REPORT TIMES
शुक्रवार का दिन था. शाम के करीब 6.30- 7 बजे रहे थे. कहीं बुजुर्गों की बातें, तो कहीं बच्चों की खिलखिलाहट. रात को खाने के लिए क्या ऑर्डर करना है, ये तक तय हो गया था. ये नजारा शालिमार से चेन्नई सेंट्रल जा रही उस कोरोमंडल एक्सप्रेस ट्रेन का था जो ओडिशा के बालासोर में हादसे का शिकार हो गई. इसी ट्रेन में मौजूद था 19 साल का लड़का जिसने हादसे की आंखोदेखी आपबीती बताई है.हादसा कैसे हुआ? सवाल सुनते ही लड़के गला सूख गया. एक पल के लिए आंखे बंद हो गई. मानो उस एक सवाल से पूरी दुर्घटना का रिप्ले सामने आ गया हो. हादसे में सैंकड़ों की लोगों की मौत हो गई. लेकिन 19 साल का निवास कुमार बच गया. वो अपने दादा जी के साथ हावड़ा से बिहार जा रहा था. हादसे के बारे में बात करते ही उसकी आंखों में एक अजीब सा डर उतर आया.
बच्चों की खिलखिलाहट की जगह लाशों का अंबार
उसने बताया, कुछ देर पहले तक, सबकुछ बहुत अच्छा था. बच्चे खेल रहे थे, लोग बातें कर रहे थे. कोई चैन से सो रहा था. अचानक से आंधी आई, और फिर एक तेज धम आवाज सुनाई दी. कान सुन्न हो गए और आंखे बंद. थोड़ी देर बाद आंख खुली तो खौफनाक मंजर नजर आया. चारों ओर लाशों का अंबार था. बच्चों की खिलखिलाहट की जगह लोगों चीखने चिल्लाने की आवाज थी. कहीं किसी बुजुर्ग का चश्मा तो कहीं बच्चों के कपड़े औऱ खिलौने बिखरे हुए थे. एंबुलेंस का सायरन, लोगों की चीख कानों में गूंज रही थी. हादसा होते ही निवास भी बेहोश हो गया था. ट्रेन से रेसक्यू किए जाने के बाद उसे अस्पताल पहुंचाया गया. निवास इस हादसे में बाल-बाल बचा है.
हादसे के वक्त वॉशरूम में थी वंदना
इस तरह हादसे में बची एक और महिला यात्री ने घटना की आपबीती बताई है. हादसे के वक्त वह कोरोमंडल एक्सप्रेस में मौजूद थीं. वंदना नाम की इस महिला ने बताया कि हादसे के वक्त वह वॉशरूम में थी. इसी के चलते उसकी जान बच गई. वॉशरूम से बाहर आते ही बाहर का मंजर देखकर पूरी तरह हिल गईं. ट्रेन पूरी तरह झुक गई थी. ट्रेन का सारा सामान इधर-उधर बिखरा पड़ा था. लोग एक-दूसरे के ऊपर लेटे हुए थे. क्या हुआ यह समझने का कोई तरीका नहीं था. चारों ओर शवों को देखर वह सहम गई. इस हादसे में वह बाल-बाल बचीं. हादसे के बाद उन्हें बाहर सुरक्षित बाहर निकाला गया. खबर लिखे जाने तक इस हादसे में 238 लोगों के मारे जाने की खबर हैं. घायलों का आंकड़ा भी बढ़ रहा है. उन सभी को अस्पताल में भर्ती कराया जा रहा है.