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सबसे पावरफुल टेलीस्कोप से लेकर जान बचाने वाले ड्रोन तक, दुनिया को मिले ये छह तोहफे

विस्तार पिछले दो वर्ष से हम तबाही की समाचारें ही सबसे ज्यादा पढ़ रहे हैं. इस तबाही के पीछे कोविड-19 महामारी है जिसका नया स्वरूप प्रत्येक कुछ महीनों में सामने आ रहा है, लेकिन इन सबके बीच कुछ सुखद समाचारें भी हैं जिन्होंने दुनिया को सूकून दिए हैं. वैसे को हर वर्ष विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में कई सारे प्रयोग होते हैं, लेकिन इस बार इनकी संख्या कुछ ज्यादा ही है. अभी वर्ष 2022 के दो महीने भी पूरे नहीं हुए लेकिन दुनिया को विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में कई

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बड़े तोहफे मिल चुके हैं. एक तरफ दुनिया का सबसे पावरफुल टेलीस्कोप लॉन्च हुआ है तो दूसरी तरफ ड्रोन ने डिफाइब्रिलेटर (defibrillator) की समय पर डिलीवरी करके 71 वर्ष के बुजुर्ग की जान बचाई. दुनिया को पहली बार कार्बन कैप्चर टेक्नोलॉजी भी मिली है जिस पर एलन मस्क ने 730 करोड़ रुपये खर्च करने का एलान किया है. आइए समझने की प्रयास करते हैं कि क्या वर्ष 2022 विज्ञान और तकनीक के लिए वाकई एक बेंचमार्क बनाएगा? एडवरटाईजमेंट if(typeof is mobile !=undefined && is mobile()){ googletag.cmd.push(function() { googletag.display(div-gpt-ad-1514643645465-2); });} दुनिया का सबसे पावरफुल टेलीस्कोप जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप – फोटो : Istock ड्रोन से पहली बार डिफाइब्रिलेटर की डिलीवरी drone for demo – फोटो : मीडिया ड्रोन का इस्तेमाल फिल्मों में लंबे समय से हो रहा है. इसके अलावा सेना भी ड्रोन का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर करती है. ड्रोन का इस्तेमाल भी डिलीवरी के लिए होता रहा है, लेकिन पहली बार स्वीडन में ड्रोन का इस्तेमाल मेडिकल इमरजेंसी के लिए हुआ है. स्वीडन में एक 71 सालीय बुजुर्ग की जान बचाने में ड्रोन ने अहम भूमिका निभाई है. एक बुजुर्ग जाहीरि को बर्फ में गिरते समय दिल का दौरा पड़ गया था जिसके बाद ड्रोन से डिफाइब्रिलेटर (defibrillator) की डिलीवरी हुई जिसस जाहीरि की जान बची. बता दें कि डिफाइब्रिलेटर वही डिवाइस है जिसके जरिए कार्डिएक अरेस्ट की स्थिति में इलेक्ट्रिक शॉक दिए जाते हैं. कार्बन कैप्चर टेक्नोलॉजी co2 कार्बन कैप्चर टेक्नोलॉजी पिछले कुछ दिनों से काफी चर्चा में है. डेलावेयर यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने हाल ही में हाइड्रोजन द्वारा संचालित विद्युत रासायनिक प्रणाली का उपयोग करके हवा से 99% कार्बन डाइऑक्साइड को कैप्चर करने का डेमो दिखाया है जिसके बाद से इसकी चर्चा बड़े स्तर पर होने लगी है. टेस्ला के चीफ और दुनिया के सबसे धनी शख्स एलन मस्क ने भी कार्बन कैप्चर टेक्नोलॉजी पर करीब 720 करोड़ रुपये खर्च करने का एलान किया है.

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उन्होंने ट्वीट करके कहा कि वे कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन टेक्नोलॉजी की खोज करने वाले जाहीरि को 720 करोड़ रुपये का पुरस्कार देंगे. अब प्रश्न यह है कि आखिर क्या है कार्बन कैप्चर टेक्नोलॉजी? तो आपकी जानकारी के लिए बताते चलें कि वातावरण में फैले या फैलने वाले कार्बन डाइऑक्साइड को कैप्चर करने की प्रक्रिया ही कार्बन कैप्चर टेक्नोलॉजी है. फैक्ट्रियों और तमाम पावर प्लांट की चिमनियों से निकलने वाले कार्बन डाइऑक्साइड को कैप्चर करके किसी अन्य स्थान स्टोर किया जाएगा जिससे वातारण को बचाया जा सकेगा. सबसे तेज डीएनए का अनुक्रमण गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स Fastest DNA Sequencing – फोटो : nvidia गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ने हाल ही में स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के नेतृत्व वाली अध्ययन टीम को सबसे तेज डीएनए अनुक्रमण तकनीक का सर्टिफिकेट दिया है. सबसे तेज डीएनए का अनुक्रमण आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और एक्सीलेदरेड कंप्यूटर की सहायता से किया गया है. यह रिकॉर्ड महज पांच घंटे और दो मिनट में बना है. इस दौरान चिकित्सक्स ने एक रोगी से ब्लड लिया और उसी दिन एक आनुवांशिक डिसऑर्डर रोगी को ठीक किया. आमतौर पर डीएनए अनुक्रमण में एक हफ्ते से भी अधिक का समय लग जाता है. यह अध्ययन 12 रोगीों पर हुआ है जिनमें से पांच रोगी कुछ ही घंटों में ठीक हुए हैं.बता दें कि डीएनए अनुक्रमण के अनुसार डीएनए अणु के भीतर एडानीन (A), गुआनीन (G), साइटोसीन (C) और थायामीन (T) के क्रम का पता लगाया जाता है. इस अध्ययन में गूगल और NVIDIA की भी सहायता ली गई है. पहली बार एचआईवी से ठीक हुए महिला HIV अमेरिका में चिकित्सकों की एक टीम ने एचआईवी पीड़ित एक महिला को ठीक कर दिया है. यह पहला मौका है जब स्टेमसेल ट्रांसप्लांट के एक जरिए किसी को उपचार हुआ और उपचार पास हुआ. आपको जानकर दंगी होगी कि यह स्टेमसेल एक ऐसे जाहीरि ने दान किए थे जिसके अंरेट पहले से ही एचआईवी वायरस के विरूद्ध प्रकृतिी प्रतिरोधक क्षमता थी. स्टील से मजबूत और प्लास्टिक से हल्का पदार्थ new material – फोटो : MIT मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के केमिकल इंजीनियर्स की एक टीम ने एक नया मैटेरियल तैयार किया है जो कि स्टील से भी मजबूत है और प्लास्टिक से भी हल्का है. यह मैटेरियल पोलीमराइजेशन प्रक्रिया के जरिए बनाई गई है. इसका इस्तेमाल कार के पुर्जों, फोन, टिकाऊ कोटिंग या पुलों के निर्माम में क्रांति ला सकता है. इसका इस्तेमाल जंग की समस्या को ही जड़ से समाप्त कर सकता है. एडवरटाईजमेंट if(typeof app adv status !==undefined && app adv status == disable){ if(typeof is mobile !=undefined && is mobile()){googletag.cmd.push(function() { googletag.display(“div-gpt-ad-1517823702248-0”); });} } अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा द्वारा अंतरिक्ष में भेजा गया अब तक का सबसे संदेह्तिशाली जेम्स वेब टेलीस्कोप सोमवार को (24 जनवरी) पृथ्वी से एक मिलियन मील दूर अपने आखिरी गंतव्य पर पहुंचा है.जेम्स वेब टेलीस्कोप नाम का यह टेलीस्कोप पृथ्वी से लगभग एक मिलियन मील (1.5 मिलियन किमी) की दूरी पर दूसरे लैग्रेंज प्वाइंट (L2) की कक्षा में है. यह पृथ्वी के अनुरूप सूर्य की परिक्रमा करेगा, क्योंकि यह एल-2 (L2) की परिक्रमा करता है.“अंतरिक्ष में 30 दिनों की यात्रा के बाद अपने आखिरी गंतव्य पर पहुंचा है. हब्बल का उत्तराधिकारी कहा जाने वाला यह टेलीस्कोप उससे 100 गुना ज्यादा संदेह्तिशाली है. James Webb Space Telescope अंतरिक्ष की सुदूर गहराइयों को देखने में सक्षम होगा. जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप के ऑप्टिक्स पर करीब 25 लाख रुपये के सोने की परत को चढ़ाया गया है. आप इस टेलीस्कोप की योग्यियत का पता इस बात से लगा सकते हैं कि यदि इसको चांद पर रख दिया जाए, तो यह पृथ्वी पर उड़ रही एक मक्खी को भी सरली से डिटेक्ट कर सकेगा. इसे बनाने में करीब 9.7 बिलियंस $ का खर्चा इनकमा है. ड्रोन का इस्तेमाल फिल्मों में लंबे समय से हो रहा है. इसके अलावा सेना भी ड्रोन का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर करती है. ड्रोन का इस्तेमाल भी डिलीवरी के लिए होता रहा है, लेकिन पहली बार स्वीडन में ड्रोन का इस्तेमाल मेडिकल इमरजेंसी के लिए हुआ है. स्वीडन में एक 71 सालीय बुजुर्ग की जान बचाने में ड्रोन ने अहम भूमिका निभाई है. एक बुजुर्ग जाहीरि को बर्फ में गिरते समय दिल का दौरा पड़ गया था जिसके बाद ड्रोन से डिफाइब्रिलेटर (defibrillator) की डिलीवरी हुई जिसस जाहीरि की जान बची. बता दें कि डिफाइब्रिलेटर वही डिवाइस है जिसके जरिए कार्डिएक अरेस्ट की स्थिति में इलेक्ट्रिक शॉक दिए जाते हैं. कार्बन कैप्चर टेक्नोलॉजी पिछले कुछ दिनों से काफी चर्चा में है. डेलावेयर यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने हाल ही में हाइड्रोजन द्वारा संचालित विद्युत रासायनिक प्रणाली का उपयोग करके हवा से 99% कार्बन डाइऑक्साइड को कैप्चर करने का डेमो दिखाया है जिसके बाद से इसकी चर्चा बड़े स्तर पर होने लगी है. टेस्ला के चीफ और दुनिया के सबसे धनी शख्स एलन मस्क ने भी कार्बन कैप्चर टेक्नोलॉजी पर करीब 720 करोड़ रुपये खर्च करने का एलान किया है.

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उन्होंने ट्वीट करके कहा कि वे कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन टेक्नोलॉजी की खोज करने वाले जाहीरि को 720 करोड़ रुपये का पुरस्कार देंगे. अब प्रश्न यह है कि आखिर क्या है कार्बन कैप्चर टेक्नोलॉजी? तो आपकी जानकारी के लिए बताते चलें कि वातावरण में फैले या फैलने वाले कार्बन डाइऑक्साइड को कैप्चर करने की प्रक्रिया ही कार्बन कैप्चर टेक्नोलॉजी है. फैक्ट्रियों और तमाम पावर प्लांट की चिमनियों से निकलने वाले कार्बन डाइऑक्साइड को कैप्चर करके किसी अन्य स्थान स्टोर किया जाएगा जिससे वातारण को बचाया जा सकेगा. गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स ने हाल ही में स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के नेतृत्व वाली अध्ययन टीम को सबसे तेज डीएनए अनुक्रमण तकनीक का सर्टिफिकेट दिया है. सबसे तेज डीएनए का अनुक्रमण आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और एक्सीलेदरेड कंप्यूटर की सहायता से किया गया है. यह रिकॉर्ड महज पांच घंटे और दो मिनट में बना है. इस दौरान चिकित्सक्स ने एक रोगी से ब्लड लिया और उसी दिन एक आनुवांशिक डिसऑर्डर रोगी को ठीक किया. आमतौर पर डीएनए अनुक्रमण में एक हफ्ते से भी अधिक का समय लग जाता है. यह अध्ययन 12 रोगीों पर हुआ है जिनमें से पांच रोगी कुछ ही घंटों में ठीक हुए हैं.बता दें कि डीएनए अनुक्रमण के अनुसार डीएनए अणु के भीतर एडानीन (A), गुआनीन (G), साइटोसीन (C) और थायामीन (T) के क्रम का पता लगाया जाता है. इस अध्ययन में गूगल और NVIDIA की भी सहायता ली गई है.

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