चिड़ावा।संजय दाधीच
शहर के मुख्य बाजार के पास स्थित परमहंस बावलिया बाबा की साधना स्थली चौरासिया मन्दिर में रविवार से नानी बाई को मायरो कथा का शुभारंभ हुआ। इस दौरान पहले दिन कथा वाचक रितम कौशिक ने कथा के पहले दिन प्रवचन देते हुए कहा कि भक्ति के लिए साधक की साधना का बड़ा महत्व है।
कथावाचक ने कही ये बात
कथा वाचक रितम कौशिक ने कहा कि जब तक साधना ही लगन से नहीं होगी तो फिर ईश्वर की प्राप्ति असम्भव है। कुछ ऐसी ही भक्ति भगवान के अनन्य भक्त नरसी मेहता की थी। वे बड़े साहूकार थे। उनका नाम देश मे विख्यात था। लेकिन उनको धन से बिल्कुल भी प्रेम नहीं था। उनको तो केवल भगवान से प्रेम था। वे जीवन पर्यंत केवल हरि भक्ति में लीन रहे।
ये रहे मौजूद
कथा के दौरान झण्डीप्रसाद हिम्मतरामका, पं.प्रभुशरण तिवाड़ी, श्याम जांगिड़, कैलाश सिंह कविया, सन्दीप हिम्मतरामका, विनोद चौरासिया सहित काफी संख्या में महिलाएं भी कथा में मौजूद रही। कथा के पूर्व आचार्य पं.नरेश शास्त्री ने विधिपूर्वक पूजन करवाकर कथा का शुभारंभ करवाया।