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‘4 साल में क्या खोया, क्या पाया’… 2 दिन के चिंतन शिविर में मंथन करेगी गहलोत सरकार

गहलोत सरकार

 

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राजस्थान सरकार बीते चार साल की उपलब्धियों और नाकामियों की समीक्षा करेगी. इसके लिए सीएम अशोक गहलोत ने दो दिवसीय चिंतन शिविर आयोजित करने का फैसला किया है. इस चिंतन शिविर में सभी मंत्री अपने अपने विभागों का लेखाजोखा पेश करेंगे. 16 जनवरी से एचसीएम रीपा में आयोजित हो रहे इस चिंतन शिविर में 2019-20, 2020- 21, 2021-22 और 2022-23 के बजट घोषणाओं और उनपर अमल की समीक्षा होगी. इसी के साथ सरकार यह भी देखने का प्रयास करेगी कि सरकार की योजनाओं से कौन सा वर्ग लाभांवित हुआ है और कहां लोगों की नाराजगी है.

दरअसल राजस्थान में हर पांच साल में सरकार बदलने की परिपाटी रही है, लेकिन गहलोत सरकार इस बार नई तारीख लिखने की दिशा में काम कर रही है. यह कवायद भी इसी प्रयास का हिस्सा माना जा रहा है. इस संबंध में राजस्थान कैबिनेट सचिवालय ने एक आदेश पत्र जारी किया है. इसमें बीते चार साल की बजट घोषणाओं की समीक्षा की बात कही गई है. हालांकि कहा जा रहा है कि सरकार बजट घोषणाओं के इतर भी चर्चा करेगी.

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जन घोषणा पत्र की समीक्षा होगी

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गौरतलब है कि राजस्थान चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र को जन घोषणा पत्र बताया था. वहीं सीएम गहलोत ने 2018 में शपथ लेने के साथ ऐलान कर दिया था कि उनका जन घोषणा पत्र सरकारी दस्तावेज होगा. दावा किया जा रहा है कि इस चिंतन शिविर में इसी जन घोषणा पत्र में किए गए वादों की समीक्षा होगी. इसमें देखा जाएगा कि कितने वादे पूरे हुए और कितने पर अभी काम चल रहा है.

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75 फीसदी वादे पूरा करने का दावा

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गहलोत सरकार ने पिछले दिनों दावा किया था कि जन घोषणा पत्र में किए गए 75 फीसदी वादों को पूरा कर लिया गया है. इसी के साथ सीएम ने ऐलान किया था कि बाकी 25 फीसदी वादों को भी अंतिम वर्ष में अमलीजामा पहना दिया जाएगा. सीएम गहलोत ने इस चिंतन शिविर के जरिए साफ कर दिया है कि सरकार अपने वादों को लेकर पूरी तरह से गंभीर है.

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आगामी बजट पर पड़ेगा असर

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सालाना बजट से पूर्व आयोजित हो रहे इस चिंतन शिविर में कई ऐसे फैसले होने की उम्मीद है, जिनका असर आगामी बजट पर देखने को मिल सकता है. चूंकि सीएम गहलोत ने इस साल जनवरी में ही बजट पेश करने वाले हैं. ऐसे में कहा जा रहा है कि इस चिंतन शिविर में आने वाले सुझावों और प्रस्तावों को मुख्यमंत्री आगामी बजट में शामिल कर सकते हैं. संभावना है कि इस बार का बजट युवाओं, महिलाओं और किसानों पर केंद्रित होगा.

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