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परवान पर गहलोत-शेखावत की जंग, कैसे पायलट से शुरू हुई सियासी अदावत आपसी रंजिश में बदली

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राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के बीच सियासी अदावत का नया अध्याय शुरू हो गया है. गहलोत ने अब करीब 900 करोड़ के संजीवनी क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी घोटाले मामले में शेखावत की घेराबंदी करनी शुरू कर दी है जहां मंत्री और सीएम के बीच लगातार आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति चल रही है. बीते सोमवार को मुख्यमंत्री गहलोत ने जोधपुर में केंद्रीय मंत्री को घोटाले में आरोपी करार देते हुए तीखा हमला बोला जिसके बाद शेखावत ने गहलोत पर उनकी राजनीतिक हत्या करने का आरोप लगाया. वहीं गहलोत ने मंगलवार को कहा कि शेखावत संजीवनी को-ऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड घोटाला मामले में स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) की जांच में अन्य गिरफ्तार किए जा चुके अभियुक्तों के समान धाराओं में जुर्म प्रमाणित आरोपी हैं. मालूम हो कि शेखावत और गहलोत की रार 2020 से चल रही है जहां हर बार अलग-अलग मुद्दों पर दोनों नेताओं के जुबानी बाण चलते हैं. 2020 में राजस्थान में पायलट खेमे की बगावत के बाद शुरू हुई शेखावत और गहलोत की तकरार बीते 2 सालों में लगातार बढ़ती चली गई. गहलोत ने इससे पहले शेखावत पर ईआरसीपी को लेकर जमकर हमला बोला था. बता दें कि शेखावत ने 2019 के लोकसभा चुनावों में गहलोत के बेटे वैभव गहलोत को जोधपुर सीट से हरा दिया था जिसके बाद से दोनों की सियासी अदावत परवान चढ़ने लगी.

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गहलोत ने लगाया था सरकार गिराने का आरोप

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राजस्थान में 2020 में पायलट की बगावत के बाद चला सत्ता संघर्ष चरम पर तब पहुंच गया जब सरकार गिराने की साजिश को लेकर कुछ ऑडियो सामने आए जिसको लेकर गहलोत ने कहा कि ऑडियो में शेखावत की आवाज है और वह सरकार गिराने के मुख्य सूत्रधार हैं. हालांकि शेखावत लगातार ऑडियो को खारिज करते रहे हैं और उस पर एक केस भी वर्तमान में चल रहा है. इसके अलावा ऑडियो वायरल होने के बाद एसओजी ने शेखावत को एक नोटिस भी दिया था. उस दौरान गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र में शेखावत पर सरकार गिराने की साजिश रचने का आरोप तक लगा दिया. इसके बाद कई मौकों पर गहलोत ने 2020 के सियासी कांड को याद करते हुए शेखावत को घेरा. वहीं गहलोत गुट की ओर से यह कहा गया कि पायलट की बगावत के पीछे भी शेखावत का ही हाथ हैं.

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ERCP पर गहलोत रहे हमलावर

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वहीं ईआरसीपी (ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट) को लेकर गहलोत और शेखावत ने काफी दिनों से जुबानी जंग चल रही है जहां गहलोत ने कहा है कि शेखावत परियोजना को केंद्र से मंजूर नहीं करवा पा रहे हैं और 13 जिलों के लोग यह भूल नहीं सकते हैं. बीते दिनों सीएम ने कहा था कि इस योजना का फायदा 13 जिलों को मिलेगा लेकिन जल शक्ति मंत्री का यह निकम्मापन है कि वह केंद्र सरकार से एक परियोजना को मंजूर नहीं करवा पा रहे है. गहलोत ने कहा कि 13 जिलों के लोग चुनावों में उन्हें याद रखेंगे. वहीं शेखावत ने पलटवार करते हुए कहा है कि गहलोत सरकार ने ईआरसीपी को लेकर एक भी कानूनी औपचारिकता पूरी नहीं की और पानी के इस मुद्दे को राजनीति की फुटबॉल बना दिया है.

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2019 लोकसभा चुनाव में शुरू हुई अदावत

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बताया जाता है कि गहलोत और शेखावत के बीच 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद से ही छत्तीस का आंकड़ा चल रहा है. दरअसल लोकसभा चुनाव में जोधपुर सीट पर गजेंद्र सिंह शेखावत और सीएम गहलोत के बेटे वैभव गहलोत के बीच मुकाबला हुआ था जहां शेखावत ने वैभव को 2,74,440 वोटों से हरा दिया था. वहीं इस जीत के बाद ही पीएम मोदी ने शेखावत को केंद्रीय कैबिनेट मंत्री बनाकर तोहफा दिया था. मालूम हो कि अशोक गहलोत के लिए जोधपुर सीट प्रतिष्ठा का सवाल था जहां खुद उन्होंने अपने बेटे के लिए खूब प्रचार किया और अपना अधिकतर समय यहीं बिताया लेकिन इसके बावजूद गहलोत अपने राज्य में अपनी पार्टी को एक भी सीट नहीं जिता पाए थे.

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