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पूर्व महाराणा अरविंद सिंह का निधन, उदयपुर की विरासत को बड़ा नुकसान

उदयपुर। रिपोर्ट टाइम्स।

राजसी शान, गौरवशाली विरासत और ऐतिहासिक परंपराओं के प्रतीक मेवाड़ ने आज अपने एक महान संरक्षक को खो दिया। उदयपुर के सिटी पैलेस में जन्मे, मेवाड़ राजवंश के सम्मानित सदस्य अरविंद सिंह मेवाड़ अब इस संसार को अलविदा कह चुके हैं। 81 वर्षीय अरविंद सिंह लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे थे और आज अल सुबह उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर से न केवल उदयपुर, बल्कि पूरे मेवाड़ में शोक की लहर दौड़ गई है।

उनका अंतिम दर्शन सोमवार, 17 मार्च को सुबह 7 बजे से होगा, और सुबह 11 बजे शाही परंपराओं के अनुसार उनकी अंतिम यात्रा शंभू निवास से महासतिया के लिए प्रस्थान करेगी। यह यात्रा उदयपुर की ऐतिहासिक गलियों से होते हुए बड़ी पोल, जगदीश चौक, घंटाघर, बड़ा बाजार और देहली गेट से गुजरेगी, जहां हजारों की संख्या में लोग अपने प्रिय राजपरिवार के सदस्य को अंतिम विदाई देंगे।

मेवाड़ की ऐतिहासिक धरोहर का एक सुनहरा अध्याय आज समाप्त हो गया, लेकिन अरविंद सिंह मेवाड़ की विरासत, उनकी सेवा और समर्पण सदा अमर रहेंगे।

मेवाड़ की संस्कृति को रखा जीवित..

अरविंद सिंह मेवाड़ ने मेवाड़ की संस्कृति, परंपराओं और ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। विशेष रूप से, उन्होंने उदयपुर के सिटी पैलेस के संरक्षण और विकास में अपनी पूरी ऊर्जा लगा दी। उनके प्रयासों के चलते यह केवल एक शाही महल नहीं, बल्कि इतिहास, कला और संस्कृति का जीवंत प्रतीक बन गया।

उनका अंतिम दर्शन सोमवार, 17 मार्च को सुबह 7 बजे से कराया जाएगा। इसके बाद सुबह 11 बजे उनकी अंतिम यात्रा शाही परंपराओं के अनुसार शंभू निवास से महासतिया के लिए निकलेगी। यह यात्रा उदयपुर की ऐतिहासिक गलियों से बड़ी पोल, जगदीश चौक, घंटाघर, बड़ा बाजार और देहली गेट होते हुए महासतिया पहुंचेगी। हजारों की संख्या में लोग उन्हें अंतिम विदाई देने के लिए उमड़ेंगे।

पिछले साल उनके भाई का हुआ था निधन

महेंद्र सिंह मेवाड़ के छोटे भाई अरविंद सिंह पिछले कुछ समय से गंभीर बीमारियों से जूझ रहे थे। पिछले साल नवंबर में उनके बड़े भाई महेंद्र सिंह मेवाड़ का भी निधन हो गया था, जिससे राजपरिवार पहले ही शोक में था। अब अरविंद सिंह के निधन ने पूरे मेवाड़ को फिर से गहरे दुख में डाल दिया है।

अरविंद सिंह मेवाड़ के निधन से न केवल मेवाड़, बल्कि पूरा राजस्थान एक महान व्यक्तित्व से वंचित हो गया है। उन्होंने अपने जीवन को संस्कृति, इतिहास और परंपराओं के संरक्षण के लिए समर्पित कर दिया था। उनका योगदान हमेशा अमर रहेगा, और मेवाड़ की विरासत में उनका नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा।

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