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सीजफायर का फैसला कैसे होता है, भारत और पाकिस्तान अब क्या करेंगे?

REPORT TIMES ; भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर यानी संघर्ष विराम की घोषणा हुई है. सबसे पहले इसकी घोषणा अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने की. ट्रंप के बयान के बाद विदेश सचिव विक्रम मिसरी शाम 6 बजे प्रेस ब्रीफ के लिए आए. 42 सेकेंड में अपनी बात खत्म की और चले गए. उन्होंने कहा- पाकिस्तान के DGMO ने शनिवार दोपहर 3:35 बजे भारतीय DGMO को फोन किया. सहमति बनी कि दोनों पक्ष शनिवार दोपहर 5 बजे से जमीन, हवा और समुद्र में सभी तरह की गोलीबारी और सैन्य कार्रवाई बंद कर देंगे.

इस सहमति को लागू करने के लिए दोनों पक्षों को निर्देश दिए गए हैं. वे 12 मई को दोपहर 12 बजे फिर से बात करेंगे. इस फैसले को लेकर लोगों के मन में कई सवाल हैं सीजफायर आखिर होता क्या है? इससे जमीनी हालात पर क्या असर होता है? और इसे लागू करने का तरीका क्या होता है? आसान भाषा में समझिए कि सीजफायर क्या होता है और भारत-पाकिस्तान के संदर्भ में इसका क्या मतलब है.

सीजफायर का मतलब क्या होता है?

सीजफायर का मतलब होता है संघर्ष या लड़ाई पर अस्थायी या स्थायी रोक. जब दो देश या पक्ष आपसी सहमति से गोलीबारी और अन्य सैन्य गतिविधियां बंद करने का फैसला करते हैं, तो इसे ही सीजफायर कहा जाता है. यह एक तरह की शांति पहल होती है ताकि बातचीत का माहौल बन सके या मानवीय मदद पहुंचाई जा सके. सीजफायर एकतरफा भी हो सकता है, यानी कोई एक पक्ष युद्ध रोकने की घोषणा करे. या फिर यह आपसी सहमति से भी लागू हो सकता है, जिसमें दोनों पक्ष हमले रोकने का वादा करते हैं.

भारत-पाकिस्तान सीजफायर: क्यों और कैसे?

भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर का इतिहास 1949 से जुड़ा है, जब कश्मीर युद्ध के बाद संयुक्त राष्ट्र के हस्तक्षेप से दोनों देशों ने एक समझौते के तहत फायरिंग रोकने की बात मानी. इसी समझौते में सीजफायर लाइन बनाई गई थी, जिसे आज लाइन ऑफ कंट्रोल (LoC) कहा जाता है.

हाल ही में जो सीजफायर हुआ है, उसमें मिसाइल और ड्रोन हमलों को रोकने पर सहमति बनी है. इसमें खास तौर पर पाकिस्तान की ओर से इस्तेमाल किए जा रहे तुर्की के ड्रोन (जैसे Asisguard Songar) और भारत की संवेदनशील सैन्य जगहों जैसे अडंमपुर में S-400 सिस्टम को निशाना बनाए जाने पर रोक लगाने की बात है.

सीजफायर का प्रोटोकॉल क्या होता है?

सीजफायर का कोई एक तय फॉर्मूला नहीं होता, लेकिन कुछ आम प्रोटोकॉल जरूर होते हैं. जैसे दोनों देशों की सेनाएं अग्रिम मोर्चों पर आक्रामक गतिविधियां रोक देती हैं. नागरिक ठिकानों (जैसे अस्पताल, स्कूल आदि) को निशाना नहीं बनाया जाता. गलत सूचनाएं और दुष्प्रचार (मिसइनफॉर्मेशन) रोकने पर सहमति होती है, सोशल मीडिया पर निगरानी बढ़ा दी जाती है, ताकि अफवाहें फैले नहीं. किसी तीसरे देश या संस्था (जैसे UN या अमेरिका) को निगरानी की जिम्मेदारी दी जा सकती है.

दुष्प्रचार और सीजफायर उल्लंघन की चुनौती

हालांकि सीजफायर के बाद भी जमीनी हकीकत में बदलाव देखना हमेशा मुमकिन नहीं होता. पाकिस्तान की तरफ से पहले भी कई बार संघर्ष विराम के उल्लंघन की घटनाएं सामने आ चुकी हैं. इसके अलावा, सोशल मीडिया पर फर्जी वीडियो या दावे फैलाकर माहौल को खराब करने की कोशिशें होती रही हैं. सीजफायर का मकसद होता है तनाव को कम करना, बातचीत की संभावनाएं बढ़ाना और जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित करना. लेकिन इसका स्थायी असर तभी होता है जब दोनों पक्ष ईमानदारी से इसका पालन करें. किसी भी उल्लंघन से विश्वास टूटता है और हालात फिर से युद्ध की तरफ बढ़ सकते हैं.

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