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रिवाज बदलने निकले अशोक गहलोत, महंगाई राहत कैंप में झोंकी जान, क्या सचिन पायलट हो गए शांत?

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जयपुर: राजस्थान में कांग्रेस ने चुनावी तैयारी को लेकर कमर कस ली है जहां मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खुद मोर्चा संभाले हुए हैं. सीएम गहलोत ने 24 अप्रैल को महंगाई राहत कैंप की शुरूआत की जिसके बाद से वह राज्य भर में लगातार धुंआधार दौरे कर रहे हैं. माना जा रहा है कि कांग्रेस इन कैंप की मदद से एक बड़े वोटबैंक तक सीधा पहुंचना चाहती है. वहीं इधर सचिन पायलट के अगल कदम को लेकर सियासी गलियारों में चर्चाओं का माहौल बना हुआ है. बीते दिनों वसुंधरा सरकार में हुए करप्शन के मामलों पर अनशन करने के बाद पायलट शांत है. हालांकि पायलट खेमे की ओर से दबाव की रणनीति लगातार अपनाई जा रही है. दरअसल सचिन पायलट के अनशन के बाद दिल्ली में आलाकमान स्तर पर कई दिन बैठकों का दौर चला लेकिन कोई भी फैसले तक नहीं पहुंचा है. वहीं सचिन पायलट ने अनशन के बाद लगातार 2 हफ्तों तक कोई एक्शन नहीं होने की बात कही थी. इस बीच प्रदेश में पायलट के नई पार्टी बनाने की चर्चाएं भी जोरों पर हैं.

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सचिन पायलट पर आलाकमान करेगा फैसला!

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बताया जा रहा है कि कर्नाटक चुनावों के बाद हाईकमान की ओर से राजस्थान कांग्रेस को लेकर फैसला किया जा सकता है जहां पायलट के अनशन को लेकर कोई कार्रवाई के बजाय पार्टी का सुलह का रास्ता निकाल सकती है. मालूम हो कि पायलट के अनशन को प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने पार्टी विरोधी करार दिया था. हालांकि अनशन के बाद रंधावा के सुर बदल गए थे और उन्होंने पायलट के भाषणों की स्टडी करने का कहा था. इधर पायलट खेमे की ओर से सीधे तौर पर गहलोत या सरकार के खिलाफ हमले शांत हो गए हैं लेकिन पायलट समर्थकों की ओर से अन्य मांगों पर दबाव की रणनीति अपनाई जा रही है. ताजा उदाहण अजमेर के मसूदा से विधायक राकेश पारीक और राज्यमंत्री मुरारीलाल मीणा का है जिन्होंने अलग-अलग मांगों पर अपनी बात रखी है.

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पायलट खेमा कर रहा दबाव की राजनीति!

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दरअसल पायलट के बीजेपी सरकार में हुए भ्रष्टाचार के मामलों पर एक्शन का मुद्दा उठाने के बाद हाल में दौसा विधायक और कृषि विपणन राज्यमंत्री मुरारीलाल मीणा ने उस मांग का समर्थन करते हुए कहा कि बीजेपी वालों के करप्शन की जांच तो होनी ही चाहिए. इसके अलावा अजमेर के मसूदा से कांग्रेस विधायक राकेश पारीक ने भी सरकार को धरने पर बैठने की चेतावनी दी है. पारीक ने सरकार से मसूदा को अजमेर जिले में रखने की मांग उठाई है. उन्होंने कहा कि अगर उनकी विधानसभा सीट मसूदा को अतिरिक्त जिला कलेक्टर अजमेर में नहीं शामिल किया गया तो वह धरने पर बैठ जाएंगे.

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गहलोत ने भी किया हमलावर रुख से किनारा

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वहीं सीएम अशोक गहलोत पायलट के अनशन के बाद से ही चुनावी मोड में दिखाई दे रहे हैं जहां अब 24 अप्रैल के बाद से वह सरकार की योजनाओं को लेकर जनता के बीच जा रहे हैं. मालूम हो कि पायलट के अनशन के दौरान आलाकमान ने गहलोत के कामों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया था जिसके बाद से गहलोत उसी दिशा में आगे बढ़ रहे हैं.बीते बुधवार को बीकानेर में हुए किसान सम्मेलन भी सीएम गहलोत ने वसुंधरा सरकार से लेकर केंद्र सरकार को घेरा और मीडिया से बातचीत में भी वह पायलट के सवालों को टाल रहे हैं. वहीं महंगाई राहत कैंप को लेकर बीते दिनों की गई एक प्रेस वार्ता में भी गहलोत ने पायलट पर किए गए एक भी सवाल का जवाब नहीं दिया था.

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