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राजस्थान में बीते 25 सितंबर को कांग्रेस के सियासी ड्रामे के दौरान हुआ विधायकों के सामूहिक इस्तीफों पर अब सामने आया है कि विधायकों के इस्तीफे स्वेच्छा से नहीं दिए थे. वहीं हाईकोर्ट में विधानसभा के उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ की याचिका पर सोमवार को हुई सुनवाई के बाद यह साफ हो गया कि राजस्थान में गहलोत सरकार को सियासी संकट से बाहर निकालने में विधानसभा स्पीकर डॉ. सीपी जोशी की अहम भूमिका रही है. विधानसभा सचिव के सोमवार को हाइकोर्ट में कहा कि जिन 81 विधायकों ने 25 सितम्बर को इस्तीफे दिए वह स्वैच्छिक नहीं थे. जानकारी मिली है कि स्पीकर को सभी 81 एमएलए ने लिखित में कहा था कि उन्होंने इस्तीफ़े स्वेच्छा से नहीं दिए हैं और स्पीकर के पास जाकर 6 विधायकों ने इस्तीफे सौंपे थे उनके नाम भी अब सामने आ गए है. अब इस मामले पर अगली सुनवाई 13 फरवरी को होगी. वहीं अब यह भी पता चला है कि 25 सितम्बर को अगर स्पीकर 66 कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे स्वीकार कर लेते तो प्रदेश में गहलोत सरकार गिर सकती थी. इधर विधानसभा सचिव के जवाब का असर सूबे की सियासत पर एक बार फिर देखा जा सकता है जहां अगली सुनवाई में कोर्ट तय करेगा कि स्पीकर के अधिकार, संविधान के नियम, विधानसभा की प्रक्रियाएं और तमाम कायदों का किस तरह निर्वहन किया गया. वहीं विधानसभा सचिव के जवाब के बाद अब यह सवाल भी उठने लगा है कि विधायकों ने इस्तीफे अपनी इच्छा से नहीं दिए थे तो विधायकों पर इस्तीफे देने का किसकी तरफ से दबाव डाला गया.
विधायकों का इस्तीफा था सियाडी ड्रामा !
राजस्थान हाईकोर्ट में सोमवार को हुई सुनवाई के बाद विधायकों के इस्तीफों पर कई बातें साफ हुई है और कई सवालों के जवाब मिले हैं. आइए पहले आपको बताते हैं कि विधानसभा सचिव की ओर से दिए गए जवाब से क्या-क्या पता चला है.
– अब यह साफ हो चुका है कि 91 नहीं बल्कि 81 विधायकों ने सामूहिक तौर पर इस्तीफे दिए थे जिसमें से 5 विधायकों के इस्तीफे फोटो कॉपी थे.
– वहीं सभी 81 विधायकों के इस्तीफे 6 विधायकों ने स्पीकर के पास जाकर सौंपे थे जिसमें शांति धारीवाल, रामलाल जाट, संयम लोढ़ा, महेंद्र चौधरी, महेश जोशी और रफीक खान शामिल थे.
– विधायकों के इस्तीफों में 9 इस्तीफे निर्दलीय विधायकों के थे और इसके अलावा 1 इस्तीफा बीजेपी से निष्कासित विधायक शोभारानी कुशवाहा ने दिया था.
– वहीं कांग्रेस पार्टी के विधायकों की बात करें तो 66 विधायकों ने इस्तीफे शामिल थे.
– वहीं 38 कांग्रेस विधायकों ने इस्तीफा नहीं दिया जिनमें सीएम अशोक गहलोत, सचिन पायलट, खुद स्पीकर सीपी जोशी और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा शामिल हैं. इसके अलावा पूर्व मंत्री रघु शर्मा और हरीश चौधरी ने भी इस्तीफा नहीं दिया.
– वहीं इस्तीफा नहीं देने वालों में कैबिनेट मंत्री हेमाराम चौधरी, विश्वेंद्र सिंह, राज्य मंत्री मुरारी लाल, राजेंद्र सिंह गुढा, जाहिदा खान और बृजेंद्र सिंह ओला, वेद प्रकाश सोलंकी, मुकेश भाकर, इंद्राज गुर्जर, खिलाड़ी लाल बैरवा और रामनिवास गावड़िया शामिल हैं.
– इसके अलावा विधायक हरीश मीणा, दिव्या मदेरणा, गिर्राज सिंह, दीपेंद्र सिंह, रीटा चौधरी, नरेंद्र बुड़ानिया, परसराम मोरदिया, बिधूड़ी राजेंद्र सिंह, भरत सिंह कुंदनपुर, राकेश पारीक, राजकुमार शर्मा, रामनारायण मीणा, सुरेश मोदी और शफिया जुबैर ने भी इस्तीफा नहीं दिया.
25 सितंबर को गिर सकती थी गहलोत सरकार
बता दें कि 25 सितम्बर को अगर स्पीकर 66 कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे भी स्वीकार कर लेते तो प्रदेश में गहलोत सरकार गिर सकती थी. अगर स्पीकर फोटो कॉपी वाले 5 विधायकों के इस्तीफे खारिज कर देते तो कांग्रेस के पास उस समय 44 विधायक बचते ऐसे में कांग्रेस की सरकार पर बड़ा संकट खड़ा हो सकता था. इसके अलावा जानकारों का कहना है कि विधायक दल की बैठक कथित तौर पर सचिन पायलट को सीएम बनाने के लिए रखी गई थी ऐसे में अगर स्पीकर विधायकों के इस्तीफे अस्वीकार कर देते तो पार्टी में खींचतान का एक नया चैप्टर खुल सकता था. दरअसल स्पीकर को इस्तीफे अस्वीकार करने की सूरत में उसका कारण भी बताना पड़ता.
धारीवाल-जोशी-राठौड़ पर होगी कार्रवाई!
वहीं अब जब यह साफ हो गया कि विधायकों ने इस्तीफे स्वैच्छा से नहीं दिए थे ऐसे में अब पायलट गुट एक बार फिर इस मसले को उठा सकता है. पायलट गुट आलाकमान के सामने यह दावा भी कर सकता है कि 25 सितम्बर को आलाकमान के आदेशों की अवमानना हुई है. मालूम हो कि 25 सितम्बर के सियासी कांड पर आलाकमान ने अभी तक चुप्पी साध रखी है. इससे पहले आलाकमान ने इस्तीफा कांड होने के बाद गहलोत गुट के तीन नेताओं मंत्री शांति धारीवाल, महेश जोशी और आरटीडीसी चेयरमैन धर्मेंद्र राठौड़ को अनुशासनहीनता का नोटिस दिया था जिस पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है. इधर पायलट गुट लगातार इस मामले में एक्शन की मांग कर रहा है.