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कांग्रेस ने कर्नाटक के सहारे राजस्थान का रण जीतने की तैयारी शुरू कर दी है. राज्य सरकार का काम, सीएम अशोक गहलोत की छवि और कर्नाटक का घोषणा पत्र, यही तीन टूल राजस्थान में कांग्रेस लागू करने वाली है. पार्टी को भरोसा है कि वह राजस्थान के इतिहास को ब्रेक करके दोबारा अपनी पार्टी की सरकार बनाने में कामयाब होगी. जिस एजेंसी ने कर्नाटक में कांग्रेस का कैंपेन मैनेज किया है, वह राजस्थान सरकार के लिए पहले से काम कर रही है. गहलोत सरकार के अंतिम बजट के लिए भी इसी कंपनी ने कैम्पेन डिजायन किया था, जो राज्य के अलग-अलग हिस्सों में देखा भी गया. बचत, राहत, बढ़त कैच वर्ड के साथ सीएम गहलोत की तस्वीर और बजट की तारीख की घोषणा इस कैम्पेन के माध्यम से की गयी थी. इन दिनों राजस्थान में मंहगाई राहत कैंप लगाने में भी इसी कंपनी ने मदद की है. माना जा रहा है कि राज्य सरकार इन कैंपों का इस्तेमाल ब्रांडिंग में करने वाली है, इसीलिए सीएम लगातार इन राहत कैंपों में गए हैं, लोगों से मिले हैं. इस शिविरों में विभिन्न सरकारी योजनाओं के राहत कार्ड बनाए जा रहे हैं.
कांग्रेस को कर्नाटक वाली रीति पर विश्वास
अब जब कर्नाटक में कांग्रेस को प्रचंड बहुमत मिल चुका है तो स्वाभाविक दावेदारी उस एजेंसी की बनती है, जिसने जीत में भूमिका निभाई है. इसीलिए कहा जा रहा है कि सीएम अशोक गहलोत राजस्थान चुनावों में कर्नाटक की रीति-नीति अपनाने वाले हैं. यह एजेंसी गहलोत सरकार के काम की ब्रांडिंग पहले से ही करती आ रही है, ऐसे में उसके लिए संभावनाएं हैं. उस पर गहलोत पहले से भरोसा कर रहे हैं, अब तो कांग्रेस पार्टी ने भी भरोसा कर लिया है.
राजस्थान से कांग्रेस को बड़ी उम्मीदें
इसीलिए कर्नाटक का परिणाम आने के बाद फैसला यह हुआ कि यही एजेंसी पूरे कैम्पेन की प्लानिंग और उसे जमीन पर उतारने का काम करेगी. अशोक गहलोत किसी भी सूरत में सरकार की वापसी चाहते हैं. यह चुनाव उनके लिए विशेष प्रतिष्ठा का बन चुका है. वे किसी भी सूरत में इसे दोबारा जीतना चाहते हैं. वे राजस्थान में एक बार कांग्रेस तो अगली बार भाजपा वाली छवि को भी तोड़ना चाहते हैं.
गहलोत के लिए नाक का सवाल
गहलोत के लिए यह चुनाव इसलिए नाक का सवाल हो गया है क्योंकि शुरुआती दिनों में उनके डिप्टी रहे सचिन पायलट आए दिन सरकार के खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं. धरना, पदयात्रा, बयान जैसी चीजों से सचिन अपनी ही सरकार और सीएम को असहज करते आ रहे हैं. गहलोत चाहते हैं कि अगर सरकार दोबारा बनाने में कामयाबी मिली तो कई फायदे एक साथ होंगे. एक तो राजस्थान की यह छवि टूट जाएगी, जिसमें एक बार कांग्रेस और एक बार भाजपा की सरकार बनती है. दूसरा फायदा यह होगा कि सचिन पायलट का कद और छोटा दिखने लगेगा.
कर्नाटक में कांग्रेस ने दे रखी है ये पांच गारंटी
-हर परिवार को दो सौ यूनिट बिजली फ्री -स्नातक बेरोजगारों को तीन हजार महीना और डिप्लोमा को डेढ़ हजार -हर परिवार की मुखिया महिला को दो हजार रुपया महीना -हर गरीब को 10 किलोग्राम अनाज -महिलाओं को सरकारी बस में फ्री यात्रा की सुविधा
पांच गारंटी शामिल कर सकती है कांग्रेस
कर्नाटक घोषणा-पत्र में शामिल ये पांच गारंटी कांग्रेस यहां भी अपने वायदे में शामिल कर सकती है. यहाँ पार्टी अशोक गहलोत को एक लड़ाका के रूप में पेश करने की योजना को अंतिम रूप दे रही है. मंहगाई राहत शिविरों के माध्यम से एक करोड़ से ज्यादा राहत कार्ड बांटे जा चुके हैं. इसकी ब्रांडिंग राहत के रूप में करने की तैयारी है. सीएम के चेहरे पर ही चुनाव लड़ने का फैसला कांग्रेस ने कर लिया है.
राज्य में सर्वे पर काम शुरू
कांग्रेस राजस्थान सरकार के राइट टू हेल्थ, चिरंजीवी स्वास्थ्य योजना, ओल्ड पेंशन स्कीम, राहत कार्ड जैसी लोकप्रिय योजनाओं पर तो बात करेगी ही, चुनावी जन सभाओं में पार्टी के नेता एक नीति के तहत आने वाले दिनों में राज्य को मिलने वाली गारंटी पर ज्यादा फोकस करने की योजना पर काम कर रही है. कांग्रेस राजस्थान में एकदम अलग तरीके से जनता के बीच पहुँचने के हर संभव उपाय अपनाएगी. एजेंसी ने राज्य में सर्वे का काम शुरू कर दिया है, कैम्पेन की दिशा सर्वे के नतीजों के आधार पर की जाएगी.