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बीएसपी के सबसे बड़े मुस्लिम नेता इमरान मसूद क्या करेंगे ? यूपी की राजनीति में इन दिनों इस बात की बड़ी चर्चा है. मायावती ने आज उन्हें बीएसपी से निष्कासित कर दिया है. उनके इस फैसले की जानकारी सहारनपुर के बीएसपी जिला अध्यक्ष की तरफ से दी गई है. इसी महीने लखनऊ में बीएसपी की बैठक में मायावती ने इमरान मसूद को नहीं बुलाया था.तब से ही इस तरह की अटकलें लगाई जा रही थीं कि बहुजन समाज पार्टी में इमरान मसूद के दिन अब गिनती के रह गए हैं. आठ महीने पहले ही वे बीएसपी में शामिल हुए थे. उन्हें सहारनपुर से बीएसपी से लोकसभा का चुनाव लड़ने के लिए भी कहा गया था. पिछले लोकसभा चुनाव में भी सहारनपुर से बीएसपी की जीत हुई थी. तब बीएसपी का समाजवादी पार्टी और आरएलडी के साथ गठबंधन था. बीएसपी से निकाले जाने के बाद इमरान मसूद क्या करेंगे ? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि बहिन जी के आशीर्वाद से मैं इस पार्टी में आया था, लेकिन पार्टी के कुछ नेता हमेशा मुझे नीचा दिखाने की कोशिश में लगे रहते थे. मेरे बयान देने पर रोक लगा दी गई थी. मैं पश्चिमी यूपी में घूम-घूम कर मुसलमानों और दलितों को जोड़ने में लगा था. मैं तो रामपुर तक पहुंच गया था, लेकिन बीएसपी के नेताओं ने बहिन जी का काम भर कर इस पर रोक लगवा दी. पिछले कुछ सालों में इमरान मसूद कई बार पार्टी बदल चुके हैं. वे कई चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन जीत उन्हें कभी नसीब नहीं हुई.
अखिलेश यादव से कैसे हैं मसूद के रिश्ते?
पश्चिमी यूपी के विवादित मुस्लिम नेता इमरान मसूद के अखिलेश यादव से अच्छे रिश्ते नहीं हैं. पिछले साल विधानसभा चुनाव से पहले वे कांग्रेस छोड़ कर समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए थे. इमरान मसूद के राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से बड़े अच्छे रिश्ते हैं. हाल में ही राहुल के बर्थ डे पर उनकी बातचीत भी हुई थी. ऐसा समझा जा रहा है कि इमरान मसूद की कांग्रेस में ही घरवापसी हो सकती है. सहारनपुर में 6 लाख मुस्लिम वोटर हैं. करीब तीन लाख दलित वोटर हैं. अगर ये दोनों वोट किसी उम्मीदवार को मिल जायें तो फिर उसकी जीत की गारंटी है. वोटों के इसी हिसाब किताब के चलते इमरान मसूद पिछले साल 19 अक्टूबर को समाजवादी पार्टी छोड़ कर बीएसपी में शामिल हो गए थे. उससे पहले तो बीएसपी के बड़े नेता पार्टी छोड़ कर अखिलेश यादव के साथ जा रहे थे.
कभी बीएसपी ने बनाया था चार मंडलों का प्रभारी
ऐसे में बीएसपी में इमरान मसूद की एंट्री को मायावती ने एक बड़ा कैच माना. उन्हें तुरंत चार मंडलों के प्रभारी की ज़िम्मेदारी दी गई, लेकिन उसके बाद से इमरान मसूद के साथ बीएसपी में कभी अच्छा नहीं हुआ. बीएसपी में आने पर मायावती ने खुद इमरान मसूद के माथे पर हाथ रख कर आशीर्वाद दिया था. फिर ऐसा क्या हुआ कि वे धीरे धीरे साइडलाइन होते गए. ये फ़ैसला मायावती का था या उनके करीबी नेताओं ने इमरान के खिलाफ उनके कान भरे.