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शिवसेना से ऑफर, ओवैसी से मुलाकात… अब आगे राजेंद्र गुढ़ा का क्या होगा?

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अपनी ही सरकार के खिलाफ बोलने का ट्रेंड राजस्थान में कोई नया नहीं है. हाल ही में अपनी ही सरकार के खिलाफ कांग्रेस पार्टी के कद्दावर नेता सचिन पायलट तो अनसन पर बैठने के बाद यात्रा तक निकाल चुके हैं. उनपर कार्रवाई करने की जगह पार्टी सिर्फ एक्शन लेने की धमकी भर ही देती दिखाई दी. लेकिन उन्ही के गुट से आने वाले राजेंद्र गुढ़ा के साथ ऐसा नहीं हुआ. राजेंद्र गुढ़ा ने शनिवार को विधानसभा में अपनी ही सरकार को घेरा तो चंद घंटों में ही उनसे मंत्रिपद छिन गया. अब चर्चा ये है कि उन्हें जल्द ही पार्टी से निकाला जा सकता है या फिर वो खुद ही कांग्रेस से किनारा कर सकते हैं. गुढ़ा पहले ही अपने इस कदम को लेकर पटकथा लिख चुके थे. इसी महीने की शुरुआत में AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी राजस्थान दौरे पर आए थे. इस दौरान गुढ़ा ने जयपुर में ओवैसी से मुलाकात की. एक घंटे तक चली इस मुलाकात में आगामी विधानसभा चुनावों पर विस्तार से चर्चा हुई. इस मुलाकात को लेकर गुढ़ा खुद बोल चुके हैं कि दो राजनेताओं की मुलाकात में मौसम की चर्चा नहीं होती, बल्कि सियासत पर ही बातचीत होती है. जाहिर है उनका इशारा साफ था.

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ओवैसी से मिलाएंगे हाथ?

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ओवैसी और गुढ़ा की इस मुलाकात को क्षेत्रीय समीकरणों से समझें तो ओवैसी लगातार शेखावटी के इलाके में जोर लगा रहे हैं, ताकि यहां की सीटों पर आगामी विधानसभा चुनाव में कुछ खेल कर सकें. गुढ़ा इसी शेखावटी इलाके में आने वाले झुंझनू जिले की एक सीट से विधायक हैं और ओवैसी के लिए वो एक बेहतरीन उम्मीदवार साबित हो सकते हैं. यहां एक बात ये भी बता दें कि बड़ी पार्टियों से चुनाव लड़ना गुढ़ा को फला नहीं है. वो दो बार बीएसपी से चुनाव जीते हैं और जीतने के बाद कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए.

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BSP में करेंगे वापसी?

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तो क्या गुढ़ा फिर से बीएसपी के झंडे तले चुनाव लडे़ंगे? ये सवाल अभी पूरी तरह से राजनीतिक गलियारों में पहुंच भी नहीं पाया था कि राजस्थान में बीएसपी के प्रमुख भगवान सिंह बाबा ने साफ-साफ कह दिया कि गुढ़ा के लिए बीएसपी के दरवाजे बंद हो चुके हैं. यानी साफ है कि वो दो बार जिस तरकीब से विधानसभा पहुंचे, इसबार उसे बदलना होगा. ऐसे में ओवैसी की पार्टी एक बेहतर विकल्प हो सकती है. दरअसल गुढ़ा अपने क्षेत्र के कद्दावर नेता हैं और उन्हें जीत के लिए किसी बड़े दल के नाम की विशेष आवश्यकता नहीं है, लेकिन ओवैसी के जरिए एक विशेष समुदाय का वोट जरूर उन्हें मिल सकता है.

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शिवसेना से ऑफर?

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खैर ओवैसी की तरफ से किसी तरह का ऐलान नहीं किया गया है. न ही गुढ़ा ने अपने पत्ते खोले हैं, लेकिन एक दल ऐसा है, जिसने दोनों बाहें खोल कर गुढ़ा को अपनी पार्टी में शामिल होने का न्योता भेजा है. ये पार्टी है एकनाथ शिंदे गुट की शिवसेना. राजस्थान में शिवसेना की कमान चंद्रराज सिंघवी के हाथ में है. उन्होंने सदन में गुढ़ा के दिए गए बयान की तारीफ की है और कहा है कि वो गुढ़ा का अपनी पार्टी में स्वागत करते हैं. हालांकि शिवसेना का राजस्थान में कोई बड़ा आधार नहीं है, लेकिन शिवसेना के नाम से विपक्षी बीजेपी तक पहुंचने के विकल्पों से इनकार नहीं किया जा सकता.

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शिवसेना के इस बुलावे पर फिलहाल राजेंद्र गुढ़ा की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है. न ही उन्होंने ओवैसी की पार्टी के साथ किसी करार को लेकर कुछ कहा है. अभी तक कांग्रेस ने भी उन्हें पार्टी से नहीं निकाला है. हालांकि राजेंद्र गुढ़ा ने कहा है कि वो सोमवार को बड़ा धमाका करने वाले हैं. कयास लगाए जा रहे हैं कि वो इस दौरान अपनी आगे की रणनीति साझा कर सकते हैं.

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