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क्या खतरे में शिंदे की कुर्सी, बीजेपी के हाथों में फिर होगी सत्ता की स्टीयरिंग?

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महाराष्ट्र की सियासत में रविवार को बीजेपी ने ऐसा दांव चला, जिससे एनसीपी प्रमुख शरद पवार ही नहीं बल्कि विपक्षी खेमा चारों खाने चित हो गया. शरद पवार के भतीजे अजित पवार अपने सिपहसलारों के साथ बीजेपी-शिंदे सरकार में शामिल हो गए हैं. अजित पवार डिप्टी सीएम तो उनके साथ आए आठ एनसीपी विधायकों को मंत्री बनाया गया है. अजित पवार के बीजेपी गठबंधन में आने से महाराष्ट्र की सत्ता का चेहरा भी बदल सकता है. सवाल उठने लगे हैं कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की कुर्सी पर भी क्या खतरा मंडराने लगा और बीजेपी फिर से सत्ता की स्टेयरिंग अपने हाथों में ले सकती है?अजित पवार अकेले बीजेपी गठबंधन में नहीं आए हैं बल्कि 40 एनसीपी विधायकों के साथ समर्थन का दावा किया है. इस तरह से बीजेपी के लिए महाराष्ट्र की सियासत में अजित सियासी पावर बनकर आए हैं. बीजेपी के लिए अब एकनाथ शिंद कोई राजनीतिक मजबूरी नहीं रह गए हैं, क्योंकि अजित पवार भी अपने साथ उतने ही एनसीपी के विधायक लेकर आए हैं, जितना शिंदे ने शिवसेना के विधायक लेकर आए थे.

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एनसीपी के आने से क्या फर्क पड़ेगा?: एनसीपी के 40 विधायकों के साथ अजित पवार के आने से बीजेपी गठबंधन पर भी फर्क पड़ेगा, जिसके चलते ही एकनाथ शिंदे के सियासी भविष्य पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं. शिवसेना (उद्धव गुट) के नेता संजय राउत ने सियासी घटनाक्रम पर बयान देते हुए शिंदे की कुर्सी पर संकट बताया. संजय राउत ने कहा कि महाराष्ट्र में बहुत जल्द नया मुख्यमंत्री मिलेगा. एकनाथ शिंदे की मुख्यमंत्री पद कुर्सी जानी तय है, क्योंकि उनकी और उनके साथ आए 16 विधायकों की सदस्यता रद्द होने वाली है.

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2019 से शह-मात का खेल जारी: दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में शिंदे-उद्धव ठाकरे मामले की सुनवाई करते हुए विधानसभा स्पीकर को शिवसेना के 16 विधायकों की सदस्यता के मामले में फैसला लेने के लिए कहा है. इस तरह स्पीकर राहुल नार्वेकर को शिंदे के साथ आए 16 शिवसेना विधायकों की सदस्यता पर निर्णय लेना है. नार्वेकर बीजेपी के विधायक हैं और शिंदे व उनके साथ आए विधायकों को अयोग्य ठहरा देते हैं तो महाराष्ट्र की बीजेपी गठबंधन की सरकार पर कोई असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि अजित पवार एनसीपी के 40 विधायकों के समर्थन का दावा कर रहे हैं.

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बीजेपी 2019 से ही महाराष्ट्र की सत्ता का स्टेयरिंग अपने हाथों में रखना चाहती है, लेकिन विधानसभा चुनाव के नतीजों ने उसे बहुमत से दूर कर दिया था. हालांकि, बीजेपी-शिवसेना मिलकर चुनाव लड़ी थी और उन्हें बहुमत से ज्यादा सीटें मिली थी, लेकिन उद्धव ठाकरे के सीएम पद पर दावेदारी के चलते सारा खेल बिगड़ गया था. उद्धव ठाकरे ने बीजेपी से गठबंधन तोड़कर अपने वैचारिक विरोधी कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बना ली थी, जो बीजेपी के लिए किसी झटके से कम नहीं था.

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2019 में भी बीजेपी ने एनसीपी के अजित पवार के साथ मिलकर सरकार बनाने की कोशिश की थी. देवेंद्र फडणवीस ने सीएम व अजित पवार ने डिप्टी सीएम पद की शपथ भी ले ली थी, लेकिन शरद पवार एक्टिव होकर एक ही दिन में बीजेपी के सरकार बनाने के मंसूबों पर पानी फेर दिया था. उद्धव ठाकरे के अगुवाई में महा विकास अघाड़ी की सरकार बनी थी, लेकिन बीजेपी ने पिछले साथ एकनाथ शिंदे के जरिए सत्ता का तख्तापलट ही नहीं किया बल्कि शिवसेना को भी दो हिस्सों में बांट दिया.

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बीजेपी की शिंदे पर निर्भरता खत्म: बीजेपी ने उद्धव ठाकरे को महाराष्ट्र की सत्ता से बेदखल तो कर दिया, लेकिन आंकड़ों की मजबूरी के चलते एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री और देवेंद्र फडणवीस को उपमुख्यमंत्री का पद मिला. शिंदे का साथ मिलने से सत्ता में बीजेपी आ तो गई, लेकिन महाराष्ट्र में लोकसभा और विधानसभा चुनाव जीतने वाली स्थिति नहीं बन पा रही थी, क्योंकि कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना (उद्धव गुट) एक साथ मिलकर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे. ऐसे में एनसीपी को साथ लाकर बीजेपी ने विपक्ष के महा विकास अघाड़ी के समीकरण को बिगाड़ दिया और एकनाथ शिंदे पर से निर्भरता भी खत्म हो गई है.

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बीजेपी ने एकनाथ शिंदे और अजित पवार को मिलाकर महाराष्ट्र में अपना कुनबा बड़ा कर लिया है, जिसके जरिए 2019 के लोकसभा व विधानसभा चुनाव में मजबूती के साथ उतरेगी. इसके साथ ही बीजेपी महाराष्ट्र के सत्ता की स्टेयरिंग भी अब अपने हाथों में लेने का दांव चल सकती है, क्योंकि एकनाथ शिंदे पर कानूनी तलवार लटक रही है. सुप्रीम कोर्ट ने शिंदे के साथ आए 16 विधायकों की सदस्यता पर फैसला लेने के लिए स्पीकर को कहा है. इसके अलावा अजित पवार के आने से बीजेपी ने विधायकों का नंबर गेम भी मजबूत कर लिया है.

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अजित पवार के आने से बदला नंबर गेम: एकनाथ शिंदे और उनके साथ आए विधायकों की सदस्यता अगर जाती है तो भी बीजेपी सत्ता में बनी रहेगी, क्योंकि नंबर गेम में बहुमत से काफी ज्यादा विधायकों का समर्थन हो रहा है. महाराष्ट्र में कुल 288 सदस्य की संख्या है और सरकार बनाने के लिए कम से कम 145 विधायकों का समर्थन चाहिए. बीजेपी के पास अपने 105, निर्दलीय और छोटे दलों को मिलाकर कुल 126 विधायकों का समर्थन है, जिसमें एकनाथ शिंदे के साथ आए शिवसेना के 40 विधायकों को मिल देते हैं तो फिर यह आंकड़ा 166 हो जाता है.

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वहीं, अब अजित पवार के साथ आए एनसीपी 40 विधायकों के समर्थन से बीजेपी गठबंधन का आंकड़ा 206 विधायकों का हो रहा है. ऐसे में अगर शिंदे गुट के विधायकों की संख्या को हटा देते हैं तो बीजेपी और अजित पवार के एनसीपी विधायकों के साथ 166 हो जाता है, जो बहुमत से 21 विधायक ज्यादा हो रहे हैं. ऐसे में अब सियासी तौर पर एकनाथ शिंदे बीजेपी की मजबूरी नहीं रह गए हैं, अब अजित पवार के विधायक के साथ मिलकर बीजेपी महाराष्ट्र की सत्ता का स्टेयरिंग अपने हाथों में रख सकती है.

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अजित पवार उपमुख्यमंत्री पद से ही खुश रह सकते हैं और बीजेपी अपना मुख्यमंत्री बनाने की दिशा में कदम बढ़ा सकती है. इस तरह से एकनाथ शिंदे की कुर्सी पर खतरा साफ नजर आ रहा है. देखना है कि बीजेपी क्या मुख्यमंत्री पद को लेकर भी सियासी परिवर्तन का खेल खेलेगी या फिर नहीं?

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