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संजीवनी घोटाले के पीड़ितों का दर्द बनेगा शेखावत के गले की फांस! गहलोत ने शुरू की घेराबंदी

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राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत रविवार को जोधपुर दौरे पर रहे जहां एक बार फिर संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी का मुद्दा उठा. सीएम ने सर्किट हाउस में 953 करोड़ के संजीवनी क्रेडिट घोटाले के पीड़ितों से मुलाकात की और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को आड़े हाथों लिया. गहलोत से मुलाकात के बाद पीड़ितों ने कहा कि करोड़ों रुपए का निवेश करने के बाद वह अपने पैसों के लिए सालों से दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं जहां इन लोगों ने गहलोत से मदद की गुहार लगाई. पीड़ितों ने आरोप लगाया कि इस मामले में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत शामिल है जिसके बाद मुख्यमंत्री ने पीड़ितों को न्याय दिलाने का भरोसा दिया. वहीं पीड़ितों से मुलाकात करने के बाद गहलोत ने केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह पर निवेशकों का पैसा हड़पने वाली संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसायटी के साथ संबंध होने के आरोप लगाए.गहलोत ने कहा कि शेखावत आरोपी है और उन्हें इस मामले में स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए. सीएम ने कहा कि शेखावत ने जेड श्रेणी की सुरक्षा इसलिए ही ली है क्योंकि वह घोटाले में आरोपी है और उन्हें एसओजी के गिरफ्तार करने का डर था.

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जेड सुरक्षा क्यों ली, किसका डर था : गहलोत

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जोधपुर में गहलोत ने कहा कि केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को जेड श्रेणी की सुरक्षा मिली है उन्हें किससे खतरा था और यदि खतरा था तो हमें पहले लिखते हम केंद्रीय मंत्री को सुरक्षा देते. गहलोत ने कहा कि अगर उन्होंने जेड सुरक्षा ली है तो मेरा मानना है कि वह घोटाले में आरोपी है और उन्हें डर था कि एसओजी उन्हें गिरफ्तार ना कर लें. सीएम ने कहा कि पीएम मोदी की कैबिनेट में ऐसे लोग बैठे है जिनकी वजह से लोगों के पैसे डूब गए है लेकिन जवाब देने वाला कोई नहीं है. गहलोत ने बताया कि पूरे मामले की जांच एसओजी कर रही है और कुछ लोगों की गिरफ्तारियां भी हुई है. मालूम हो कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने हाल में गजेंद्र सिंह शेखावत को राजस्थान में जेड श्रेणी की सुरक्षा दी थी. केंद्र सरकार ने शेखावत की मौजूदगी में जयपुर में एक कार्यक्रम में छात्रों के दो गुटों के भिड़ने के बाद यह फैसला लिया था.

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घोटाला के पीड़ितों का फिर सामने आया दर्द

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गहलोत ने कहा कि केंद्रीय मंत्री होने के नाते शेखावत को बडप्पन दिखाना चाहिए और पीड़ितों को कैसे पैसे मिले, कम से कम लोगों को मूलधन तो मिले. संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी द्वारा ठगी के शिकार हुए पीड़ितों के एक संगठन ने गहलोत से मुलाकात के दौरान कहा कि मामला दर्ज होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हो रही है. कई पीड़ित बुजुर्गों और महिलाओं ने कहा कि केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने सोसायटी के मैनेजिंग डायरेक्टर विक्रम सिंह के साथ संजीवनी सोसाइटी में अपने पैसे निवेश करने के लिए भरोसे में लिया था.गहलोत ने कहा कि संजीवनी कोऑपरेटिव घोटाले के पीड़ितों के लिए उनकी सरकार हरसंभमव दद करेगी चाहे हमें कोई कानून ही बदलना पड़े.

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क्या है संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी घोटाला?

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बता दें कि संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी को राजस्थान सोसाइटी एक्ट के तहत 2008 में रजिस्टर्ड करवाया गया था जिसके बाद 2010 में यह सासाइटी मल्टी स्टेट कोऑपरेटिव सोसाइटी के रूप में बदल गई. वहीं इस सोसाइटी के पहले मैनेजिंग डायरेक्टर विक्रम सिंह जो घोटाले में मुख्य आरोपी हैं जिनकी गिरफ्तारी भी हो चुकी है. वहीं इस मामले को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट में दायर एक याचिका में बताया गया कि संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी ने लोगों से भारी निवेश करवाया और निवेशकों को फर्जी रिकॉर्ड पोस्टर दिखा कर धोखे में रखा गया और इसके बाद लोगों का पैसा वापस नहीं लौटाया गया. बताया जाता है कि यह पूरा घोटाला करीब 900 करोड़ का है जहां हजारों की संख्या में लोगों ने इस सोसायटी में पैसा निवेश किया था. संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड ने राजस्थान में 211 और गुजरात में 26 शहरों समेत भारत के कई अन्य राज्यों में अपनी शाखाएं खोलीं और करीब दो लाख निवेशकों से 953 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश लिया.

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