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खंडार सीट पर पुराने खिलाड़ियों के बीच जंग, क्या कांग्रेस से बदला ले पाएगी BJP

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मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की तरह राजस्थान में भी अगले महीने विधानसभा चुनाव होने जा रहा है. राजस्थान में 25 नवंबर को वोटिंग कराई जाएगी. जबकि चुनाव परिणाम 3 दिसंबर को आएगा. प्रदेश की राजनीति में सवाई माधोपुर जिले की खास अहमियत रही है. यहां पर 4 विधानसभा सीटें आती हैं जिसमें 3 पर कांग्रेस तो एक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार को जीत मिली है, हालांकि यहां पर बीजेपी अपना खाता तक नहीं खोल सकी थी. खंडार सीट पर कांग्रेस का कब्जा है. जबकि अगले महीने होने वाले चुनाव के लिए कांग्रेस ने अशोक बैरवा को टिकट दिया है तो बीजेपी ने जीतेंद्र गोठवाल को मैदान में उतारा है.

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कितने वोटर, कितनी आबादी

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2018 के विधानसभा चुनाव में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित खंडार सीट पर कांग्रेस के अशोक बैरवा को चुनाव में 89,028 वोट मिले थे तो बीजेपी के जीतेंद्र कुमार गोठवाल के खाते में 61,079 वोट आए थे. एकतरफा मुकाबले में अशोक बैरवा ने 27,949 मतों के अंतर से चुनाव में जीत हासिल की थी. तब के चुनाव में खंडार सीट पर कुल वोटर्स की संख्या 2,19,834 थी जिसमें पुरुष वोटर्स की संख्या 1,17,518 थी तो महिला वोटर्स की संख्या 1,02,310 थी. इनमें से कुल 1,55,208 (71.9%) वोटर्स ने वोट डाले. NOTA के पक्ष में 2,736 (1.2%) वोट पड़े.

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कैसा रहा राजनीतिक इतिहास

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खंडार विधानसभा सीट के राजनीतिक इतिहास की बात करें तो यहां पर कांग्रेस कब्जा रहा है. 1990 से लेकर अब तक 7 बार हुए चुनाव में बीजेपी को 3 बार तो कांग्रेस को 4 बार जीत मिली है. कांग्रेस के नेता अशोक बैरवा अब तक खंडार सीट से 5 बार चुनाव लड़ चुके हैं जिसमें उन्हें 4 बार जीत मिली है. अशोक पहले सरकारी नौकरी में थे और कनिष्ठ लेखाकार के पद से वीआरएस लेकर राजनीति में आए. साल 1998 में कांग्रेस के टिकट पर पहली बार चुनाव लड़ा और बीजेपी के हरिनारायण बैरवा को हराकर सभी को चौंका दिया. अशोक ने इस जीत के बाद लगातार 2 चुनाव और जीते. 2003 और 2008 में भी बीजेपी के हरिनारायण बैरवा को ही हराया. लगातार हार के बाद बीजेपी ने 2013 के चुनाव में उम्मीदवार बदलते हुए जितेंद्र गोठवाल को मैदान में उतारा जिसमें उसे कामयाबी भी मिली. लेकिन 2018 में अशोक से जितेंद्र गोठवाल चुनाव हार गए. हालांकि बीजेपी ने 1990 और 1993 के चुनाव में जीत हासिल की थी.

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