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पिनराई विजयन की लीडरशिप वाली केरल की वामपंथी सरकार और राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के बीच टकराव कई महीनों से बना हुआ है। अब राज्य सरकार ने राज्यपाल के खिलाफ बड़ा फैसला लिया है और उन्हें विश्वविद्यालयों के चांसलर के पद से हटाने का निर्णय किया है। सरकार के इस निर्णय से गवर्नर के साथ उसका टकराव और तेज हो सकता है। पिनराई विजयन की कैबिनेट ने फैसला लिया है कि उसकी ओर से एक अध्यादेश लाकर गवर्नर को पद से हटाया जाएगा। राज्य सरकार का यह कदम आरिफ मोहम्मद खान के उस आदेश के बाद लिया गया है, जिसमें उन्होंने सूबे के सभी 9 विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से इस्तीफा देने को कहा था। मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि राज्य की वाम सरकार कुलाधिपति के पद पर एक्सपर्ट को लाने की तैयारी कर रही है। कानून विभाग की ओर से तैयार किया गया है मसौदा अध्यादेश पर बुधवार को कैबिनेट की बैठक में चर्चा हुई। हाल ही में खान ने कुलाधिपति के तौर पर 11 कुलपतियों को शोकॉज नोटिस जारी किए थे। इसके बाद कुलपति कोर्ट पहुंच गए थे।
क्या था मामला
दरअसल, 21 अक्टूबर को शीर्ष न्यायालय ने एपीजे अब्दुल कलाम टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी के कुलपति की नियुक्ति को रद्द कर दिया था। कोर्ट का कहना था कि यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमिशन (UGC) के अनुसार गठित सर्च कमेटी में चांसलर के लिए कम से कम तीन लोगों के नाम की सिफारिश की जानी चाहिए। जबकि, केवल एक ही नाम भेजा गया था।
इसके आधार पर खान ने उन कुलपतियों का इस्तीफा मांग लिया, जिनका एकमात्र नाम ही आगे बढ़ाया गया था। इधर, मंगलवार को केरल के राज्यपाल के कानूनी सलाहकार और विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के वकील ने अपने-अपने पदों से इस्तीफा दे दिया। वरिष्ठ वकील के जाजू बाबू को फरवरी 2009 में राज्यपाल का कानूनी सलाहकार बनाया गया था। जबकि, एमयू विजयलक्ष्मी कुलपति के स्थाई वकील के रूप में कार्यरत थे।