एक बार फिर प्यार के आगे सरहद छोटी पड़ गई। भाषा, धर्म और रीति-रिवाज के सभी बंधन टूट गए। जर्मन की दुल्हनिया और बिहार का दूल्हा, जब शादी के स्टेज पर चढ़े तो सब देखते रहे। इस अनूठी शादी का साक्षी बना नालंदा का राजगीर। दोनों की प्रेम कहानी तीन साल में परवान चढ़ी। कोरोना के कारण शादी ट लती गई पर आज दोनों साथ हैं।
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नवादा के नरहट प्रखंड के बेरोटा सत्येंद्र कुमार और जर्मनी की लारिसा बैल्ज हिंदू रीति-रिवाजों से शादी के बंधन में बंध गए। दोनों स्वीडन में साथ-साथ शोध करते थे। जर्मनी की लारिसा को न तो हिंदी आती है और ना ही वह विधि-विधान जानती हैं, लेकिन जब विवाह समारोह शुरू हुआ तो उसने वह सारी रस्में निभाई। हल्दी का उबटन लगाया, पाणिग्रहण से लेकर वर पूजन तक सब रस्में हुई। सिंदूर दान के बाद लारिसा बैल्ज सुहागन बन गई।
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