चिड़ावा।संजय दाधीच
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गोगाजी की ढाणी में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन कथाव्यास राजाराम महाराज ने रुकमणी-कृष्ण विवाह प्रसंग की व्याख्या की। इस दौरान उन्होंने कहा कि ईश्वर को मन से वरण करने वाले की पुकार ईश्वर जरुर सुनते हैं और ईश्वर भी स्वयं उसका वरण करते हैं।
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उन्होंने कहा कि रुकमणी ने मन क्रम वचन से भगवान श्रीकृष्ण को पति रूप में वरण किया। इसी वजह भगवान ने भी रुकमणी को पत्नी रूप में स्वीकार किया। कथा के दौरान सुंदर झांकी भी सजाई गई। इस दौरान मन मोहक भजनों पर महिलाओं ने जमकर नृत्य किया।
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कथा में किशोर स्वामी, मक्खन सांखला, ताराचंद, मनोज, मूलचंद, सन्तोष, कर्ण सिंह सहित काफी संख्या में महिला व पुरुष श्रद्धालु मौजूद रहे। आखिर में आरती के बाद प्रसाद वितरण किया गया।
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