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प्याज की खेती के लिए सीकर जिला देश भर में अपनी विशेष पहचान रखता है, लेकिन इस बार किसान बेहद निराश हैं। किसानों को उनकी लागत का भी पूरा पैसा नहीं मिल पा रहा है। बढ़ती महंगाई के चलते लागत पिछले साल की बजाय दोगुनी हो चुकी है। मौसम में हुए बदलावों के चलते क्वालिटी का प्याज तैयार नहीं हो पाया है। इस कारण पिछले एक महीने से प्याज के एक ही दाम बने हुए हैं। किसानों का कहना है कि कम भावों के चलते उनक अब लागत चुका पाना भी मुश्किल हो रहा है।
मंडी व्यापारी झाबरमल ने बताया कि प्याज की खेती करने वाले किसानों की हालत बेहद ख़राब है क्योंकि मंडी में 4 से 9 रुपए प्रति किलो प्याज बिक रहा है। ऐसे में किसानों को लागत से भी आधे रुपए मिल रहे हैं। पिछली बार प्याज के भाव अप्रैल महीने में प्याज के भाव 9 से 15 रुपए प्रति किलो थे। इस बार यह आधे हो चुके हैं। झाबरमल ने बताया कि बढ़ती महंगाई के दौर में लागत भी करीब 10 रुपए प्रति किलो आ रही है। पिछले साल प्याज की कटाई में प्रति बीघा पर किसान को करीब 4 से 5 हजार की लागत आती थी जो अब बढ़कर 7 से 8 हजार रुपए प्रति किलो हो चुकी है। इसके साथ ही मौसम में अचानक हुआ बदलावों के कारण फसल भी झुलसी है।