिन समय के साथ उनकी सुलह हो गई। अब एक बार फिर इनकी तस्वीरों का एक साथ आना सियासी गलियारों में सवाल खड़े कर रहा है। क्या यह तस्वीर आगामी चुनावों के सियासी समीकरण को प्रभावित करेगी? इस पर जोरदार चर्चाएं शुरू हो चुकी हैं।|
राठौड़ की सुलह से राजस्थान सियासत में नया मोड़
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की मध्यस्थता में हुई बैठक के बाद गजेंद्र सिंह शेखावत और बाबू सिंह राठौड़ के बीच मतभेद सुलझे और दोनों नेताओं ने मिलकर सियासी धारा को एक नया मोड़ दिया। इस बैठक में जो दोनों नेताओं ने ‘ऑल गुड’ का संदेश दिया, वह राजस्थान की सियासत में एक महत्वपूर्ण संकेत के रूप में सामने आया। यह तस्वीर इस बात का प्रतीक बन गई कि सियासी मुकाबलों के बावजूद, जब मामला पार्टी या व्यक्तिगत विवाद से बाहर जाता है, तो सुलह संभव हो सकती है।
राजस्थान की सियासत में कांग्रेस, भाजपा के बीच की तकरार
वर्तमान समय में शेखावत और राठौड़ की सुलह के बाद राजस्थान की सियासत में कांग्रेस और भाजपा के बीच की तकरार और बयानबाजी भी अब तेज हो गई है। जहां भाजपा के नेता और कार्यकर्ता अपनी एकजुटता का संदेश दे रहे हैं, वहीं कांग्रेस ने अपनी तरफ से इस घटनाक्रम को ‘राजनीतिक ड्रामा’ के रूप में पेश किया है। इस घटनाक्रम ने राज्य की सियासत में न केवल अंदरूनी समीकरण बदलने की संभावनाएं बढ़ा दी हैं, बल्कि आगामी विधानसभा चुनावों के लिए नए गठबंधन और संघर्षों की जमीन भी तैयार कर दी है।
क्या सुलह से राज्य की सियासत में होगा बदलाव?
अब सवाल यह उठता है कि क्या इस सुलह से राजस्थान की राजनीति में कोई बड़ा बदलाव आएगा? शेखावत और राठौड़ दोनों ही नेता महत्वपूर्ण हैं, और यदि उनके बीच इस तरह की सुलह जारी रहती है, तो यह कांग्रेस के लिए एक चुनौती बन सकता है। इस घटनाक्रम को देखते हुए राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टी अपनी रणनीतियों को बदलने के लिए मजबूर हो सकती हैं। राजस्थान की राजनीति में इन दोनों नेताओं के गठबंधन की संभावनाओं पर अब सियासी हलकों में गहरी नजरें लगी हुई हैं।
शेखावत के खिलाफ राठौड़ का विरोध.. उसकी राजनीतिक परिणतियां
वर्तमान में शेखावत के खिलाफ राठौड़ के विरोध ने राजस्थान की राजनीति में एक नई दिशा का संकेत दिया था। राठौड़ के हमलों और शेखावत की स्थिति को देखते हुए भाजपा के अंदर भी असमंजस की स्थिति पैदा हुई थी। लेकिन अब दोनों नेताओं के बीच सुलह हो जाने से यह सवाल उठता है कि क्या यह सिर्फ चुनावी रणनीति का हिस्सा है, या फिर यह वाकई में एक नई राजनीतिक दिशा का आरंभ है। राजस्थान में राजनीतिक समीकरण कभी भी पलट सकते हैं, और यह मुलाकात आने वाले चुनावों में अहम भूमिका निभा सकती है।
राजनीतिक गर्म माहौल, सुलह या चुनावी रणनीति?
राजस्थान के भीतर सियासी माहौल अब गर्म हो चुका है। हालांकि, शेखावत और राठौड़ की सुलह को लेकर जहां एक ओर भाजपा नेतृत्व इस सुलह को राज्य में सकारात्मक कदम मान रहा है, वहीं कांग्रेस इसे भाजपा के अंदर की सियासी साजिश के रूप में देख रही है। यह घटनाक्रम आने वाले समय में राजस्थान की राजनीतिक स्थिति को प्रभावित कर सकता है, और भाजपा को राज्य में एक नया राजनीतिक धरातल तैयार करने का अवसर भी मिल सकता है।