चिड़ावा. क्षेत्र की पुरानी बस्ती में स्थित है ये श्रीश्याम मंदिर। इस मंदिर का निर्माण विक्रमी संवत 2033 में करवाया गया। इस मंदिर में प्रवेश करते ही सामने सभागृह के बाहर ऊपर भगवान कृष्ण की बाँसुरीवादन करते हुए बड़ी मनमोहक कांच से उकेरी गई तस्वीर है। सभागृह में सामने बना है गर्भगृह। जिसमें लखदातार श्रीश्याम विराजे हैं। यहां बड़ी तेजस्वी मूर्ति बाबा की लगी हुई है। मुस्कुराती हुई बाबा की मूर्ति बाबा के प्रत्यक्ष मौजूद होने का अहसास कराती है। बाबा के घोड़े भी यहां बाबा के पास ही विराजे हैं।
एकादशी के दिन आज बाबा का अद्भुत श्रृंगार भी किया गया है। वहीं सभागृह से बाहर दरवाजे के एक तरफ उत्तर दिशा में बना है आदिनाथ भोलेनाथ का शिवालय। श्याम बाबा के साथ भोले बाबा के दर्शनों का पुण्यलाभ यहां मिलता है। शिवालय में माता पार्वती और प्रथम पूज्य गणपति के साथ ही नन्दी महाराज भी विराजित हैं। शिवालय से बिल्कुल सटकर बना है हनुमानजी का देवालय। यहां सिन्दूरवदन मूर्ति विराजित है। चौक में तुलसी माता का पौधा लगा है। इस मंदिर में प्रतिवर्ष बसंत पंचमी पर सालाना उत्सव होता है। वहीं हर माह एकादशी पर भजन संध्या होती है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु बसंत पंचमी पर बाबा को निशान समर्पित करते हैं। बाबा के दरबार की छटा भी अद्भुत है। पूरे सभा भवन में कांच से भगवान के विभिन्न स्वरूप दीवारों पर उकेरे गए हैं, तो वहीं सभागृह के बिल्कुल ऊपर महारास की नयनाभिराम झांकी उकेरी गई है। शिल्पकला की अनूठी छवि यहां देखने को मिलती है। एक बार आप भी इस दरबार में अद्भुत दर्शनों को पधारें और बाबा श्याम के साथ विराजे भोलेनाथ के तेजस्वी स्वरूप के दर्शन कर बड़भागी बने। अब दीजिए इजाजत… कल फिर मिलेंगे एक और शिवालय में…हर हर महादेव।