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कटारिया के विरोधी रहे भींडर की होगी घर वापसी!…क्या ‘महारानी’ को फिर मिलेगा ‘धीर’ का साथ?

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राजस्थान के मेवाड़ में दिग्गज नेता गुलाब चंद कटारिया के असम का राज्यपाल बनने के बाद विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और उदयपुर सीट पर नए चेहरे को लेकर सियासी सरगर्मियां बनी हुई है. कटारिया मेवाड़ बीजेपी में कद्दावर नेताओं में शामिल रहे हैं और उनकी उदयपुर संभाग की सभी 28 विधानसभा सीटों पर मजबूत पकड़ थी ऐसे में अब कटारिया के जाने के बाद मेवाड़ के सियासी समीकरण बदलना संभव है. कटारिया पिछले 5 दशक से सक्रिय राजनीति में थे और इतने सालों में उन्होंने अपने विरोधियों को बखूबी निपटाने में भी कोई कमी नहीं छोड़ी. कटारिया के जाने के बाद सियासी गलियारों की चर्चा इसलिए भी गरम है क्योंकि इससे एक जमाने में उनके विरोधी रहे नेताओं को भी फिर से वापसी की मौका मिल सकता है. माना जा रहा है कि कटारिया के जाने के बाद उनके विरोधी खेमे के नेता अब अपनी लामबंदी तेज कर सकते हैं. इसी कड़ी में मेवाड़ की हॉट सीट वल्लभनगर विधानसभा के दिग्गज नेता और पूर्व विधायक रणधीर सिंह भींडर की बीजेपी में वापसी की अटकलों ने भी जोर पकड़ लिया है.

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बीजेपी से गुलाब चंद कटारिया से नाराजगी के बाद खिलाफत करने वाले भींडर वसुंधरा राजे के करीबी माने जाते हैं. कटारिया के राज्यपाल बनने के बाद अब भींडर की बीजेपी में एंट्री को लेकर चर्चा तेज हो गई है. भींडर ने 2013 में बीजेपी छोड़कर अपनी जनता सेना नाम से पार्टी बनाई थी और बीते साल हुए वल्लभनगर उपचुनावों में पहली बार भींडर मतगणना के बाद तीसरे स्थान पर रहे, यह उनकी अब तक की सबसे बड़ी हार थी.

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वसुंधरा राजे के करीबी हैं भींडर

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बीते साल एक इंटरव्यू में रणधीर सिंह भींडर ने वसुंधरा राजे को अपना नेता बताते हुए कहा था कि ‘हम मैडम के साथ थे, हैं और रहेंगे.’ उन्होंने कहा था कि प्रदेश बीजेपी से उन्हें कोई आपत्ति नहीं है और वह उनका समर्थन करते हैं लेकिन बस मेवाड़ बीजेपी को लेकर उन्हें आपत्ति है और वह उसका पुरजोर विरोध करते हैं. मालूम हो कि इस साल के आखिर में प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं ऐसें खेमों में बंटी बीजेपी में नेताओं की आपसी गुटबाजी तेज हो गई है. भींडर मेवाड़ में पिछले 10 सालों से नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया के धुर सियासी विरोधी रहे और हर मौके पर वह कटारिया का विरोध करते रहे हैं. हालांकि, अभी तक भींडर की वापसी को लेकर कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है. बताया जाता है कि अभी तक नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया की सहमति न होने की सूरत में उनकी पार्टी में वापसी संभव नहीं हो पाई थी.

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2013 में छोड़ी थी बीजेपी

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जानकारी के लिए बता दें कि जनता सेना सुप्रीमो रणधीर सिंह भींडर 2003 से 2008 तक बीजेपी के विधायक रहे लेकिन गुलाबचंद कटारिया की खिलाफत के बाद 2013 में रणधीर को बीजेपी ने टिकट नहीं दिया जिसके बाद उन्होंने निर्दलीय जनता सेना के बैनर तले चुनाव लड़ा और जीतकर आए. इस दौरान रणधीर सिंह ने कई बार खुले मंच से वसुंधरा राजे को अपना नेता बताया है. इसके बाद 2013 में तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भी अपनी यात्रा लेकर भींडर पहुंची थी लेकिन फिर से बीजेपी ने रणधीर सिंह का टिकट काट दिया था और इस बार वह चुनावों में भी 4000 वोटों से हार गए थे. हालांकि रणधीर सिंह राजनीति में लगातार सक्रिय रहे हैं. उन्होंने बीते 2 साल में जनता सेना के बैनर तले निगम, निकाय, और पंचायत चुनाव में अपने लोगों को उतारा और कटारिया की मेवाड़ में खिलाफत का मोर्चा संभाले रखा है. मालूम हो कि रणधीर सिंह भींडर राजघराने से आते हैं और वल्लभनगर विधानसभा सीट के साथ ही राजपूत बाहुल्य सीटों पर उनकी अच्छी पकड़ है.

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