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‘चुनाव हार गए तो फिर से नौकरी पर आ जाना’, सरकारी डॉक्टर को मिली परमिशन

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‘आप चुनाव लड़ सकते हैं, अगर आप हार गए तो दोबारा से नौकरी ज्वॉइन कर सकते हैं’. ये कहते हुए राजस्थान हाई कोर्ट की जोधपुर पीठ ने एक सरकारी डॉक्टर को चुनाव लड़ने की इजाजत दे दी है. कोर्ट के आदेश के बाद अब डॉ. दीपक घोगरा आगामी विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं. डॉ. दीपक घोगरा राजस्थान के डूंगरपुर के सरकारी अस्पताल में स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं. वो भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे हैं. पार्टी ने उन्हें डूंगरपुर निर्वाचन क्षेत्र से उम्मीदवार बनाया है. डॉ. दीपक को कोर्ट से चुनाव लड़ने की इजाजत मिलना अपने आप में एक अनोखी बात है, वो इसलिए क्यों कि किसी भी सरकारी डॉक्टर को चुनाव लड़ने के लिए पहले नौकरी से इस्तीफा देना होता है. इसके बाद ही भी चुनाव में भाग ले सकता है.

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‘चुनाव हार गए तो फिर से नौकरी पर आ जाना’

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राजस्थान उच्च न्यायालय की जोधपुर पीठ ने डॉ. दीपक घोगरा को चुनाव लड़ने की अनुमति देकर एक मिसाल कायम की है. कोर्ट का कहना है कि अगर डॉक्टर चुनाव हार जाते हैं, तब भी वो सरकारी नौकरी में वापस आ सकते हैं उसे बरकरार रख सकते हैं. दरअसल डॉ. दीपक ने अपना नामांकन दाखिल करने से पहले कोर्ट में एक रिट दाखिल की थी. इस मामले पर डॉक्टर दीपक ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि कोर्ट ने आदेश दिया है कि अगर मैं हार जाता हूं तब भी मैं चिकित्सा अधिकारी के पद पर फिर से शामिल हो सकता हूं.

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जंगल बचाओ अभियान के संस्थापक हैं दीपक

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चुनाव लड़ने की अपनी चाहत को लेकर डॉक्टर दीपक ने बताया कि चुनाव के लिए उन्होंने बीटीपी से टिकट मांगा था क्योंकि डूंगरपुर क्षेत्र में बीटीपी काफी लोकप्रिय है. उनका कहना है कि इस क्षेत्र में शिक्षित लोगों की काफी जरूरत है. उन्होंने कहा कि वो चाहते हैं कि उनके क्षेत्र में सभी आदिवासी शिक्षित हों, सभी को स्वस्थ जीवन के साथ ही रोजगार मुहैया हो. उन्होंने कहा कि उनका एजेंडा जंगलों को बचाना है क्योंकि बिना जंगलों और प्रकृति को बचाए जनजातियों के अस्तित्व को बचाना मुश्किल है. डूंगरपुर में दीपक जंगल बचाओ अभियान के संस्थापक और डूंगरपुर आदिवासी सांस्कृतिक मंच के सदस्य हैं, जो आदिवासी संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए काम करता है.

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स्टेथोस्कोप के साथ चुनाव अभियान

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डॉक्टर दीपक घोगरा के चुनावी अभियान की बात करें तो उनका उनका अभियान काफी अनोखा है. सिंबल के तौर पर वो अपने स्टेथोस्कोप का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो समाज के लिए उनकी प्रतिबद्धता का प्रतीक है और उनकी पहचान भी है. हमेशा की तरह स्टेथोस्कोप उनके गले में लटका रहता है.

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डूंगरपुर के मशहूर डॉक्टर हैं दीपक

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आपको बता दें कि डूंगरपुर अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र है. यहां डॉक्टर दीपक घोगरा का नाम घर-घर में मशहूर है. पिछले दस सालों से ज्यादा समय से वो डूंगरपुर अस्पताल में काम कर रहे हैं. उन्होंने करीब 20,000 से ज्यादा डिलीवरी कराई हैं. डॉक्टर के होने के साथ साथ दीपक बच्चों की मदद करने के लिए भी जाने जाते हैं. उन्होंने ग्रामीण इलाकों के सरकारी स्कूलों में पेंसिल, इरेजर और शार्पनर के 20,000 से ज्यादा बॉक्स बांटे हैं. यही वजह है कि उन्हें ‘बॉक्स मैन’ नाम दिया गया. गौरतलब है कि 25 नवंबर को राजस्थान की 200 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव होने हैं.

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