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सचिन पायलट को CM बनाने की चर्चा पर लगा ब्रेक! क्या जाट मुख्यमंत्री की मांग है अशोक गहलोत की नई चाल?

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जयपुर: राजस्थान में चुनावी मौसम बनने लगा है जहां बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दलों के नेता चुनावी मैदान में उतरकर जनता के बीच माहौल तैयार करने में लगे हैं. इस बीच जहां दोनों ही दलों में मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर गफलत बनी हुई है वहीं जाट सीएम बनाने की मांग भी एक बार फिर जोर पकड़ रही है. राजस्थान विधानसभा में पूर्व नेता प्रतिपक्ष और राजस्थान कृषि उद्योग विकास बोर्ड के अध्यक्ष रामेश्वर डूडी ने हाल में जाट समाज से सीएम बनाने की मांग को समाज के हक और अधिकार से जोड़ दिया. डूडी ने कहा कि जातिगत जनगणना होनी चाहिए जिससे सब कुछ साफ हो जाएगा और हमारे समाज की लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा किया जाना चाहिए. वहीं इससे पहले मार्च महीने में हुए जाट महाकुंभ के दौरान भी जाट सीएम बनाने की मांग मंच से उठी थी.

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दरअसल पिछले 4 सालों में राजस्थान कांग्रेस में खींचतान देखी गई है जहां सचिन पायलट को सीएम बनाने को लेकर लगातार मांग उठती रही और इस दौरान पायलट और गहलोत गुट के नेता कई बार एक-दूसरे के आमने-सामने भी हो गए. हालांकि आलाकमान ने 4 साल तक सीएम पद को लेकर कोई फैसला नहीं लिया और अब चुनावों के नजदीक फैसला लेने के कोई आसार नहीं बन रहे हैं. सीएम गहलोत ने भी अब अपने चेहरे पर चुनाव लड़ने का दावा ठोक दिया है.

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पहले जानिए डूडी ने क्या कहा ?

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डूडी ने हाल में मीडिया से बात करते हुए कहा कि जाट महाकुंभ के दौरान मैंने ही जाट सीएम बनाने की मांग की थी जिस पर मैं आज भी कायम हूं और हमारे समाज के लोग काफी समय से मांग कर रहे हैं जिसे पूरा किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि हमारा समाज अपना हक और अधिकार अब लेकर रहेगा.वहीं इससे पहले 5 मार्च को जयपुर में हुए जाट महाकुंभ के दौरान भी जाट चेहरे को सीएम बनाने की मांग मंच से उठी थी जहां डूडी ने कहा था कि अब नंबर 2 की कुर्सी से काम नहीं चलेगा, समाज को अब नंबर एक की कुर्सी चाहिए. इसके अलावा डूडी ने जातिगत जनगणना का मुद्दा भी उठाया.

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जाट सीएम vs गुर्जर सीएम की सियासत!

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बता दें कि पायलट गुर्जर समाज से आते हैं और उनको सीएम बनाए जाने की मांग सालों से उठती रही है ऐसे में अब चुनावों के एकदम नजदीक आने पर जाट सीएम की मांग को हवा मिलना पायलट फैक्टर को बैलेंस करने के तौर पर देखा जा रहा है. जानकारों का कहना है कि पायलट के काउंटर करने के लिए गहलोत हर मोर्चे पर चुनौती दे रहे हैं और जाट सीएम की मांग को भी उसी के संदर्भ में देखा जा रहा है. दरअसल डूडी जो पहले पायलट के करीबी हुआ करते थे, उनकी अब गहलोत से नजदीकियां बढ़ गई है.इसके अलावा गुर्जर समाज के बाद जाट समाज के सीएम बनाए जाने की चर्चा छिड़ने के बाद जाट वोटबैंक को भुनाने के साथ ही अन्य समाज भी इसी मांग पर आगे आ सकते हैं. हालांकि पायलट को सीएम बनाए जाने की चर्चा अब आलाकमान स्तर से भी बंद हो गई है और बीते दिनों पायलट के अनशन के बाद दिल्ली दरबार ने साफ संकेत दिए थे कि वह गहलोत के कामों और योजनाओं पर ही चुनावी मैदान में उतरेंगे.

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