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CM शिवराज ने किया आदि गुरु शंकराचार्य की प्रतिमा का अनावरण, कहा- विश्व को मिलेगा सनातन का संदेश

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मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ओंकारेश्वर में आदि गुरु शंकराचार्य की प्रतिमा का अनावरण किया. इस अनुष्ठान में 5 हजार से ज्यादा संत शामिल हुए. प्रतिमा के अनावरण के साथ ही मुख्यमंत्री शिवराज ने संतों के साथ इसकी परिक्रमा भी की. इस दौरान प्रस्थानत्रय भाष्य पारायण और दक्षिणाम्नाय श्रृंगेरी शारदापीठ के मार्गदर्शन में देश के करीब 300 विख्यात वैदिक आचार्यों द्वारा वैदिक रीति पूजन और 21 कुंडीय हवन किया गया.प्रतिमा के अनावरण के बाद स्वामी अवधेशानंद ने कहा कि इस ऐतिहासिक आयोजन में शामिल होकर अभिभूत हूं. उन्होंने इसके लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को श्रेय दिया. उन्होंने कहा कि यह सीएम शिवराज के भगीरथ प्रयास से संभव हो सका है. उन्हो्ंने इसे शताब्दी का एक महान कार्य बताया और कहा कि इससे अनन्तकाल तक मानवता का संदेश मिलता रहेगा.

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शिवराज सरकार का मिशन सनातन

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मान्धाता पर्वत पर शंकराचार्य की इस प्रतिमा का अनावरण उत्तरकाशी के स्वामी ब्रहोन्द्रानन्द और 32 संन्यासियों के हाथों संपन्न कराया गया. सरकार का कहना है ओंकारेश्वर के एकात्म धाम में स्थापित शंकराचार्य के बाल रूप की 108 फीट की एकात्मता की मूर्ति को अध्यात्म और ऊर्जा के स्रोत के तौर पर स्थापित किया गया है. बहुधातु से बनी शंकराचार्य की यह प्रतिमा 108 फीट ऊंची है. इसे एकात्मता की मूर्ति का नाम दिया गया है. मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार का कहना है राज्य में सनातन संस्कृति और धार्मिक केंद्रों के संरक्षण विशेष ध्यान दिया जा रहा है. उज्जैन में महाकाल लोक के बाद अब ओंकारेश्वर में एकात्मधाम इसी दिशा में सरकार का बड़ा कदम है.

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मिश्रित धातु से बनी प्रतिमा

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आदि गुरु शंकराचार्य की इस विशाल प्रतिमा का निर्माण पिछले पांच-छह साल से चल रहा था. इसे प्रसिद्ध चित्रकार वासुदेव कामत और मूर्तिकार भगवान रामपुरे की देखरेख में संपन्न कराया गया. यह विराट प्रतिमा खंडवा जिले के ओंकारेश्वर में है. इसमें 100 टन के मिश्रित धातु का उपयोग किया गया है. मूर्तिकारों ने इस अनोखी और विराट प्रतिमा में किशोर शंकर की भाव भंगिमाओं को जीवंत करने की कोशिश की है ताकि देखने वालों पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़े. मुख्यमंत्री ने कहा कि इसका मकसद दुनिया को शांति और मानवता के उत्थान का संदेश देना है. यहां 12 वर्षीय शंकर की मूर्ति उस समय से प्रेरित है, जब गुरु गोविंदपाद ने उन्हें काशी की दिशा में जाने का आदेश दिया था. तब गुरु ने उनको कहा था – जाओ सनातन वेदान्त अद्वैत परंपरा की फिर से स्थापना करो.

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क्या है प्रतिमा की विशेषता?

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आदि गुरु शंकराचार्य की यह प्रतिमा बहु धातु से निर्मित है. इसमें 16 फीट ऊंचे पत्थर से एक कमल का आधार है और 75 फीट ऊंचा पेडिस्टल बनाया गया है. 45 फीट शंकर स्तंभ पर आचार्य शंकर की जीवन यात्रा चित्रित है. मूर्ति के निर्माण में 250 टन से 316 एल ग्रेड की स्टेनलेस स्टील का उपयोग किया गया है. 100 टन मिश्रित धातुओं में 88 टन तांबा,4 टन जस्ता और 8 टन टिन है.

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