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मालपुरा सीट पर कांग्रेस का रिकॉर्ड खराब, क्या BJP बचा पाएगी यह क्षेत्र

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राजस्थान में सत्तारुढ़ कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के बीच सत्ता को लेकर एक बार फिर से संघर्ष होने जा रहा है. अगले महीने 25 नवंबर को राजस्थान में नई सरकार के लिए वोट डाले जाएंगे. प्रदेश के टोंक जिले में चुनाव को लेकर सरगर्मी तेज हो गई है. जिले के तहत 4 विधानसभा सीटें आती हैं जिसमें भारतीय जनता पार्टी को एक सीट पर तो 3 अन्य सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली. मालपुरा विधानसभा सीट राजस्थान के लौहपुरुष और राज्य सरकार में गृह मंत्री रहे दामोदर व्यास के नाम से जानी जाती है. इस सीट पर अभी बीजेपी का कब्जा है. हालांकि अभी तक कांग्रेस और बीजेपी दोनों ओर से यहां से उम्मीदवार के नाम का ऐलान नहीं किया गया है.

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कितने वोटर, कितनी आबादी

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2018 के विधानसभा चुनाव में मालपुरा सीट को देखें तो 14 उम्मीदवारों ने यहां से अपनी दावेदारी पेश की थी. लेकिन मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच रहा. बीजेपी के कन्हैया लाल को 93,237 वोट मिले तो कांग्रेस रणवीर पहलवान के खाते में 63,451 वोट आए. कन्हैया लाल ने 29,786 (16.8%) मतों के अंतर से आराम से चुनाव में जीत अपने नाम कर लिया. तब के चुनाव में मालपुरा विधानसभा सीट पर कुल वोटर्स 2,32,325 थे जिसमें पुरुष वोटर्स की संख्या 1,20,078 थी तो महिला वोटर्स की संख्या 1,12,247 थी. इनमें से कुल 1,77,169 (77.0%) वोटर्स ने वोट डाले. जबकि NOTA के पक्ष में 1,801 (0.8%) वोट पड़े.

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कैसा रहा राजनीतिक इतिहास

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मालपुरा विधानसभा सीट के राजनीतिक इतिहास की बात करें तो यहां पर कभी कांग्रेस का कब्जा हुआ करता था. यहां पर व्यास परिवार का कब्जा रहा है. लेकिन 2008 के परिसीमन के बाद से यह सीट व्यास परिवार के कब्जे से निकल गई और यहां पर जाट समुदाय हावी होने लगा. यह सीट अपने आप में खास मायने रखता है क्योंकि मालपुरा सीट से 1967 में राजमाता गायत्री देवी ने स्वतंत्र पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था. हालांकि उन्हें हार का सामना करना पड़ा. व्यास परिवार का कब्जा शुरू से ही यहां पर रहा. दामोदर व्यास ने 1952, 1957 (निर्विरोध चुने गए) और 1967 में चुनाव जीता. हालांकि दामोदर व्यास 1962 का चुनाव हार गए थे. फिर सुरेंद्र व्यास ने कांग्रेस के टिकट पर 1972, 1980 और 1990 में जीत हासिल की. 1998 में टिकट नहीं मिलने पर सुरेंद्र व्यास बतौर निर्दलीय उम्मीदवार भी चुने गए. नारायण सिंह 1977 और 1985 के चुनाव में विजयी रहे तो 1993 और 2003 को चुनाव में बीजेपी के जीतराम चौधरी को जीत मिली थी. कांग्रेस की हालत यहां पर खराब रही है. मालपुरा सीट पर 1990 के चुनाव के बाद अब तक हुए चुनाव में कांग्रेस को जीत हासिल नहीं हुई है. 2008 में निर्दलीय रणवीर पहलवान और 2013 में बीजेपी के कन्हैयालाल चौधरी विधायक बने थे. ऐसे में कांग्रेस की नजर यहां से जीत हासिल करने पर होगी तो वहीं बीजेपी इस पर कब्जा बनाए रखना चाहेगी.

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