Report Times
latestOtherकरियरजयपुरटॉप न्यूज़ताजा खबरेंराजनीतिराजस्थानस्पेशल

सत्ता में वापसी के लिए CM अशोक गहलोत के हथकंडे, ऐसे दबाएंगे बगावत के सुर

REPORT TIMES 

Advertisement

सत्ता में वापसी के लिए अशोक गहलोत कई नई तरकीब लागू करने की सोच रहे हैं. अशोक गहलोत पार्टी में बगावत को लेकर ऐहतियाती कदम उठाने की सोच रहे हैं. इसलिए राजस्थान के कांग्रेस प्रभारी रंधावा से मिलकर आने वाले विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण चुनाव की तारीख से दो महीने पहले चाहते हैं. दरअसल ऐसा वो कर्नाटक की तर्ज पर चाहते हैं जहां पार्टी अधिसूचना जारी होने से पहले ज्यादातर सीटों का ऐलान कर चुकी थी.

Advertisement

सत्ता में दोबारा वापसी के लिए क्या है गहलोत का फुल प्रूफ प्लान?

Advertisement

अशोक गहलोत राज्य में कांग्रेस की सरकार रिपीट करने के लिए ऐहतियाती कदम सख्ती से लागू करने के पक्ष में हैं. पिछले कुछ महीनों में कई जिलों का दौरा कर चुके अशोक गहलोत की नजर लाभार्थियों की संख्या में इज़ाफा करने को लेकर है. इसलिए कांग्रेस सरकार पिछले तीन दशकों का रिकॉर्ड तोड़ने में कामयाब हो इसके लिए वो हर लेवल पर फुल प्रूफ प्लान को ज़मीन पर उतारने के पक्षधर हैं. इस कड़ी में अशोक गहलोत की नजर टिकट वितरण की टाइमिंग को लेकर है. गहलोत चाहते हैं कि कर्नाटक की तर्ज पर राजस्थान में उम्मीदवार चुनाव की तारीख घोषित होने से पहले अपने क्षेत्र में धुआंधार प्रचार में जुट जाएं और इसका फायदा राजस्थान में कांग्रेस पार्टी को कर्नाटक की तरह मिल सके. दरअसल अशोक गहलोत चुनाव की घोषणा से पहले ही अपने उम्मीदवारों को मैदान में उतार देना चाहते हैं. यूथ कांग्रेस की एक मीटिंग में अशोक गहलोत ने अपने इस इरादे को साफ तौर पर स्पष्ट कर दिए हैं. अशोक गहलोत ने इस मसले पर राजस्थान के कांग्रेस के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा को अवगत कराते हुए कहा है कि समय से दो महीने पहले टिकट वितरण किए जाने पर बगावती तेवर अपनाने वाले उम्मीदवारों को साधा जा सकेगा.

Advertisement

Advertisement

अशोक गहलोत को बगावत की क्यों है आशंका?

Advertisement

दरअसल राजस्थान की कांग्रेस पार्टी में सचिन पायलट को लेकर अशोक गहलोत कभी भी सहज नहीं रहे हैं. सचिन पायलट पिछले दिनों भी गहलोत सरकार पर वसुंधरा राजे के उपर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने को पैदल यात्रा कर चुके हैं . पार्टी हाईकमान ने सुलह समझौते की कोशिश तो की है लेकिन सचिन पायलट का अगला कदम क्या होगा इसको लेकर कांग्रेस में उहापोह की स्थिती है. इससे पहले भी सचिन पायलट साल 2020 में अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ बगावती तेवर अपना चुके हैं. इस दरमियान मानेसर में कई कांग्रेसी विधायकों के साथ सचिन पायलट ने खुला बगावत कर दिया था. अशोक गहलोत प्रियंक गांधी की मध्यस्थता के बाद सरकार बचाने में तो कामयाब रहे थे. लेकिन तब से लेकर अब तक गहलोत और पायलट के बीच रिश्ते सामान्य नहीं हो पाए हैं. ज़ाहिर है इस बार भी अपने समर्थकों को टिकट दिलवाने की होड़ में सचिन पायलट और अशोक गहलोत आमने सामने हो सकते हैं. ऐसे में पार्टी में बगावत होती है तो उससे निपटने के लिए भरपूर समय हो इसकी तैयारी अशोक गहलोत पहले ही कर लेना चाहते हैं. दरअसल पिछले विधानसभा चुनाव में भी टिकट वितरण ऐन वक्त करने की वजह से कांग्रेस कई सीटों पर नुकसान में रही थी और पार्टी में मची अंतर्विरोध को दूर करने में नाकामयाब रही थी. ज़ाहिर है इसी वजह से कांग्रेस जादुई आंकड़ा छूने से वंचित रही थी और अन्य दलों के समर्थन से कांग्रेस की सरकार बन पाई थी.

Advertisement

कर्नाटक की सक्सेस स्टोरी को दोहराना क्यों है जरूरी ?

Advertisement

दरअस पिछले चुनाव में कांग्रेस कई सीटों पर नामांकन से एक दिन पहले टिकट की घोषणा जैसे तैसे कर पाई थी .टिकट बंटवारे में देरी की वजह से कांग्रेस पार्टी में बगावत को दूर नहीं कर पाई थी. कहा जाता है कांग्रेस को इस वजह से तकरीबन पचास सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था. अशोक गहलोत इस बात पर जोर दे रहे हैं कि देर से टिकट बांटने पर उम्मीदवारों के लिए नामांकन के पंद्रह से बीस दिनों के अंदर अपने क्षेत्रों को कवर करना आसान नहीं रह पाता है. इसलिए कर्नाटक के चुनाव में अपनाए गए तौर तरीकों को कांग्रेस की राज्य इकाई राजस्थान सहित मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में दोहराना चाह रही है. कर्नाटक में चुनाव आयोग ने 13 अप्रैल को चुनाव कराने की अधिसूचना जारी की थी. कर्नाटक कांग्रेस की राज्य इकाई चुनाव की तारीख से डेढ़ महीने पहले 224 में से 166 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर चुकी थी. कांग्रेस के ज्यादातर उम्मीदवार मार्च महीने से ही अपने अपने विधानसभा क्षेत्र में काम करने में जुट गए थे . कांग्रेस इनमें से ज्यादातर सीटों पर सफल रहने में कामयाब रही थी. कांग्रेस राज्य में 224 सीटों में 136 सीटें जीतने में सफल रही थी जिनमें कांग्रेस को पहले घोषित की गई सीटों पर जीत का प्रतिशत कहीं ज्यादा है. दरअसल राजस्थान में कांग्रेस साल 2018 में होने वाले चुनाव में नामांकन की प्रक्रिया शुरू होने तक एक भी उम्मीदवार का नाम घोषित नहीं कर सकी थी. पिछले चुनाव में कई सीटों पर कांग्रेस नामांकन से एक दिन पहले तक कई उम्मीदवारों की सीटें घोषित कर सकी थी. ज़ाहिर है कांग्रेस को एंटी इन्कमबेंसी का फायदा तो मिला था लेकिन बहुमत का आंकड़ा पार करने में कांग्रेस नाकामयाब रही थी. यही वजह है कि राजस्थान में अशोक गहलोत पिछले चुनाव की गलती और कर्नाटक में कांग्रेस को मिली सफलता की वजहों को चुनाव में अपनाने पर जोर देर रहे हैं.

Advertisement
Advertisement

Related posts

अर्जुन राम मेघवाल के बहाने पीएम मोदी ने साधे एक तीर से दो निशाने

Report Times

राजस्थान: चिकित्सा स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने 2773 पदों पर भर्ती के प्रस्तावों को दी मंजूरी

Report Times

झुंझुनूं : एडिशनल एसपी गिरधारी लाल शर्मा पहुंचे पिलानी, उत्तम सुपर स्टोर पर हुई फायरिंग की ली जानकारी, सीसीटीवी देखे

Report Times

Leave a Comment