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देश में इस साल जिन चार बड़े राज्यों- मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में विधानसभा चुनाव होना है, उसमें से बीजेपी को सबसे ज्यादा उम्मीद राजस्थान से है. बीजेपी यह मान कर चल रही है कि अगर सब कुछ ठीक रहा तो RAJASTHAN में बीजेपी की सरकार बन सकती है. हालांकि अंदरूनी घमासान और गुटबाजी अभी भी पार्टी के लिए बड़ी समस्या बनी हुई है.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अजमेर की रैली में सभी बड़े नेताओं को मंच पर बैठाकर सभी नेताओं को एकजुट होने का मैसेज देने का प्रयास जरूर किया. लेकिन फिलहाल इसके खत्म होने के आसार कम ही नजर आ रहे हैं. कांग्रेस में अशोक गहलोत बनाम सचिन पायलट की लड़ाई तो काफी पहले ही खुल कर सामने आ गई थी, लेकिन वास्तव में बीजेपी भी कई गुटों में बंटी हुई है.
दावेदारों और गुटबाजी से निपटना जरूरी
बीजेपी में मुख्यमंत्री पद के कई दावेदार हैं और सबके अपने-अपने गुट है. एक तरफ पूर्व सीएम वसुंधरा राजे सिंधिया है, जो कई मौकों पर अपनी दावेदारी जता चुकी है. हालांकि यह माना जाता है कि राजेंद्र राठौड़ जैसे कई करीबी नेताओं के साथ छोड़ने के कारण वसुंधरा राजे सिंधिया कमजोर हो गई है. राजेंद्र राठौड़ तो अब स्वयं ही सीएम पद के दावेदार के तौर पर उभर कर सामने आ रहे हैं. गाहे-बगाहे गजेंद्र सिंह शेखावत, अर्जुन राम मेघवाल और सतीश पूनिया सहित कई अन्य नामों को लेकर भी चर्चा शुरू हो जाती है. सतीश पुनिया के बाद प्रदेश अध्यक्ष की कमान संभालने वाले सांसद सी पी जोशी भी आलाकमान की नजर में उभरते जा रहे हैं. सी पी जोशी लगातार संगठन पर और प्रदेश में अपनी पकड़ मजबूत करने का प्रयास कर रहे हैं.
क्या है बीजेपी के पास ऑप्शन?
ऐसे में बीजेपी के सामने दुविधा यह है कि सीएम पद का चेहरा सामने रखकर चुनाव लड़ा जाए या फिर बिना सीएम के उम्मीदवार के चुनाव में जाया जाए. सूत्रों के मुताबिक पार्टी में एक आम राय यह उभर कर सामने आ रही है कि अगर सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाएगा तो सीएम पद के सारे दावेदार ज्यादा से ज्यादा उम्मीदवारों को जिताने के लिए मेहनत करेंगे और पार्टी को इसका फायदा होगा. जबकि सीएम के उम्मीदवार की घोषणा करने से गुटबाजी और ज्यादा बढ़ जाएगी.
बीजेपी के आगे हनुमान बेनीवाल भी चुनौती
हनुमान बेनीवाल को लेकर भी बीजेपी का आकलन यह है कि उनकी पार्टी आरएलपी का असर अधिक से अधिक दस विधानसभा सीटों पर हैं, जहां पर वह बीजेपी और कांग्रेस दोनों को नुकसान पहुंचाने की हालत में है. हालांकि अगर हनुमान बेनीवाल आम आदमी पार्टी और सचिन पायलट को साथ लेकर कोई मोर्चा बनाते हैं, तब जरूर बीजेपी के सामने वो बड़ी चुनौती बन सकते हैं, जिसकी काट बीजेपी को समय रहते ढूंढनी पड़ेगी.