Report Times
latestOtherआक्रोशकरियरटॉप न्यूज़ताजा खबरेंदेशराजनीतिविरोध प्रदर्शनस्पेशल

क्या है नेतन्याहू का वो फैसला, जिसने इजरायल में लगा दी ‘आग’?

REPORT TIMES 

Advertisement

मध्यपूर्व में जितने भी मुल्क मौजूद हैं, उनमें से कुछ ही हैं, जहां लोकतांत्रिक व्यवस्था है. लेकिन जब बात एक मजबूत लोकतंत्र की आती है, तो इजरायल के तौर पर सिर्फ एक ही ऐसा देश है, जिसे लेकर ये बात पुख्ता तौर पर कही जा सके. इजरायल की पहचान एक लोकतांत्रिक मुल्क के तौर पर होती है. हालांकि, इन दिनों इसकी लोकतांत्रिक नींव हिली हुई है. वजह है प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का एक ऐसा फैसला, जिसके वजह से मुल्क में ‘आग’ लग गई है. लोग सड़कों पर उतरे हुए हैं और सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं.इजरायल का आकार पूर्वोत्तर के राज्य मणिपुर के बराबर है. अगर आबादी की बात करें, तो ये मणिपुर से लगभग तीन गुना है. जहां मणिपुर में 35 लाख लोग रहते हैं, तो वहीं इजरायल की आबादी 93 लाख है. मुल्क भले ही छोटा है, मगर आर्थिक और सैन्य ताकत के लिहाज से दुनिया के टॉप मुल्कों में खड़ा है. अब ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर देश में लोकतंत्र है, सेना भी मजबूत है और आर्थिक स्थिति भी अच्छी है, तो फिर देश में बवाल क्यों मचा हुआ है. आइए ऐसे ही सवालों के जवाब आपको बताते हैं.

Advertisement

Advertisement

  इजरायली झंडों के साथ प्रदर्शन करते लोग (AFP)

Advertisement

प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू सुप्रीम कोर्ट में सुधार करना चाहते हैं. इसके लिए एक बिल को सोमवार को संसद में पास किया गया. जनवरी में ही नेतन्याहू ने इशारा कर दिया था कि सुप्रीम कोर्ट में सुधार किए जाएंगे. इसे लेकर लोगों का गुस्सा फूट गया और तब से ही मुल्क में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. सोमवार को बिल के पास होने के बाद तो लोग और भी ज्यादा उग्र हो गए और उन्होंने सड़कों पर जमकर बवाल काटा. शायद ही कोई ऐसा शहर बचा हो, जहां लोग सड़कों पर उतरकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन न कर रहे हों.

Advertisement

बेंजामिन नेतन्याहू ने क्या फैसला किया?

Advertisement

इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू (AFP)

Advertisement

दरअसल, बेंजामिन नेतन्याहू इजरायल की न्यायपालिका में बदलाव करना चाहते हैं. पिछले साल दिसंबर में सरकार में आते ही नेतन्याहू ने फैसला किया कि वह देश की सुप्रीम कोर्ट को कमजोर करेंगे. प्लान बनाया गया कि एक बिल लाया जाएगा, जिसके जरिए सुप्रीम कोर्ट की शक्तियों को कम किया जाए. नेतन्याहू का मकसद ज्यूडिशियल सिस्टम को कमजोर करना है. ऐसा होने से देश का लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा. सोमवार को बिल पास भी हो गया है और ऐसे में कहीं न कहीं लोकतांत्रिक व्यवस्था को इससे झटका लगा है.

Advertisement

पानी की बौछारों के बीच डटे हुए प्रदर्शनकारी (AFP)

Advertisement

दरअसल, इजरायल में ‘सरकार की शक्ति’ बनाम ‘अदालत की शक्ति’ का खेल चल रहा है. इजरायली सुप्रीम कोर्ट के पास सरकार के फैसलों को पलटने की शक्तियां हैं. सरकार का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट में बदलाव की जरूरत है, क्योंकि अनिर्वाचित जजों के पास निर्वाचित सांसदों से ज्यादा ताकत है. यही वजह है कि सुप्रीम कोर्ट बार-बार सरकार के फैसलों में दखलअंदाजी कर रही है. बिल के तहत तीन प्रमुख सुधार होने हैं, जिनकी चर्चा सबसे ज्यादा हो रही है.

Advertisement
  1. कानूनों की समीक्षा करना या उन्हें खारिज करने की सुप्रीम कोर्ट की शक्ति को कमजोर करना. इसके लिए संसद में एक साधारण बहुमत से ऐसे फैसलों को खारिज करने की शक्ति देने की व्यवस्था बनाना.
  2. सुप्रीम कोर्ट समेत अन्य अदालतों में किसे जज नियुक्त किया जाएगा, इसका फैसला करने का अधिकार हासिल करना. ऐसा करने के लिए उस कमिटी में सरकार अपनी पैठ बनाना चाहती है, जो वर्तमान में जजों की नियुक्ति करती है.
  3. मंत्रियों के लिए अपने कानूनी सलाहकारों की सलाह मानने की जरूरत को खत्म करना. दरअसल, अभी अटॉर्नी जनरल के निर्देश और एक कानून की वजह से मंत्री सलाह मानने को बाध्य हैं.

    सड़कों पर लगाई गई आग (AFP)

    Advertisement

    इजरायल में स्थानीय सरकार (मेयर, मुखिया जैसी व्यवस्था) जैसी कोई चीज नहीं है. ऊपर से औपचारिक संविधान भी बहुत ज्यादा अच्छा नहीं है. इस वजह से न्यायपालिका सरकार की शक्तियों को चेक कर उन्हें काबू में रखने का काम करती है. इजरायल में ज्यादातर शक्तियां संसद में केंद्रित हैं, जहां नेतन्याहू के गठबंधन को बहुमत है. आसान भाषा में कहें, तो सरकार के पास सारी शक्तियां हैं और सुप्रीम कोर्ट एकमात्र संस्था है, जो उसे काबू में रखती है, ताकि देश में तानाशाही पैदा न हो जाए.

    Advertisement

    लोगों को लगता है कि अगर सुप्रीम कोर्ट की शक्तियों को कम किया जाएगा, तो देश तानाशाही की तरफ बढ़ जाएगा. सरकार जिस बिल को चाहेगी उस बिल को आसानी से पास करवा पाएगी. इस समय में इजरायल में दक्षिणपंथी सरकार भी है, जो LGBTQ+ लोगों के खिलाफ है. लोगों को लगता है कि अगर इस सरकार के पास ज्यादा ताकत आई है, तो महिलाओं के अधिकारों को भी कम किया जाएगा. लोगों को कुल मिलाकर लगता है कि देश का लोकतंत्र खतरे में है.

Advertisement

Related posts

युवा मूर्तिकार ऋषि कुमावत ने भेंट की सर्वपल्ली डॉ राधा कृष्णन की मूर्ति

Report Times

राजस्थान: शिव बारात के दौरान बड़ा हादसा, 14 बच्चे आए करंट की चपेट में

Report Times

योजना भवन केस: जयपुर और आजमगढ़ में ED की रेड, रिश्वतखोर अफसर वेद प्रकाश यादव अरेस्ट

Report Times

Leave a Comment