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नए जिले बना साधी 113 विधानसभाएं, गहलोत के इस मास्टरस्ट्रोक से चुनाव में मिलेगा फायदा

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राजस्थान में तीन दशकों से हर बार सरकार की अदला-बदली का खेल चलता रहा है. अशोक गहलोत की इस बार पूरी कोशिश है कि वो इस परंपरा पर विराम लगा सकें. इसलिए गहलोत कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं. चाहे लोक लुभावने वादे हों या हैरान कर देने वाले ऐलान, गहलोत कहीं भी नहीं चूक रहे. इसी कड़ी में उन्होंने अब एक ऐसे फैसले को अमली जामा पहना दिया है, जिसका तोड़ विपक्षी खेमा नहीं निकाल पा रहा है और शायद ये फैसला राजस्थान की उस परंपरा को भी तोड़ दे, जिसके तहत राजस्थान में एक बार बीजेपी तो अगली बार कांग्रेस की सरकार बनती आ रही है. अशोक गहलोत ने बजट में 19 नए जिलों का ऐलान किया था. तब विपक्ष दंग रह गया, लेकिन एक तोड़ उसके पास था कि वो इसे सिर्फ बयानबाजी करार दे रहा था. विपक्ष का कहना था कि गहलोत इसे धरातल पर नहीं उतार पाएंगे. लेकिन गहलोत ने ऐसा दांव चला कि विपक्ष के हाथ से ये ढाल भी छूट गई. गहलोत सरकार ने नए जिलों का नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया और सूबे को 19 नए जिले दे दिए. अब राजस्थान देश में सबसे ज्यादा जिलों वाले राज्य की सूची में तीसरे नंबर पर आ गया है. राजस्थान में अब 33 की जगह 50 जिले हो गए हैं.

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पहले इन जिलों के नाम जानिए-

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  • जयपुर
  • जयपुर (ग्रामीण)
  • जोधपुर
  • जोधपुर (ग्रामीण)
  • ब्यावर
  • डीग
  • केकडी
  • बालोतरा
  • अनूपगढ़
  • गंगापुरसिटी
  • दूदू
  • कोटपूतली
  • खैरथल
  • नीमकाथाना
  • फलौदी
  • डीडवाना
  • सलूंबर
  • सांचौर
  • शाहपुरा

नए जिलों से क्या होगा फायदा?

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राजस्थान क्षेत्रफल के हिसाब से भारत का सबसे बड़ा राज्य है, लेकिन उसके जिलों की संख्या इसकी तुलना काफी कम थी. ऐसे में बड़े-बड़े जिले होने के कारण कई इलाकों को प्रशासनिक अनदेखी का शिकार होना पड़ता था. आर्थिक तौर पर कमजोर लोगों को सरकारी कामकाज के लिए दूर-दूर तक जाना पड़ता था. अब नए और छोटे जिले बन जाने से जिलों का प्रशासन हर इलाके पर फोकस कर सकेगा और सरकारी नीतियों का लाभ हर इलाके तक पहुंच सकेगा. हालांकि इसके प्रशासनिक ढांचे को मजबूत बनाने के लिए अभी और समय लग सकता है.

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कांग्रेस पार्टी को मिलेगा माइलेज?

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कई जिलों में विकास का ये ही आभाव होने के चलते राजस्थान में अलग जिले बनाने की मांग लंबे समय से उठ रही हैं. अब इस फैसले को अमली जामा पहना कर गहलोत ने उस मांग के जरिए संबंधित जिलों की जनता को तो साधा ही है, साथ ही में उन्होंने बीजेपी के गढ़ में भी पैठ बैठाने का प्रयास किया है.

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BJP नहीं बना पाई ब्यावर को जिला

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बीजेपी विधायक शंकर सिंह रावत लंबे समय से ब्यावर को जिला बनाने की मांग कर रहे थे. इसके लिए उन्होंने कई पैदल यात्राएं भी कीं, लेकिन बीजेपी की ही सरकार में भी वो इसे जिला नहीं बनवा सके. अब गहलोत सरकार ने जिला बनाकर ब्यावर की उस पुरानी मांग को पूरा कर दिया है. ऐसे में इसका राजनीतिक लाभ भी अब कांग्रेस को मिलने की उम्मीद है.

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19 जिलों से साधी 113 विधानसभा

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कांग्रेस की स्थिति ब्यावर में कमजोर रही है. अब जब गहलोत ने ब्यावर की जिला बनाने की मांग को पूरा कर दिया है तो इलाके में उनकी छवि के मजबूत होने की उम्मीद राजनीति के जानकार कर रहे हैं. सांचौर, अनूपगढ़ और जयपुर को भी बीजेपी का गढ़ माना जाता है, गहलोत ने इनको जिला बनाकर बीजेपी के गढ़ में पैठ बनाने की कोशिश की है. ये सिर्फ चंद सीटों का मसला नहीं है. बल्कि गहलोत सरकार के इस फैसले से सूबे के 113 विधानसभाओं के लोगों पर सीधा असर पड़ेगा. दावा तो ये भी किया जा रहा है कि आगामी चुनाव में ही गहलोत को इसका लाभ मिल सकता है. राजनीतिक जानकार गहलोत के इस फैसले को आगामी चुनावों से जोड़कर ही देख रहे हैं. उनका मानना है कि कांग्रेस पार्टी ने इस कदम के जरिए अलग जिले की मांग कर रहे लोगों का समर्थन पाने का प्रयास किया है. उनके इस फैसले के बाद अगर कांग्रेस पार्टी की सरकार फिर से राजस्थान में बनती है तो इस फैसले को पूरा श्रेय भले ही न जाए, लेकिन इसका योगदान उसमें काफी अहम माना जाएगा.

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