REPORT TIMES
अजय माकन के कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी पद से इस्तीफा देने के बाद पार्टी नेतृत्व ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के तीन विश्वस्तों संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल, मुख्य सचेतक महेश जोशी और राज्य पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौड़ के खिलाफ कार्रवाई करने का मानस बनाया है।
सूत्रों के अनुसार कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और संगठन महासचिव के.सी.वेणुगोपाल के बीच इस बारे में चर्चा हुई है। तीनों नेताओं को पार्टी की अनुशासन समिति ने कारण बताओ नोटिस जारी किया था, जिसका उन्होंने जवाब दे दिया।
सूत्रों के अनुसार आलाकमान इनके जवाब से संतुष्ट नहीं है। तीनों नेताओं के खिलाफ कार्रवाई नहीं होने से माकन नाराज थे। माकन की नाराजगी का बड़ा कारण राठौड़ को राहुल की यात्रा का प्रभारी बनाया जाना है।
माकन ने खरगे से शिकायत की है कि जिस राठौड़ ने तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी के निर्देशों के अनुसार विधायक दल की बैठक के समानांतर विधायकों की बैठक बुलाकर अनुशासनहीनता की है, उन्हें यात्रा का प्रभारी बनाना गलत है।
सूत्रों के वेणुगोपाल ने तीनों नेताओं को पदों से हटाने की खरगे की मंशा के बारे में माकन को जानकारी दी है। इस बीच राज्य अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष और विधायक खिलाड़ी लाल बैरवा ने कहा कि राहुल की यात्रा से पहले विधायक दल की बैठक बुलाकर सीएम बदला जाना चाहिए। विधायक वेदप्रकाश सोलंकी और दिव्या मदेरणा ने तीनों नेताओं के खिलाफ तत्काल कार्यवाही करने की मांग की है।
माकन के समर्थन में उतरे पायलट समर्थक
पायलट समर्थक विधायक खरगे से माकन का इस्तीफा स्वीकार नहीं करने की मांग कर रहे हैं। बैरवा ने कहा, एक साल की सत्ता बची है। जल्द फैसले करने होंगे। राहुल की यात्रा से पहले सब कुछ बदला जाना चाहिए। दुख है कि प्रभारी महासचिव को यह कहना पड़ा कि 51 दिन हो गए, कार्रवाई नहीं हुई।
बैरवा ने कहा, कुछ विधायकों ने 25 सितंबर को इस्तीफे दिए, अब तक इन पर निर्णय नहीं हुआ है। कांग्रेस का मजाक बन रहा है। बैरवा, दिव्या और सोलंकी ने कहा कि माकन के इस्तीफा देने से कार्यकर्ताओं को धक्का लगा है। उन्होंने कहा कि माकन का इस्तीफा स्वीकार नहीं करना चाहिए, क्योंकि बागी गुट यही चाहता है।
यात्रा के मार्ग को लेकर विवाद
राहुल की यात्रा प्रदेश में दिसंबर के पहले सप्ताह में प्रवेश करेगी। गहलोत खेमा पूर्व निर्धारित मार्ग बदलकर नये रास्ते से यात्रा निकालने की वकालात कर रहा है। गहलोत खेमे का कहना है कि पूर्व निर्धरित मार्ग झालावाड़, कोटा, बूंदी, सवाईमाधोपुर, दौसा और अलवर जिलों के कई इलाकों में वन क्षेत्र आता है, इसलिए मार्ग बदला जाए। जबकि हकीकत यह है कि इन जिलों में पायलट का प्रभाव है। पायलट खेमा इसी मार्ग से यात्रा निकालने के पक्ष में है।