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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने का निर्देश देने की अपील वाली याचिका पर सुनवाई से सोमवार को इनकार कर दिया। जस्टिस एस के कौल और जस्टिस अभय एस ओका ने याचिकाकर्ता से पूछा कि आखिर इससे कौन-सा मौलिक अधिकार प्रभावित हो रहा है। पीठ ने कहा, ‘क्या यह अदालत का काम है? आप ऐसी याचिकाएं दायर ही क्यों करते हैं कि हमें उस पर जुर्माना लगाना पड़े? कौन-से मौलिक अधिकार का उल्लंघन हुआ? आप अदालत आए हैं तो क्या हम नकारात्मक नतीजे की परवाह किए बिना यह करें?’
याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वकील ने न्यायालय में कहा कि गौ संरक्षा बहुत जरूरी है। बेंच ने वकील को आगाह किया कि वह जुर्माना लगाएगी, जिसके बाद उन्होंने याचिका वापस ले ली और मामले को खारिज कर दिया गया। सुप्रीम कोर्ट गैर-सरकारी संगठन गोवंश सेवा सदन और अन्य की एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था। इसमें केंद्र को गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने का निर्देश देने का मांग की गई थी।
गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की मांग पुरानी
गौरतलब है कि गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की मांग पुरानी है। बीते साल दिसंबर में राज्यसभा में भाजपा के एक सदस्य ने गौ-हत्या पर रोक लगाने के लिए केंद्रीय कानून बनाए जाने की मांग की थी। बीजेपी नेता किरोड़ी लाल मीणा ने गौहत्या पर रोक के लिए केंद्रीय कानून बनाने के साथ ही गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि सनातन और हिंदू धर्म में गाय की पूजा की जाती है।
भाजपा सांसद ने शून्यकाल के दौरान कहा, ‘गाय भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है और उसे माता का दर्जा प्राप्त है। ऐसे में गौ-हत्या होने से सामाजिक समसरता प्रभावित होने लगती है।’ वहीं, भाजपा के महेश पोद्दार ने बायो-एथनॉल के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए शीघ्र ही नीति बनाने की मांग की। उन्होंने कहा कि पेट्रोलियम की खरीद पर एक ओर विदेशी मुद्रा खर्च होती है, वहीं इसके उपयोग से प्रदूषण भी बढ़ता है। ऐसे में अगर बायो-एथनॉल के उपयोग को बढ़ावा दिया जाए तो किसानों को भी फायदा मिलेगा।