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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने नई संसद भवन को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर टिप्पणी की, जिसके बाद केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने पलटवार करते हुए उन्हें करारा जवाब दिया है. केंद्रीय मंत्री प्रधान ने कहा कि जयराम रमेश की पीड़ा एक राजवंश और उसके लोगों की उस निराशा की अभिव्यक्ति है जिसे वे जागीर मानते थे.धर्मेंद्र प्रधान ने एक्स (ट्विटर) पर जयराम की टिप्पणी का जवाब देते हुए कहा कि पिछले दिनों ही लोकसभा में उनके नेता का कहना था कि पूर्व अध्यक्ष मीरा कुमार ने इस बात पर जोर दिया था कि संसद की पुरानी इमारत अपर्याप्त थी और दोनों सदनों की जरूरतों को पूरा करने के लिए उपयुक्त नहीं थी. अब जयराम रमेश अपने आलाकमान के निर्देश पर अलग राग अलाप रहे हैं.उन्होंने कहा कि भव्य नया संसद भवन पुनर्जीवित भारत की आकांक्षाओं का प्रतीक है और यह उन महिला सांसदों के घर के रूप में काम करेगा जो पीएम मोदी जी द्वारा प्रस्तावित महिला आरक्षण के कार्यान्वयन के बाद संसद में शामिल होंगी.
जयराम रमेश ने नई संसद को बताया मोदी मल्टीप्लेक्स
इससे पहले जयराम रमेश ने तंज करते हुए कहा था कि इतने प्रचार के साथ लॉन्च किया गया नया संसद भवन वास्तव में पीएम के उद्देश्यों को अच्छी तरह से साकार करता है. इसे मोदी मल्टीप्लेक्स या मोदी मैरियट कहा जाना चाहिए. चार दिनों के बाद, मैंने जो देखा वह दोनों सदनों के अंदर और लॉबी में बातचीत का अंत हो गया. यदि वास्तुकला लोकतंत्र को मार सकती है, तो संविधान को दोबारा लिखे बिना भी प्रधानमंत्री पहले ही सफल हो चुके हैं.
सांसदों को देखने के लिए दूरबीन की जरूरत पड़ रही- जयराम रमेश
उनका कहना है कि एक-दूसरे को देखने के लिए दूरबीन की जरूरत पड़ रही है क्योंकि हॉल बिल्कुल आरामदायक या कॉम्पैक्ट नहीं होते हैं. पुराने संसद भवन की न केवल एक विशेष आभा थी बल्कि यह बातचीत की सुविधा भी प्रदान करता था. दोनों सदनों, सेंट्रल हॉल और कॉरिडोर के बीच चलना आसान था. ये नए संसद के संचालन को सफल बनाने के लिए जरूरी जुड़ाव को कमजोर करता है.