बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को आईसीआईसीआई की पूर्व सीईओ चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को आईसीआईसीआई बैंक-वीडियोकॉन लोन फ्रॉड केस में सीबीआई द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद जमानत पर रिहा कर दिया। अपनी याचिका में, कोचर ने दावा किया कि वेणुगोपाल धूत के नेतृत्व वाले वीडियोकॉन समूह को प्रदान किए गए ऋणों में कथित अनियमितताओं से संबंधित मामले में सीबीआई द्वारा उनकी गिरफ्तारी अवैध थी। कोर्ट ने कहा है कि कोचर दंपती की गिरफ्तारी कानून के मुताबिक नहीं है।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने आईसीआईसीआई बैंक-वीडियोकॉन लोन फ्रॉड केस में बड़ा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने चंदा कोचर व उनके पति दीपक कोचर को एक-एक लाख रुपये की नकद जमानत पर रिहा करने की अनुमति दी है। बता दें, आईसीआईसीआई बैंक-वीडियोकॉन लोन फ्रॉड केस में सीबीआई ने कोचर दंपती को गिरफ्तार किया था। उसके बाद इसी मामले में वीडियोकॉन के प्रमोटर वेणुगोपाल धूत को भी गिरफ्तार किया था। तीनों फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं।
जानिए पूरा मामला
आरोपों के अनुसार ICICI बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर ने बैंक नियमों का उल्लंघन करते हुए वीडियोकॉन समूह को 3,250 करोड़ का ऋण दिया था। धूत ने ऋण मिलने के बाद कथित तौर पर न्यूपॉवर रिन्यूएबल्स प्राइवेट लिमिटेड (NRPL) में करोड़ों रुपये का निवेश किया। इस फर्म को धूत ने ICICI से ऋण मिलने के छह माह बाद चंदा कोचर के पति दीपक कोचर और दो रिश्तेदारों के साथ मिलकर शुरू किया था। 2019 में सीबीआई ने वेणुगोपाल धूत, चंदा कोचर उनके पति दीपक कोचर पर आपराधिक साजिश और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम से संबंधित धाराओं में मामला दर्ज किया। ईडी ने भी मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था।