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कोलकाता. पश्चिम बंगाल के पूर्व मिदनापुर के एगरा में अवैध पटाखे की फैक्ट्री में ब्लास्ट इतना तेज था कि मृतकों के शव पास के दो तालाब और गांव की सड़क पर उड़ कर पहुंच गये थे. विस्फोट की घटना के बाद घटना स्थल पर पहुंची पुलिस स्थानीय लोगों की मदद से शवों को एकट्ठा कर रही है. तालाब से शवों को निकाल रही है. प्राप्त जानकारी के अनुसार अब तक नौ शवों को शिनाख्त की गई है और शवों की मिलने की आशंका है. इस बीच जिला पुलिस अधीक्षक अमरनाथ ने घटना स्थल का दौरा किया और इलाके के आईसी को शॉ कॉज किया गया है, लेकिन स्थानीय लोग पुलिस पर सवाल उठा रहे हैं. मंगलवार दोपहर 12 बजे तक सबकुछ सामान्य था. अन्य दिनों की तरह ही एगरा के ब्लॉक नंबर 1 के सहारा ग्राम पंचायत क्षेत्र के खादीकुल गांव में दिनचर्चा चल रही थी, करीब दोपहर बारह बजे तृणमूल कांग्रेस नेता कृष्णपद बाग उर्फ भानु बाग के अवैध पटाखे की फैक्ट्री में हुए धमाके ने गांव की पूरी तस्वीर बदल दी. धमाके की आवाज से पूरा इलाका थर्रा किया और चारों ओर केवल धुआं और आग दिखाई दे रहा था. घटना स्थल पर केवल आग और धुआं दिखाई दे रहा
एगरा से तालाब से दिन भर निकलता रहा शव.
धमाके की आवाज सुनकर जब स्थानीय लोग घटना स्थल पहुंचे तो चारों ओर क्षत-विक्षत हालत में शव पड़े थे. घायल लोग कराह रहे थे. किसी का हाथ नहीं था, तो किसी का पैर नहीं था, तो कुछ लोग उड़ कर तालाब में गिर गये थे. हर जगह दर्द और चीख की आवाज सुनाई दे रही थी. हर तरफ सिर्फ चीख-पुकार मची हुई थी. स्थानीय निवासियों के मुताबिक, विस्फोट की तीव्रता इतनी तेज थी कि शव घर की छत से गिरकर तालाब में जा गिरे. इस घटना के बाद पुलिस और दमकल को सूचना दी गई. दमकल की नौ इंजन की मदद से आग बुझाई गई, लेकिन जब पुलिस पहुंची तो स्थानीय लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ा. पुलिस जान बचाकर भागती हुई दिखी.
पुलिस से मिलीभगत का आरोप, स्थानीय लोगों ने की पिटाई
स्थानीय विधायक भी घटना स्थल पर पहुंचे, लेकिन उन्हें भी आम लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा. इस बीच, पुलिस पास के दो तालाबों से शव निकालने का सिलसिला जारी रहा. शाम छह बजे तक नौ लोगों की मौत की पुष्टि हुई है. नौ लोगों के शव मिले हैं. पुलिस को आशंका है कि अभी और भी शव मिल सकते हैं. स्थानीय अस्पताल में सात से अधिक लोग भर्ती हैं और उनमें से कई की हालत गंभीर है. एक स्थानीय निवासी ने कहा, ‘घटना के लिए पुलिस प्रशासन जिम्मेदार है. यहां बम शेल्टर बनाया गया था. यह फैक्ट्री पुलिस के भरोसे चल रही थी. पुलिस सब जानती थी. पुलिस जिम्मेदार है. वे रोज आते थे. लेन-देन नहीं तो इतना बड़ा घोटाला कैसे हो गया सकता था.” श्यामपद प्रधान नामक एक अन्य निवासी ने कहा, यहां महिलाएं अधिक काम करती थीं. कई लोग इस विस्फोट में मारे गए हैं. “स्थानीय लोगों का कहना है कि पूरा खेल पुलिस की मिलीभगत से चल रहा था और पुलिस कोई कार्रवाई नहीं करती थी.