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पश्चिमी राजस्थान की चौहटन विधानसभा सीट बाड़मेर जिले में आती है. इस सीट के साल 1957 में अस्तित्व में आने के बाद 14 विधानसभा चुनाव हुए हैं, जिनमें से 8 बार कांग्रेस, दो बार बीजेपी और चार बार अलग-अलग दलों के विधायक चुने गए हैं. इस सीट से कांग्रेस पार्टी के वली मोहम्मद पहले विधायक चुने गए थे. 2008 में इस सीट को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित की गया है और 2008 में कांग्रेस के पदमाराम मेघवाल विधायक बने, तो 2013 के चुनाव में बीजेपी से पाक विस्थापित तरुण रॉय कागा ने कांग्रेस के पदमाराम मेघवाल को हराया और विधानसभा पहुंचे थे. वहीं 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के पदमाराम मेघवाल एक बार फिर विधायक चुने गए. चौहटन विधानसभा सीट पर दल बदलने वाले नेताओं का दबदबा रहा है. यहां पर नेताओं ने कई बार पाला बदला और अलग-अलग पार्टियों की टिकट पर चुनाव लड़कर विधायक बने हैं. अब तक सबसे ज्यादा 6 बार जीत हासिल करने वाले अब्दुल हादी ने पहले निर्दलीय चुनाव जीता. फिर वह 1972 में कांग्रेस में शामिल हो गए, फिर उन्होंने 1985 में लोक दल से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. 1990 में जनता दल में शामिल हुए और जीत हासिल कर विधायक बने. 1998 में वह एक बार फिर कांग्रेस में आ गए और कांग्रेस के टिकट पर मैदान में उतरकर जीत हासिल की. अब्दुल हादी की तरह 1980 में कांग्रेस की टिकट से जीतने वाले भगवान दास डोसी बाद में निर्दलीय चुनाव लड़े और जीतकर विधानसभा तक पहुंचे. इतना ही नहीं, 1993 में बाड़मेर से निर्दलीय विधायक चुने गए गंगाराम चौधरी ने 2003 में बीजेपी के टिकट पर चौहटन विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा और कांग्रेस के अब्दुल हादी को हराया.
ज्यादातर इलाका बॉर्डर से सटा हुआ
चौहटन विधानसभा का ज्यादातर इलाका भारत-पाकिस्तान सीमा से सटा हुआ है. इस इलाके में मूलभूत सुविधाओं का खास अभाव है, ऐसे में इस सीट का ज्यादातर इलाका पिछड़ा हुआ है. चौहटन को पांडवों की तपोभूमि भी कहा जाता है और प्रसिद्ध वाकल माता का विरात्रा मंदिर भी इसी चौहटन क्षेत्र में आता है. इस विधानसभा के ज्यादातर लोग खेती पर ही निर्भर हैं. वहीं चौहटन विधानसभा क्षेत्र से ही गुजरात की सीमा प्रारंभ होती है. इस क्षेत्र में मुस्लिम, जाट, बिश्नोई एवं एससी एसटी के मतदाता निर्णायक भूमिका में रहते हैं.
10 बार अब्दुल हादी ने लड़ा चुनाव
चौहटन विधानसभा सीट के इतिहास में यहां से सबसे ज्यादा 10 बार चुनाव अब्दुल हादी लड़े. वह 10 में से 6 बार जीते और 4 बार हार का सामना करना पड़ा. वह 1967 में पहला चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे. यहां से लगातार 1977 तक 3 बार विधायक चुने गए. 1985, 1990 व 1998 में विधायक बने. इस सीट पर सबसे बड़ी जीत भी अब्दुल हादी के नाम दर्ज है. उन्होंने 1998 के चुनाव में 25820 वोट से जीत दर्ज की थी. बीजेपी के गंगाराम चौधरी ने वर्ष 2003 में पार्टी की पहली जीत दर्ज की. 2008 के चुनाव में कांग्रेस के पदमाराम मेघवाल जीते. 2013 में बीजेपी के तरुण राय कागा जीते.
कुल कितने मतदाता?
चौहटन विधानसभा में कुल 302119 मतदाता हैं. बात करें 2018 के विधानसभा चुनाव की तो इस चुनाव में कांग्रेस ने 2008 से 2013 तक विधायक रहे और 2013 बीजेपी के तरुण रॉय कागा से चुनाव हारने के बाद पदमाराम मेघवाल पर एक फिर भरोसा जताते हुए उन्हें मैदान में उतारा था. वहीं, बीजेपी ने विधायक तरुण रॉय का टिकट काटकर आदु मेघवाल को चुनाव लड़ाया था और कांग्रेस से बागी होकर सूरताराम मेघवाल ने भी लोकतांत्रिक पार्टी से ताल ठोंकी थी. इस चुनाव में कांग्रेस के पदमाराम मेघवाल ने 4262 मतों से जीत दर्ज कर थी, लेकिन रोचक बात इस विधानसभा चुनाव में नोटा को जीत के अंतर से ज्यादा पांच हजार वोट मिले थे.