कलकत्ता हाई कोर्ट ने पांचवीं कक्षा में पढ़ने वाली दुष्कर्म पीड़ित 26 हफ्ते की गर्भवतीनाबालिग का गर्भपात कराने का आदेश दिया है. कलकत्ता हाईकोर्ट ने एसएसकेएम अस्पताल को गर्भपात कराने का आदेश दिया. जस्टिस सब्यसाची भट्टाचार्य ने आदेश दिया कि एसएसकेएम अस्पताल जल्द से जल्द नाबालिग का गर्भपात करेगा. तामलुक अस्पताल में कोई बुनियादी ढांचा नहीं होने के कारण नाबालिग को एसएसकेएम अस्पताल लाना पड़ा. तमलुक अस्पताल ने हाई कोर्ट में रिपोर्ट पेश कर कहा कि नाबालिग की शारीरिक और मानसिक स्थिति को देखते हुए गर्भपात कराना जरूरी पाया गया कलकत्ता हाईकोर्ट ने 24 घंटे के अंदर मेडिकल बोर्ड के गठन का आदेश दिया. जस्टिस सब्यसाची भट्टाचार्य के आदेश के मुताबिक, चार विभागों के सक्षम डॉक्टर 48 घंटे के अंदर नाबालिग की शारीरिक जांच करेंगे.हाईकोर्ट ने पूर्वी मेदिनीपुर जिला स्वास्थ्य विभाग के मुख्य चिकित्सा अधिकारी और ताम्रलिप्त सरकारी मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक को नाबालिगों के स्वास्थ्य परीक्षण के लिए एक मेडिकल बोर्ड बनाने का निर्देश दिया. जज ने कहा कि मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट देखने के बाद कोर्ट आगे के निर्देश देगा. 11 साल की एक लड़की छह महीने की गर्भवती है. माता-पिता ने 24 सप्ताह की गर्भावस्था के बाद अपनी बेटी का गर्भपात कराने की अनुमति मांगने के लिए कलकत्ता उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था.
पांचवीं कक्षा में पढ़ती है नाबालिग
नाबालिग कक्षा पांच में पढ़ती है. कुछ महीने पहले कथित तौर पर उसे शारीरिक रूप से प्रताड़ित करने के साथ-साथ सामूहिक बलात्कार भी किया गया था. पिछले महीने जब तबीयत बिगड़ी तो चिकित्सा के दौरान पता चला कि वह गर्भवती हैं. परिवार ने नाबालिग की मानसिक और शारीरिक स्थिति को देखते हुए भ्रूण को गिराने का फैसला किया. कानून के मुताबिक, कोई महिला, नाबालिग या नाबालिग का परिवार डॉक्टर की सलाह के बाद 20 हफ्ते तक गर्भपात का फैसला ले सकता है. विशेष परिस्थितियों में इसे 24 सप्ताह तक बढ़ाया जा सकता है, लेकिन बाद में गर्भपात बिना अदालत की अनुमति का नहीं हो सकता है. इसलिए नाबालिग के परिजनों ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
गर्भपात के लिए अदालत से लगाई थी गुहार
परिवार के वकील प्रतीक धर और वकील चित्तप्रिय घोष ने उन्हें बताया कि लड़की का एक्सीडेंट हो गया है. वह सामान्य जिंदगी में लौटना चाहती हैं. अभी वह बच्चे को जन्म देने की मानसिक स्थिति में नहीं है. उनके मुताबिक, नाबालिग का परिवार आर्थिक रूप से काफी कमजोर है. सदस्यों की शैक्षणिक योग्यता भी कम है. उन्हें कानून की जानकारी ही नहीं है. इसलिए उन्होंने सामूहिक दुष्कर्म के मामले की सूचना पुलिस को देने में देरी की. इस बीच इस मामले में परिजनों ने थाने में एफआईआर दर्ज कराई है.