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बिट्स पिलानी के पूर्व छात्र डॉ मनीष खंडेलवाल ने हासिल किए 100 से ज्यादा पेटेंट
बिट्स पिलानी के पूर्व छात्र व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ मनीष खंडेलवाल ने हाल ही में बिट्स पिलानी परिसर व रसायन विज्ञान विभाग के संकाय का दौरा किया तथा युवा वैज्ञानिको को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से पी.एच.डी छात्र व छात्राओं को सम्बोधित किया ।
इस अवसर पर प्रो. एस.सी. शिवासुब्रमण्यम, प्रो. राम किंकर राय और प्रो. दलीप कुमार, डॉ. इनामुर रहमान लस्कर, डॉ. राजीव सखुजा, डॉ. परितोष शुक्ला जैसे कई प्रसिद्ध वैज्ञानिक और शिक्षाविद और लगभग 60 युवा पीएचडी छात्र व छात्राएं उपस्थित थे। कार्यक्रम का आयोजन बिट्स पिलानी की प्रोफेसर डॉ. भारती खुंगर ने किया।
डॉ खंडेलवाल ने अपने 15 वर्षों के शोध के सार को प्रस्तुत किया जिसके परिणामस्वरूप 100़ पेटेंट और पेटेंट आवेदन प्राप्त हुए जिसमें 7 वैज्ञानिक प्रकाशन और 5 ए.सी.एस (अमेरिकन केमिकल सोसाइटी) के सार शामिल हैं। डॉ. खंडेलवाल द्वारा बनाई गई बौद्धिक संपदा का मूल्य सेमीकंडक्टर उद्योग के स्वतंत्र विशेषज्ञों द्वारा लगभग 400 मिलियन से अधिक (₹3,120 करोड़) होने का अनुमान लगाया गया है।
डॉ. खंडेलवाल का शोध सिलिकॉन रसायन विज्ञान के क्षेत्र में हमारे देश के कुछ सबसे महत्वपूर्ण मुद्दों को संबोधित करता है, जो सेमीकंडक्टर उद्योग की रीढ़ है। उनकी मजबूत शैक्षणिक पृष्ठभूमि के कारण उनके द्वारा किये गए शोध कार्य विशेष रूप से मौलिक है, जिसमें अनुप्रयोगों के साथ कार्बन डाइऑक्साइड (ब्व्2) का मीथेन में रूपांतरण, इंट्रामोलेक्यूलर हाइड्रोएमिनेशन प्रतिक्रियाओं के लिए एल्यूमीनियम-आधारित उत्प्रेरक का संश्लेषण, और कार्यात्मक सिलेन के लिए नए उत्प्रेरक मार्गों का निर्माण। डॉ. खंडेलवाल एल्यूमीनियम आधारित लुईस एसिड उत्प्रेरक के माध्यम से ब्व्2 को मीथेन में बदलने के लिए विशेष रूप से प्रसिद्ध हैं। डॉ. खंडेलवाल को इस उद्योग में सबसे प्रतिष्ठित सिलिकॉन विशेषज्ञों में से एक माना जाता है।
डॉ. खंडेलवाल ने सैकड़ों नए सिलिकॉन यौगिकों की खोज की है जिनका उपयोग परमाणु परत जमाव (एएलडी) और रासायनिक वाष्प जमाव (सी.वी.डी) प्रक्रियाओं में पतली फिल्म बनाने वाले अग्रदूत के रूप में किया जाता है। डॉ. खंडेलवाल द्वारा निर्मित पॉलीसिलाजेन नामक एक सिलिकॉन पॉलिमर का अनुमानित मूल्य अकेले सेमीकंडक्टर उद्योग में लगभग 200 मिलियन से अधिक (₹1,560 करोड़) है। डॉ. खंडेलवाल के इस विषय पर 20 से अधिक पेटेंट दायर किए गए हैं। यह पॉलिमर 1900 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान को झेलने में सक्षम है जबकि स्टील का गलनांक 1320-1500 डिग्री सेल्सियस है। नतीजतन, इस पॉलिमर का उपयोग रॉकेट के दहन कक्ष की आंतरिक सतह की कोटिंग में भी किया जाता है।
डॉ. खंडेलवाल द्वारा प्रस्तावित “साइलेन थ्योरी” हाल हीं में अमेरिका की कई प्रतिष्ठित शोध अनुसन्धान जैसे नासा, हारवर्ड व एम.आई.टी द्वारा की गयी खोजो की व्याख्या करने में अत्यंत सहायक सिद्ध हुई है।
डॉ. खंडेलवाल ने डायसन्स स्फीयर नामक सूर्य की बाहरी संरचना के निर्माण के बारे में कई दिलचस्प सिद्धांतों का प्रस्ताव रखा। डॉ. खंडेलवाल ने मंगल ग्रह पर उच्च शुद्धता के सिलिका के भंडार, टाइटन नामक शनि के चंद्रमा में से एक पर हाइड्रोकार्बन की उत्पत्ति की व्याख्या करने वाले सिद्धांतों को भी ष्साइलेन थ्योरीष् के माध्यम से प्रस्तावित किया, मंगल शुक्र पर क्रमशः मीथेन और फोसफिन गैस की खोज पर वृस्तृत प्रकाश डाला ।
अंत में केमिस्ट्री डिपार्टमेंट के वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ. सिवासुब्रमन्यन ने डॉ. खंडेलवाल को प्रतीक चिन्ह दे कर सम्मानित किया ।