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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 28 जनवरी को भगवान देवनारायण की जयंती के मौके पर राजस्थान आने की चर्चा है. बताया जा रहा है कि पीएम भीलवाड़ा स्थित मालासेरी धाम आ सकते हैं. हालांकि, अभी तक उनके दौरे का कोई अधिकारिक कार्यक्रम जारी नहीं हुआ है लेकिन पीएम के आने को लेकर गुर्जर समाज, बीजेपी संगठन और स्थानीय प्रशासन की ओर से तैयारियां शुरू कर दी गईं है. मालासेरी डूंगरी स्थित भगवान देवनारायण का मुख्य मंदिर गुर्जर समाज का प्रमुख तीर्थ स्थल है जिसको लेकर गुर्जर समुदाय की गहरी आस्था है. वहीं पीएम मोदी के दौरे को लेकर केन्द्र सरकार का संस्कृति मंत्रालय भी तैयारियां कर रहा है. प्रधानमंत्री के दौरे की जिम्मेदारी केन्द्रीय संस्कृति मंत्री अर्जुनराम मेघवाल को दी गई है. बताया जा रहा है कि पीएम मोदी इस दिन आसींद में भगवान देवनारायण के नाम पर एक रिडोर की घोषणा कर सकते हैं जो उनके प्रकट स्थल मालासेरी डूंगरी में बनाया जाएगा. मालूम हो कि पिछले कुछ समय में केन्द्र सरकार ने इसी तरह वाराणसी, अयोध्या और उज्जैन में भव्य धार्मिक कॉरिडोर बनवाए हैं. वहीं चुनावी साल में पीएम मोदी का राजस्थान आना बड़ा सियासी संकेत भी माना जा रहा है. राजस्थान में गुर्जर समाज पिछले चुनावों में कांग्रेस के साथ रहा है और बीजेपी अब आने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर इस समुदाय को पार्टी से जोड़ना चाहती है. राजस्थान के अलावा उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली व कश्मीर में गुर्जर समुदाय बड़ा वोट बैंक है.
मालासेरी डूंगरी में हर साल भरता है मेला
जानकारी के मुताबिक कॉरिडोर मालासेरी डूंगरी स्थित भगवान देवनारायण के मुख्य मंदिर को शामिल करते हुए बनाया जाएगा और आस-पास के क्षेत्र में एक म्यूजियम भी बनेगा. वहीं म्यूजियम में भगवान देवनारायण की जीवनी और क्षेत्र में मौजूद उनके ऐतिहासिक प्रमाणों को प्रदर्शित किया जाएगा. इसके अलावा यहां एक लाइट एंड साउंड शो साइट भी बनाई जाएगी जहां मंदिर और कॉरिडोर के विषय में शो चलेगा. बता दें कि मालासेरी डूंगरी में इस स्थान पर साल में दो बार मेला भरता है.
बताया जा रहा है कि धार्मिक कॉरिडोर बनने के बाद यहां पर्यटकों की आवाजाही बढ़ेगी. वर्तमान में मुख्य मंदिर जिस डूंगरी (पहाड़ी) पर बना है उसके पास एक झील भी है जिसे चारों तरफ से वॉक-वे के साथ भव्य सरोवर में ढाला जाएगा.
इसके साथ ही भीलवाड़ा जिले का आसींद क्षेत्र अजमेर, भीलवाड़ा, पाली व राजसमंद जिलों की सीमाओं के बीच में पड़ता है ऐसे में यहां पीएम के कार्यक्रम से उसका मेवाड़, मारवाड़, मेरवाड़ा, गोडवाड़ सभी क्षेत्रों पड़ सकता है. राजस्थान के कई नेताओं ने अपना चुनाव कार्यक्रम सालों से यहीं से शुरू किया है.
गुर्जरों को साधने की बीजेपी की कोशिश
आंकड़ों के लिहाज से देखें तो राजस्थान बीजेपी के अभी राजस्थान में 25 में से 24 सांसद है जहां एक गुर्जर समुदाय से सुखबीर सिंह जौनापुरिया है. वहीं 2018 में विधानसभा की 200 सीटों में से बीजेपी का एक भी विधायक गुर्जर समुदाय से नहीं जीता था. हालांकि जानकार इसके पीछे पायलट फैक्टर को एक बड़ा कारण मानते हैं. ऐसे में अब बीजेपी 2023 के लिए गुर्जर समुदाय को अपनी तरफ मोड़ने की कोशिश में जुट गई है.
2018 में सारे गुर्जर प्रत्याशी हारे
मालूम हो कि 2018 में हुए विधानसभा चुनावों में बीजेपी के टिकट से एक भी गुर्जर विधायक को चुनाव जीतने में कामयाबी नहीं मिली थी और उस दौरान कांग्रेस पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट थे, जिन्हें बाद में डिप्टी सीएम बनाया गया था. वहीं फिलहाल कांग्रेसी खेमे में इस समुदाय से शकुंतला रावत, अशोक चांदना मंत्री हैं. इसके अलावा बसपा से कांग्रेस में आए जोगिंदर सिंह अवाना को बोर्ड का चैयरमेन बनाया गया. पिछले कुछ समय में कांग्रेस ने गुर्जर समुदाय को साधने की पूरी कोशिश की है.
राजस्थान 40 विधानसभा सीटों गुर्जर हैं निर्णायक
राजस्थान की बात करें तो कुल 25 लोकसभा सीटों में से टोंक-सवाईमाधोपुर, करौली-धौलपुर, भरतपुर, दौसा, अजमेर, भीलवाड़ा, झालावाड़-बारां, कोटा-बूंदी, जयपुर ग्रामीण, झुन्झुनूं, अलवर, चित्तौड़गढ़ जैसी 12 सीटों पर गुर्जर वोटर्स पहले, दूसरे, तीसरे नम्बर पर हैं और यहां चुनावों में यह समुदाय अहम भूमिका निभाता है.