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उदयपुर में धार्मिक झंडे को लेकर क्यों मचा बवाल? प्रशासन के फैसले पर गरमाई सियासत; BJP हमलावर

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जयपुर: राजस्थान के उदयपुर में भगवा फहराने का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा. नया विवाद जिला कलेक्टर के उस आदेश को लेकर है, जिसमें धारा 144 लगाते हुए उन्होंने पूरे जिले में कहीं भी सार्वजनिक स्थान पर धार्मिक प्रतीक वाले झंडे लगाने पर रोक लगा दी है. हालांकि इसको लेकर बीजेपी और उससे संबंधित अन्य संगठनों ने कड़ी प्रतिक्रिया भी दी है. बीजेपी ने तो जिला कलेक्टर को इस फैसले पर पुर्नविचार की भी अपील की है. इसी उदयपुर में पिछले साल कन्हैया का सिर कलम किया गया था. उसी समय से यहां सांप्रदायिक तनाव की स्थिति बनी हुई है. वहीं हाल ही में यहां आयोजित बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्णा शास्त्री के बयान से बवाल और तेज हो गया. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कुंभलगढ़ किले पर भगवा फहराने की बात कही थी. इस संबंध में उनके खिलाफ केस भी दर्ज किया गया है. इसी क्रम में जिला कलेक्टर ने जिले में धारा 144 लागू करते हुए नया आदेश जारी किया है. उन्होंने अपने आदेश में बताया है कि एसपी उदयपुर ने आशंका जताई है कि सार्वजनिक स्थानों पर धार्मिंक प्रतीक वाले झंडे लगाने से जिले की शांति व्यवस्था प्रभावित हो सकती है.ऐसे में स्थिति को देखते हुए किसी भी राजकीय इमारत, चौक चौराहे या बिजली के खंभों पर धार्मिक झंडे लगाने पर पूर्णत: रोक लगा दी गई है. जिला कलेक्टर के इस आदेश के बाद चुनावी साल से गुजर रहे राजस्थान में मुख्य विपक्षी पार्टी बीजेपी को मौका मिल गया है. बीजेपी के प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी ने इस संबंध में कड़ी प्रतिक्रिया दी है. कहा कि मेवाड़ महाराणा प्रताप की धरती पर भगवा झंडे लगाने पर रोक लगाई गई है. आखिर भगवा झंडे में गलत क्या है? इसी के साथ उन्होंने कहा कि गहलोत सरकार इस फैसले पर पुनर्विचार करे.

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उन्होंने ट्वीट कर कहा कि एक तरफ गहलोत सरकार PFI जैसे अलगाववादी संगठनों को रैली निकालने की अनुमति देती है, वहीं हिन्दू नववर्ष, होली, कांवड़ यात्रा, हनुमान जयंती सहित अन्य त्योहारों पर धार्मिक सद्भाव की आड़ में प्रतिबंध लगाती है.

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दिया कुमारी ने बताया धार्मिक स्वतंत्रता का हनन

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इससे पहले बीजेपी सांसद दिया कुमारी ने भी इस आदेश पर कड़ी प्रतिक्रिया दी थी. उन्होंने कहा था कि सरकार और प्रशासन पर तुष्टिकरण इस कदर हाबी है कि धर्म ध्वजा तक पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है. क़ानून व्यवस्था के नाम पर यह आमजन की धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के हनन है.

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… तो भूल जाइए तीज त्यौहार

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उधर, आमेर से बीजेपी विधायक सतीश पुनिया ने इस फैसले को आगामी चुनाव से जोड़ने का प्रयास किया.उन्होंने प्रदेश वासियों से कहा कि यदि प्रदेश में दोबारा कांग्रेस आती है तोतीज-त्यौहार, व्रत-उपवास, मेले मिलाप, सत्संग, यात्राएँ, नववर्ष, यज्ञ-अनुष्ठान, रामलीला, रामनवमी को तो भूल ही जाना

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