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वसुंधरा राजे को उनके गढ़ झालरापाटन में बड़ी चुनौती, बीजेपी के अभेद किले में क्या सेंध लगा पाएगी कांग्रेस?

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राजस्थान में आज जब वोट डाले जा रहे हैं तो पूरे देश की निगाहें पूर्व सीएम और बीजेपी नेता वसुंधरा राजे सिंधिया पर भी टिकी हुई है. वसुंधरा अपनी पसंदीदा सीट झालरापाटन से चुनाव मैदान में हैं. वो 2003 से लगातार इस सीट से चुनाव लड़ रही हैं और जीत भी मिलती रही है. इस बीच वो दो बार मुख्यमंत्री भी रह चुकी हैं. झालरापाटन में वसुंधरा राजे को घेरने के लिए कांग्रेस ने रामलाल चौहान को मैदान में उतारा है.राज्य में 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने इस सीट से मानवेंद्र सिंह को मैदान में उतारा था, लेकिन वसुंधरा के आगे वो फिसड्डी साबित हुए. इसलिए कांग्रेस ने इस बार रामलाल चौहान को टिकट दिया है. इस बार के चुनाव में वसुंधरा राजे को लेकर भी सियासी गलियारे में आशंकाओं का बाजार गर्म था. हालांकि, पार्टी ने दूसरी सूची में उनका नाम शामिल कर सभी चर्चा पर विराम लगा दिया. बीजेपी ने वसुंधरा राजे को मुख्यमंत्री का चेहरा तो घोषित नहीं किया है, लेकिन अगर राजस्थान में बीजेपी की वापसी होती है तो दावेदारों में उनका पलड़ा भारी पड़ सकता है. झालरापाटन सीट झालावाड़ जिले के अंतर्गत आती है. झालावाड़ वसुंधरा राजे का गृह क्षेत्र है. शुरू से ही उनके परिवार को इस क्षेत्र में दबदबा रहा है.

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बीजेपी का अभेद किया है यह सीट

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झालरापाटन को लेकर कहा जाता है कि इस सीट पर वसुंधरा राजे के सामने कोई जातीय समीकरण काम नहीं करता है. राज्य के मुद्दे भी यहां तक आते आते सिमट जाते हैं. यही वजह है कि शुरू से ही यह सीट वसुंधरा राजे की पसंदीदा सीट बनी हुई है. यही वजह है कि इस सीट को बीजेपी का अभेद किला भी कहा जाता है.

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2018 में वसुंधरा को मिली थी कड़ी टक्कर

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हालांकि, 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार रहे मानवेंद्र सिंह से उन्हें कड़ी टक्कर मिली थी. वसुंधरा ने कांग्रेस उम्मीदवार को करीब 35 हजार वोटों से मात दी थी. ऐसे में इस बार कांग्रेस ने रामलाल चौहान को मैदान में उतारा है. ऐसे में यहां की जनता आज अपने वोट के जरिए यह तय कर देगी कि सीट पर किसका हक रहेगा और किसको निराशा हाथ लगेगी.

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