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जिले की 1571 आशा सहयोगिनी की CMHO स्तर पर ही होगी रिपोर्टिंग

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अब आशा सहयोगिनी मेडिकल डिपार्टमेंट के अंडर में आ गई है। जिले की सभी आशा सहयोगिनियों को मेडिकल डिपार्टमेंट मर्ज कर दिया गया है। अब तक समेकित बाल विकास विभाग व चिकित्सा विभाग दोनों के साथ काम कर रही थी। दो विभागों में फंसी आशा सहयोगिनियों को अब सीधे सीएमएचओ स्तर पर ही रिपोर्टिंग करनी होगी। जिले में 1571 आशा सहयोगिनियों को सीधे तौर पर फायदा मिला है।17 साल बाद राज्य सरकार ने ये राहत देकर चिकित्सा विभाग में मर्ज करने के आदेश दिए। अब इनका वेतन भी बढ़ाया जाएगा। दो विभागों के बीच फंसे होने से कई परेशानियां आ रही थी।

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आंगनबाड़ी केन्द्रों पर ही रहेगी सेवाएं
सीएमएचओ डॉ. छोटेलाल गुर्जर ने बताया कि अब आशा सहयोगिनियों का प्रशासनिक नियंत्रण चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के पास आ गया है। इनकी सेवाएं आंगनबाड़ी पर ही रहेगी, लेकिन काम स्वास्थ्य विभाग के अधीन करना होगा। मानदेय भी अब इसी विभाग से मिलेगा। समेकित बाल विकास विभाग के सर्वे जैसे कामों से निजात मिलेगी।

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डेटाबेस मय व्यक्तिगत दस्तावेजों के अधिग्रहण करने के निर्देश
मिशन निदेशक एनएचएम ने सभी जिलों के सीएमएचओ को निर्देशित किया है कि समेकित बाल विकास विभाग के अधीन संचालित समस्त आंगनबाड़ी केंद्रों पर प्रतिमाह मानदेय आधार पर कार्यरत आशा सहयोगिनियों से संबंधित कार्य जैसे उनका चयन, प्रशिक्षण, नियुक्ति, सेवा समाप्ति, मानदेय आदि का संपूर्ण डाटाबेस मय व्यक्तिगत दस्तावेजों का अधिग्रहण कर लें। जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग समेकित बाल विकास विभाग की आंगनबाडिय़ों पर सेवा दे रही जिले की सभी आशा सहयोगिनियों का सेवाकार्य के डाटाबेस अधिग्रहण करने में जुट गया है। आशा सहयोगिनियों को एक विभाग के अधीन करने के लिए पिछले दस साल से आन्दोलन चल रहा था।

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आईसीडीएस में सहयोगिनी का पद किया था सृजित
वर्ष 2004-05 में समेकित बाल विकास विभाग की सेवाओं को घर-घर तक पहुंचाने के उद्देश्य से सहयोगिनी का नवीन पद सृजित किया गया था। वर्ष 2005-06 में राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन का आरंभ किया गया। इसमें लगभग समान उद्देश्यों के साथ आशा के नाम से एक और नवीन पद का सृजन चिकित्सा विभाग के तहत किया। दोनों पदों की भूमिकाएं कार्यक्षेत्र व लाभार्थी वर्ग समान होने के कारण राज्य स्तर पर दोनों पदों को समाहित कर आशा सहयोगिनी के रूप में नवीन पद का सृजन किया। इस आदेश के बाद आंगनबाड़ी पर जो महिलाएं सहयोगिनी का काम करती थी, उनको ही आशा का काम सौंपा गया।

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