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गली-माेहल्लाें में घूमते गोवंश, जाे मिला वाे खा लिया। डंडे खाए। सर्द रात हाे या तपती दुपहरी इनका घर गांव की सड़कें और गलियां ही था। हालात ये थे कि लाेग इनसे और ये लाेगाें से परेशान थीं, ऐसे में कुछ लाेगाें ने इनके लिए कुछ करने का संकल्प लिया। नतीजा यह है कि कल तक जाे बेसहारा सड़काें पर घूमती थीं आज उनके नाम बैंक में एक-एक लाख रुपए की एफडी है।
यहां हम जिन लखपति राधा, राधिका, सीता, माेहना व गीता और इन्हीं की जैसी अन्य 26 के बारे में बात कर रहे हैं, वे जिले की जमवाय ज्याेति गाेलाशा की गायें हैं। जिले के भोड़की के धमाणा जोहड़ के पास बनीं यह जमवाय ज्योति गोशाला अपने आप में अनूठी है। इस गाेशाला में अभी करीब 1000 गाय हैं, इनमें से 28 गाय ऐसी हैं जिनके नाम बैंक एफडी है।
ग्रामीणों के सहयोग से संचालित इस गोशाला में गाय को गोद देने की एक परंपरा है। जाे गाय गाेद लेता है वहीं यह लाख रुपए की एफडी उस गाय के नाम से बैंक में करवाता है। एफडी नाेट गाेशाला प्रबंधन के पास और यह राशि बैंक में जमा रहती है। इससे मिलने वाले ब्याज और जनसहयाेग से उस गाय का पालन पोषण हाेता है।