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राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि संघ समाज को जागृत और एकीकृत करने की कोशिश कर रहा है जिससे कि दुनिया के सामने हमारा देश एक आदर्श समाज बनकर स्थापित हो। आरएसएस की दिल्ली शाखा की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में संघ प्रमुख ने कहा कि लोगों को समाज की सेवा करने के लिए सामने आना चाहिए। अकेले नहीं बल्कि एक समुदाय के रूप में उन्हें कदम बढ़ाना चाहिए।
भागवत ने कहा, ‘संघ समाज को जागृत करने और संगठित करने के लिए काम कर रहा है।’ उन्होंने कहा, कई क्षेत्रों के लोगों ने देश की स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ी और अपना योगदान दिया। लेकिन एक समाज के रूप में फलीभूत होने में समय लगा। भारत के लोगों का मुल स्वभाव और डीएनए ऐसा है कि वे एक समाज के रूप में सोचते हैं ना कि अकेले की तरह। हमें उन्हें और प्रोत्साहित करने की जरूरत है।
हाल ही में मोहन भागवत ने महिलाओं की भी जमकर तारीफ की थी और कहा था कि अगर शारीरिक अंतर को छोड़ दें तो क्षमता और सम्मान के मामले में पुरुष और महिलाओं में कोई अंतर नहीं है। एक पुस्तक विमोचन के कार्यक्र में उन्होंने कहा था कि महिलाओं को जगत जननी कहा जाता है। लेकिन एक घर में वे गुलामों की तरह काम करती हैं। महिला का सशक्तीकरण घर से ही शुरू होना चाहिए तभी उन्हें समाज में सम्मानजनक दर्जा मिल सकेगा।
उन्होंने कहा था, जरूरत नहीं है कि महिलाओं को उनका स्थान दिलाने के लिए पुरुष काम करें क्योंकि महिलाएं पुरुषों से ज्यादा क्षमतावान हैं। उन्हें किसी के दिशा निर्देश की जरूरत नहीं है। इसलिए उन्हें अपना रास्ता तय करने दीजिए।