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बंजर जमीन पर कमल खिलाने का प्लान, बीजेपी ने कांग्रेस के गढ़ में उतारे मोदी के ‘सिपाही’

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मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी किसी तरह की कोई गुंजाइश नहीं छोड़ना चाहती है. कांग्रेस को घेरने के लिए बीजेपी ने अपने सांसद और केंद्रीय मंत्रियों को भी चुनावी रण में उतारा है ताकि सियासी तौर पर पार्टी के लिए बंजर पड़ी जमीन पर भी कमल खिलाया जा सके. ऐसे में दिग्गज नेताओं को बीजेपी ने उन्हीं सीटों पर उतारा है, जहां पर पार्टी कमजोर नजर आ रही थी. इतना ही नहीं, बीजेपी ने टिकट के जरिए जाति समीकरण और क्षेत्रीय बैलेंस बनाने की कवायद की है.बीजेपी ने मध्य प्रदेश चुनाव के लिए सोमवार देर शाम 39 सीटों पर उम्मीदवारों के नामों की दूसरी लिस्ट जारी की है. इससे पहले बीजेपी 17 अगस्त को 39 उम्मीदवारों के नाम का ऐलान किया था और अब एक महीने में ही दूसरी लिस्ट जारी कर दी है. राज्य की कुल 230 विधानसभा सीटों में से बीजेपी ने 78 सीटों पर कैंडिडेट की घोषणा कर दी है. बीजेपी ने अभी तक जिन सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं, उनमें 75 सीटों पर विपक्षी दल का कब्जा है. ऐसे में साफ है कि बीजेपी काफी फूंक-फूंक कर कदम रख रही है.

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बीजेपी ने साधा जातीय समीकरण

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बीजेपी ने सोमवार को 39 उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी है, उसमें 6 महिला, 10 एसटी और 4 एससी उम्मीदवारों को जगह मिली है. इससे पहले बीजेपी ने पहली लिस्ट में 39 सीटों के टिकटों की फेहरिश्त में 13 एसटी, 8 दलित, 13 ओबीसी और 5 टिकट सामान्य वर्ग के उम्मीदवार पर भरोसा जताया है. इस तरह से बीजेपी का पूरा फोकस दलित-ओबीसी-आदिवासी वोटों पर है, क्योंकि यह तीनों ही जातियां किसी भी दल का खेल बनाने और बिगाड़ने की क्षमता रखते हैं. इसीलिए बीजेपी ने महिलाओं के साथ-साथ जातीय समीकरण का भी ख्याल रखा है .बीजेपी ने दूसरी लिस्ट में जिन 39 सीटों पर नामों का ऐलान किया है, उनमें से 36 सीटें 2018 के चुनाव में हारी हुई हैं. इसके अलावा 3 सीटें बीजेपी के कब्जे में हैं. बीजेपी ने अपने 7 पूर्व विधायकों को एक बार फिर से मौका दिया है और बाकी सीटों पर नए चेहरे उतारे हैं. इस तरह बीजेपी पहली लिस्ट में जगह पाने वाले 39 उम्मीदवारों में से 14 उम्मीदवार ऐसे थे, जिन्हें 18 के चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था. पिछला विधानसभा चुनाव में हार का सामना करने वाले करीब 50 फीसदी नेता को टिकट दिया है जबकि 12 नए उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं.

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दिग्गजों को उतारने के पीछे का दांव

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बीजेपी ने इस बार के चुनाव में अपने केंद्रीय मंत्री और सांसदों को भी चुनावी रण में उतारा है. बीजेपी ने तीन केंद्रीय मंत्री, चार सांसद और एक राष्ट्रीय महासचिव को उतारकर पार्टी ने साफ संदेश दे दिया है की बीजेपी चुनाव जीतने के लिए कुछ भी कर सकती है. बीजेपी की दूसरी लिस्ट के मायने ये है पार्टी ने इस बार अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया है. तीन केंद्रीय मंत्रियों नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद सिंह पटेल और फग्गन सिंह कुलस्ते को जहां चुनावी मैदान में उतारा है. वहीं, चार सांसदों में रीति पाठक, राकेश सिंह, गणेश सिंह और उदय प्रताप सिंह को भी टिकट देकर केंद्रीय नेताओं का भरमार लगा दिया है. बीजेपी उम्मीदवारों की लिस्ट देखकर साफ तौर पर समझा जा सकता है कि पार्टी किस तरह से चुनावी जंग जीतने की रूप रेखा खींची है. बीजेपी सबसे जरूरी और खास बात ये है कि जितने दिग्गज चुनावी मैदान में उतर रहे हैं, उनमें से सभी अपने-अपने क्षेत्र में मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं. इसके पीछे बीजेपी का पूरा सियासी गणित छिपा है. हर एक राजनेता अपने-अपने इलाके में खुद को मुख्यमंत्री का दावेदार बताकर पूरी ताकत से चुनाव जीतने और जिताने का प्रयास करेगा. शिवराज सिंह चौहान के करीबियों की बजाय पीएम मोदी के भरोसेमंद उम्मीदवारों को प्राथमिकता दी गई है. दरअसल, बीजेपी ने इस तरह का दांव कोई पहली बार नहीं खेला है. बीजेपी ने पहले यह फॉर्मूला यूपी के चुनाव में आजमा चुकी है. पश्चिम बंगाल के भी बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री और सांसदों को चुनावी रण में उतारा था. बीजेपी ने कहीं न कहीं बड़े चेहरों को उतारकर असंतोष कम करने की कोशिश की गई है.

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सामूहिक नेतृत्व और सिंधिया पर भरोसा

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बीजेपी बार-बार शिवराज सिंह चौहान के चेहरे के बजाय सामूहिक नेतृत्व पर जोर दे रही है. बीजेपी सूबे के तमाम खेमे के नेताओं को एक साथ मैदान में उतारकर राज्य के नेताओं, कार्यकर्ताओं और वोटरों को खेमेबाजी से दूर रख चुनाव फतह करना चाहती है. पहली सूची के कुछ समर्थकों को टिकट नहीं दिए जाने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जोरदार वापसी की है. सिंधिया के पांच समर्थकों (श्रीकांत चतुर्वेदी, इमरती देवी, मोहन सिंह राठौड़, रघुराज कंसाना, हिरेंद्र सिंह बंटी) को टिकट पक्का किया है. इतना ही नहीं, उपचुनाव हारने के बाद भी सिंधिया अपने समर्थक इमारती देवी और रघुराज कंसाना को टिकट दिलाने में कामयाब रहे. हालांकि, सिंधिया खेमे के गिरिराज सिंह दंतोडिया का डीमनी उपचुनाव हार चुके एक प्रमुख नेता का टिकट कटा है, लेकिन वहां से केंद्रीय मंत्री तोमर चुनाव मैदान में हैं. कैलाश विजयवर्गीय इस बार कांग्रेस की मजबूत सीट इंदौर 1 से टिकट दिया गया है और उनके पुत्र आकाश विजयवर्गीय इंदौर 3 से विधायक हैं. आकाश बैट से मारने के क्रम में काफी सुर्खियों में रहे जिसके वजह से बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व बहुत नाराज रहा. ऐसे में देखना होगा कि इस बार आकाश को टिकट मिलता है कि नहीं?

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दिग्विजय-कमलनाथ के दुर्ग भेदने का प्लान

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दिग्विजय सिंह के गढ़ राघौगढ़ में बीजेपी ने हीरेंद्र सिंह बंटी को उम्मीदवार बनाया है. बंटी के पिता मूल सिंह विधायक रह चुके हैं. बंटी भी दिग्विजय के करीबी रहे हैं. ये डेढ़ साल पहले ही बीजेपी में शामिल हुए थे और पार्टी ने अब राघौगढ़ में दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह के खिलाफ उतारा है. ऐसे ही नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविन्द सिंह के सामने बीजेपी ने बसपा से आए अंबरीश शर्मा गुड्डू को उतारा है. 2018 के विधानसभा चुनाव में अंबरीश ने बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था और 31 हजार वोट पाकर तीसरे नंबर पर रहे थे. अब उन्हें बीजेपी ने उम्मीदवार बनाया है. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ के खिलाफ बीजेपी ने छिंदवाड़ा से विवेक बंटी साहू को उतारा है.

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